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SUV का बढ़ता दबदबा : क्या भारत में खत्म हो रहा है हैचबैक कारों का दौर ?
भारत में SUV की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, जिसके चलते हैचबैक कारों की मांग लगातार घट रही है। 2018 में, सड़कों पर चलने वाली कुल पैसेंजर वाहनों में हैचबैक का हिस्सा करीब 47.4% था, जबकि 2024 आते-आते यह संख्या घटकर सिर्फ 27.7% रह गई है। इसी तरह, वित्तीय वर्ष 2018 में कुल 32,28,581 पैसेंजर वाहनों में से 15,58,787 हैचबैक बेचे गए थे। लेकिन वित्तीय वर्ष 2024 में हैचबैक की बिक्री घटकर 11,68,593 रह गई, जबकि कुल बिक्री बढ़कर 42,18,746 पहुंच गई। इसका मतलब है कि हैचबैक की बिक्री में करीब 25% की कमी आई है।
क्या हैचबैक कारें अब पुराने जमाने की हो गई हैं?
विभिन्न कार कंपनियों ने भी 2023 से 2024 के बीच हैचबैक कारों की बिक्री में तेज गिरावट देखी है। मारुति सुजुकी के लोकप्रिय मॉडल स्विफ्ट और बलेनो की बिक्री में भी कमी आई है। जुलाई 2023 में स्विफ्ट की बिक्री 17,896 यूनिट थी, जबकि जुलाई 2024 में यह घटकर 16,854 हो गई, यानी करीब 5.82% की गिरावट। वहीं बलेनो की बिक्री में ज्यादा गिरावट हुई, जुलाई 2023 में 16,725 यूनिट बिकने के बाद जुलाई 2024 में यह घटकर 9,309 रह गई, जो लगभग 44.34% की बड़ी गिरावट है। सेलेरियो और इग्निस की बिक्री में भी क्रमशः 14.79% और 31.24% की कमी आई है।
टाटा मोटर्स के हैचबैक मॉडल भी इसी तरह की गिरावट देख रहे हैं। टियागो की बिक्री जुलाई 2023 में 8,982 यूनिट थी, जो जुलाई 2024 में घटकर 5,665 रह गई, यानी करीब 36.93% की कमी। अल्ट्रोज़ की बिक्री में और भी ज्यादा गिरावट देखी गई, जो जुलाई 2023 में 7,817 यूनिट से घटकर जुलाई 2024 में 3,444 यूनिट रह गई, यह लगभग 55.94% की भारी कमी है।
कुल मिलाकर, हैचबैक कारों की मांग में कमी साफ दिख रही है, और ग्राहक अब ज्यादा बड़े और फीचर्स वाली SUV की ओर बढ़ रहे हैं।
SUV – अब लोगों की पहली पसंद!
ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि भारत में हैचबैक कारों की मांग कम हो रही है, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है? असल वजह ये है कि अब ज्यादा लोग SUV की तरफ झुकाव रखते हैं। खासकर 4 मीटर से कम लंबाई वाली SUVs जैसे Hyundai Venue, Kia Sonet, Nissan Magnite और Renault Kiger के आने के बाद ये रुझान और मजबूत हुआ है। हैचबैक कारों की कीमतें पिछले कुछ सालों में खासकर प्रीमियम सेगमेंट में काफी बढ़ गई हैं, जबकि 4 मीटर से कम लंबाई वाली SUVs की कीमतें सिर्फ 10 से 20% ज्यादा होती हैं। ये बातें SUV की बिक्री बढ़ने में सबसे बड़ी वजह हैं। साथ ही, SUVs में ज्यादा जगह होती है और उनका सड़क पर दबदबा भी बेहतर होता है, इसलिए लोग इन्हें ज्यादा पसंद करते हैं।
क्यों बढ़ रही हैं SUVs की बिक्री?
क्रॉसओवर स्टाइल की SUVs बनाने में भी खर्च ज्यादा नहीं आता, और कंपनीज इन्हें ज्यादा कीमत पर बेच पाती हैं क्योंकि ग्राहक इस बढ़ी हुई कीमत को देने को तैयार होते हैं। इससे निर्माता को अच्छा मुनाफा होता है। इसी वजह से आज के ज़माने में ज्यादातर कार ब्रांड हैचबैक और सेडान की बजाय SUVs और क्रॉसओवर को ज्यादा प्रमोट करते हैं।
हैचबैक का भविष्य क्या होगा?
हालांकि हैचबैक की मांग पिछले कुछ सालों में घट रही है, लेकिन बड़े निर्माता जैसे मारुति सुजुकी का मानना है कि आने वाले समय में फिर से इस सेगमेंट की मांग बढ़ेगी। मारुति सुजुकी के वरिष्ठ अधिकारी शशांक श्रीवास्तव के मुताबिक, महंगाई, कच्चे माल की बढ़ती कीमतें और कड़े नियमों की वजह से हैचबैक की मांग कम हुई है। लेकिन उनका ये भी कहना है कि अगर आमदनी बढ़ती है और अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ती है, तो 2026 के दूसरे हिस्से में हैचबैक का बाजार फिर से मजबूत हो सकता है।
तो फिलहाल तो SUV का ज़माना है, लेकिन हैचबैक कारें भी आने वाले वक्त में फिर से अपनी जगह बनाने को तैयार हैं।


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