

नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? पूरा प्रोसेस आसान भाषा में
- 1नई गाड़ी के लिए रजिस्ट्रेशन होना ज़रूरी है, जो 15 साल की वैधता के साथ आता है
- 2नई कार का रजिस्ट्रेशन आप खुद, डीलर या किसी एजेंट के ज़रिए करा सकते हैं
- 3नई कार का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन शुरू किया जा सकता है, पर आरटीओ जाना अनिवार्य है
नई कार की चाबी हाथ में लेने की खुशी से पहले एक ज़रूरी काम होता है—अपनी नई गाड़ी का कानूनी मालिकाना दर्ज कराना। भारत की सड़कों पर किसी भी नई गाड़ी को चलाने के लिए उसका पंजीकरण अनिवार्य होता है। आसान शब्दों में कहें, तो वाहन पंजीकरण आपकी कार का आधार कार्ड होता है, जैसा कि Indian Motor Vehicles Act के तहत तय किया गया है। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन शुल्क और उससे जुड़े टैक्स, कार की एक्स-शोरूम क़ीमत में काफ़ी इज़ाफ़ा कर देते हैं। यही वजह है कि एक्स-शोरूम और ऑन-रोड क़ीमत में अंतर दिखाई देता है—क्योंकि ऑन-रोड क़ीमत में बीमा, पंजीकरण शुल्क, रोड टैक्स और अन्य शुल्क शामिल होते हैं।
अगर आप यह जानना चाहते हैं कि नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कैसे होता है और इसमें क्या-क्या लगता है, तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। इस गाइड में हम विस्तार से बताएँगे कि नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कैसे करें, इसके लिए कौन-से दस्तावेज़ चाहिए, वाहन पंजीकरण शुल्क कितना होता है और नई गाड़ियों की नंबर प्लेट से जुड़े कौन-से नियम लागू होते हैं। आमतौर पर यह सारी प्रक्रिया डीलरशिप खुद पूरी कर देती है। लेकिन अगर आप अपनी गाड़ी को किसी दूसरे राज्य में रजिस्टर कराना चाहते हैं या बिना एजेंट के यह काम खुद करना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद काम की है।
नया वाहन पंजीकरण क्या होता है?
जैसा कि ऊपर बताया गया है, नई गाड़ी का कानूनी मालिक बनने की पहली शर्त उसे Regional Transport Office (RTO) में रजिस्टर कराना है। नया वाहन पंजीकरण आपकी कार के लिए एक यूनिक पहचान संख्या होती है। इसी प्रक्रिया के अंत में आपकी कार को एक वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र यानी RC जारी किया जाता है। RC में वाहन मालिक की जानकारी के साथ-साथ गाड़ी से जुड़े सभी ज़रूरी विवरण दर्ज होते हैं, जिनमें पंजीकरण संख्या भी शामिल होती है, जिसे गाड़ी की नंबर प्लेट पर दिखाना अनिवार्य होता है।
वाहन पंजीकरण की प्रक्रिया RTO में भौतिक निरीक्षण के बाद पूरी की जाती है। इस दौरान गाड़ी के VIN या चेसिस नंबर और इंजन नंबर को दस्तावेज़ों से मिलान किया जाता है। इसका मक़सद भविष्य में होने वाली किसी भी परेशानी से बचाव करना होता है, जैसे चोरी की स्थिति में गाड़ी की पहचान आसान बनाना और चेसिस व इंजन नंबर का आधिकारिक रिकॉर्ड रखना।
कई बार नई गाड़ी के स्थायी पंजीकरण में कुछ समय लग जाता है। ऐसे में अस्थायी पंजीकरण यानी टेम्पररी रजिस्ट्रेशन जारी किया जाता है, जिससे गाड़ी को कानूनी रूप से सड़कों पर चलाया जा सके। यह अस्थायी पंजीकरण 30 दिनों के लिए मान्य होता है, जिसके भीतर स्थायी पंजीकरण कराना ज़रूरी होता है। आवश्यकता पड़ने पर इसे अधिकतम दो बार बढ़ाया जा सकता है, उसके बाद जुर्माना लगाया जा सकता है।
नई गाड़ी का पंजीकरण सामान्य तौर पर जारी होने की तारीख़ से 15 वर्षों तक मान्य रहता है। हालांकि दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में डीज़ल वाहनों के लिए अलग नियम लागू हैं। वाहन का पंजीकरण नंबर पूरी उम्र तक वही रहता है, चाहे मालिक बदले। सिर्फ़ उस स्थिति में नंबर बदलता है, जब गाड़ी किसी दूसरे राज्य में नए मालिक के नाम ट्रांसफर होकर दोबारा रजिस्टर की जाती है।
भारत में नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

आमतौर पर नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन डीलरशिप ही RTO में मालिक की तरफ़ से करवा देती है। इसके अलावा, गाड़ी मालिक खुद भी यह प्रक्रिया पूरी कर सकता है या किसी एजेंट की मदद ले सकता है। अगर आपने गाड़ी किसी दूसरे राज्य से खरीदी है और उसे अपने राज्य में रजिस्टर कराना चाहते हैं, तो आपको खुद पंजीकरण प्रक्रिया करनी पड़ सकती है। कई मामलों में डीलर अस्थायी रजिस्ट्रेशन देकर गाड़ी सौंप देता है और फिर स्थायी रजिस्ट्रेशन की ज़िम्मेदारी मालिक की होती है।
भारत में नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करने के चरण इस प्रकार हैं:
- अपनी नई गाड़ी को नज़दीकी RTO ले जाएँ
- सभी ज़रूरी दस्तावेज़ साथ रखें और आवश्यक RTO फ़ॉर्म भरें
- वाहन पंजीकरण शुल्क और रोड टैक्स जमा करें
- Inspector of Motor Vehicles (IMV) द्वारा गाड़ी का निरीक्षण कराया जाता है, जिसमें चेसिस नंबर और इंजन नंबर का मिलान किया जाता है
- प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुछ समय में वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र आपके पंजीकृत पते पर भेज दिया जाता है
नई गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के लिए कौन-से दस्तावेज़ चाहिए?
नई गाड़ी के पंजीकरण के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ों की सूची पहली नज़र में लंबी लग सकती है, लेकिन एक-एक करके इकट्ठा करने पर यह प्रक्रिया आसान हो जाती है। चाहे पंजीकरण डीलर करे, एजेंट करे या आप खुद करें, नीचे दिए गए दस्तावेज़ अनिवार्य होते हैं:
- Form 20 या वाहन पंजीकरण आवेदन फ़ॉर्म
- Form 21 या बिक्री प्रमाण पत्र, जो डीलर जारी करता है
- डीलर द्वारा दिया गया नई गाड़ी का इनवॉइस
- आयातित वाहन के लिए Customs Clearance Certificate
- Form 51 या वैध वाहन बीमा प्रमाण पत्र
- Form 22 या रोडवर्थीनेस प्रमाण पत्र
- मालिक का पता प्रमाण: आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट या बिजली/गैस बिल
- मालिक की पहचान का प्रमाण: आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस
- डीलर द्वारा दिया गया अस्थायी पंजीकरण नंबर (TRN)
- Pollution Under Control Certificate (PUCC)
- चेसिस और इंजन नंबर की पेंसिल प्रिंट
- रोड टैक्स चालान
- वाहन मालिक की दो पासपोर्ट साइज फ़ोटो
- ₹4 लाख से ज़्यादा क़ीमत होने पर पैन का
- लोन पर खरीदी गई गाड़ी के लिए Form 34
वाहन पंजीकरण फ़ॉर्म
नई गाड़ी के पंजीकरण में इस्तेमाल होने वाले कई फ़ॉर्म Parivahan Sewa वेबसाइट या सीधे RTO से मिल सकते हैं। नीचे कुछ अहम फ़ॉर्म दिए गए हैं:
- Form 20: मोटर वाहन पंजीकरण के लिए आवेदन
- Form 20B: अस्थायी पंजीकरण अवधि बढ़ाने के लिए
- Form 21: बिक्री प्रमाण पत्र
- Form 22: रोडवर्थीनेस प्रमाण पत्र
- Form 51: बीमा प्रमाण पत्र
- Form 34: लोन हाइपोथेकशन एंट्री के लिए आवेदन
वाहन पंजीकरण शुल्क क्या होते हैं?
नई गाड़ी पर लगने वाले रोड टैक्स वाहन की क़ीमत, श्रेणी और राज्य पर निर्भर करते हैं, जबकि वाहन पंजीकरण शुल्क एक तयशुदा एकमुश्त शुल्क होता है। यह शुल्क वाहन के प्रकार, आकार और स्थानीय या आयातित होने पर आधारित होता है।
| श्रेणी | पंजीकरण शुल्क |
| Light Motor Vehicle (LMV) | ₹600 (नॉन-ट्रांसपोर्ट), ₹1,000 (ट्रांसपोर्ट) |
| Medium Passenger Vehicle | ₹1,000 |
| Heavy Passenger Vehicle | ₹1,500 |
| Imported Motor Vehicle | ₹5,000 |
| Motorcycle | ₹300 |
| Imported Motorcycle | ₹2,500 |
नई गाड़ी के रजिस्ट्रेशन की स्थिति कैसे देखें?
Parivahan पोर्टल के आने के बाद नई गाड़ी के पंजीकरण की स्थिति ऑनलाइन देखना आसान हो गया है। इसके लिए केवल दो चरण होते हैं:
- Parivahan वेबसाइट के “Application Status” सेक्शन पर जाएँ
- आवेदन संख्या डालें और “View Report” पर क्लिक करें
भारत में नई गाड़ियों की नंबर प्लेट से जुड़े नियम
Ministry of Road, Highways and Transport (MoRTH) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी नई गाड़ियों में High Security Registration Plate (HSRP) लगाना अनिवार्य है। ये नंबर प्लेट गाड़ी से इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़ी होती हैं और सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ डेटा संग्रह में भी मदद करती हैं।
HSRP नंबर प्लेट एल्यूमिनियम की बनी होती हैं, जिन पर INDIA लिखा हुआ विशेष फ़िल्म, अशोक चक्र होलोग्राम और 10 अंकों का यूनिक पिन लेज़र से उकेरा होता है। इन्हें विशेष रिवेट्स से गाड़ी में लगाया जाता है, जिससे इन्हें आसानी से हटाया या चोरी नहीं किया जा सकता। ये प्लेट सिर्फ़ RTO या अधिकृत डीलरशिप पर ही लगाई जाती हैं।
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