Autoverse Logo
Ad
stars
Ad Slot
Ad Slot

Blink blink !
Its almost here

फीचर की गई फोटो

गाड़ी खरीदने से पहले जानें उसका एक्सीडेंट हिस्ट्री – आसान तरीका 2025

23 Jul 2025
1 मिनट में पढ़ें
Key highlights
  • 1
    सेकंड हैंड कार खरीदते समय उसकी एक्सीडेंट हिस्ट्री जांचना एक बेहद ज़रूरी कदम है
  • 2
    मार्केट वैल्यू से कम दाम में मिलने वाली कार एक्सीडेंटल हो सकती है – सतर्क रहें
  • 3
    सर्विस हिस्ट्री और अनुभवी मैकेनिक की जांच से ही एक्सीडेंट की सच्चाई पता चलती है
आउटलाइन

भारत में पहली बार इस्तेमाल की गई कार खरीदना कई लोगों के लिए थोड़ा जटिल अनुभव हो सकता है। खरीदार अक्सर यह सोचते हैं कि कौन-सी सेकंड हैंड कार खरीदें, कहां से खरीदें — सीधे ओनर से या किसी डीलर से। सबसे बड़ी चिंता यह होती है कि कहीं कोई ऐसी कार तो न ले लें जिसमें पहले से कोई छिपी हुई बड़ी खराबी हो, जो आगे चलकर भारी खर्चा करवा दे। और कई बार ये खराबियाँ पुराने एक्सीडेंट्स की वजह से होती हैं।

 

अगर आपको यह जानकारी हो कि भारत में किसी गाड़ी का एक्सीडेंट हिस्ट्री कैसे चेक करें, तो यह पूरा इस्तेमाल की गई कार खरीदने का प्रोसेस काफ़ी आसान लगने लगता है।

 

बेशक, आप CARS24 जैसे भरोसेमंद प्लेटफॉर्म से भी अपनी पसंद की सेकंड हैंड कार खरीद सकते हैं और सुनिश्चित रह सकते हैं कि कार पूरी तरह जांची-परखी हुई है। यहां हर कार को 140+ पैमानों पर अच्छे से इंस्पेक्ट करके ही लिस्ट किया जाता है। लेकिन अपनी तरफ से भी सही जांच-पड़ताल करना ज़रूरी है, ताकि आप पूरी तरह निश्चिंत हो सकें।

 

इसीलिए इस गाइड में हम आपको बताएँगे कि भारत में किसी गाड़ी का एक्सीडेंट रिकॉर्ड कैसे जानें, किस वेबसाइट या सिस्टम से यह जानकारी मिल सकती है, और एक एक्सीडेंटल व्हीकल को कैसे पहचानें।

 

एक्सीडेंटल व्हीकल क्या होता है?

 

सीधे शब्दों में कहें तो एक्सीडेंटल व्हीकल वो गाड़ी होती है जो अपने लाइफटाइम में कभी न कभी एक्सीडेंट का शिकार हुई हो। ऐसे एक्सीडेंट छोटे भी हो सकते हैं (जैसे कार के बंपर पर खरोंच या डेंट) और बड़े भी (जैसे चेसिस को नुकसान या मेकेनिकल फेल्योर)।

 

भारत में खराब रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रैफिक की भीड़ और नियमों के पालन की कमी की वजह से एक्सीडेंट होना कोई नई बात नहीं है। ज़्यादातर मामलों में एक्सीडेंट की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि टक्कर कितनी तेज़ गति पर हुई, किन वाहनों में हुई और कौन-सी दिशा से हुई।

 

जैसे अगर एक छोटी हैचबैक कार की किसी बड़ी SUV से हल्की टक्कर हो जाए, तो हैचबैक को काफ़ी नुकसान हो सकता है जबकि SUV को मामूली स्क्रैच आए।

 

बीमा कंपनी एक्सीडेंटल व्हीकल को कैसे डील करती है?

 

अगर किसी बीमाकृत (इंश्योर्ड) वाहन का एक्सीडेंट होता है, तो बीमा कंपनी पहले नुकसान का आकलन करती है और फिर तय करती है कि वाहन की मरम्मत की जाएगी या नहीं।

 

  • अगर नुकसान कम है, तो उसे सेल्वेज़ (मरम्मत योग्य) माना जाएगा और कार को रिपेयर कर दिया जाता है।
  • लेकिन अगर नुकसान बहुत ज्यादा है और रिपेयर की लागत वाहन के IDV (Insured Declared Value) से अधिक है, तो बीमा कंपनी उस गाड़ी को टोटल लॉस घोषित कर देती है।
     

ऐसे मामलों में बीमा कंपनी वाहन मालिक को बाजार मूल्य का भुगतान करके वाहन को अपने पास ले लेती है और उसे स्क्रैप यार्ड में भेज देती है। स्क्रैप यार्ड तय करता है कि गाड़ी को दोबारा चलने लायक बनाया जाए या स्क्रैप कर दिया जाए।

 

जब एक्सीडेंटल कार को दोबारा तैयार कर बेचा जाए

 

यह सबसे ख़तरनाक स्थिति होती है — जब कोई गाड़ी जिसे टोटल लॉस माना गया हो, उसे किसी ने मरम्मत करके दोबारा बिक्री के लिए तैयार कर दिया हो।

 

  • अगर मरम्मत अच्छे से नहीं की गई है या नकली पार्ट्स का इस्तेमाल हुआ है, तो गाड़ी आगे चलकर बार-बार टूट सकती है या फिर सड़क पर चलाना ही रिस्की हो सकता है।
  • एक गलत तरीके से ठीक की गई एक्सीडेंटल कार एक टाइम बम की तरह होती है — जो कभी भी फेल हो सकती है।
     

इसीलिए यह जानना बेहद ज़रूरी है कि जिस गाड़ी को आप खरीद रहे हैं, उसकी एक्सीडेंट हिस्ट्री क्या रही है।

 

क्या आप भी सेकंड हैंड कार खरीदने की सोच रहे हैं?
तो CARS24 के ऑटो कम्युनिटी CLUTCH से जुड़िए और जानिए इस्तेमाल की गई कारों को लेकर जानकारों की राय, चर्चाएँ और अनुभव।

 

भारत में कार के एक्सीडेंट हिस्ट्री की जांच कैसे करें?

 

भारत में इस्तेमाल की गई कारों के बाज़ार में बहुत सी अनैतिक गतिविधियाँ होती हैं, जिनसे बचना ज़रूरी है। इनमें ओडोमीटर छेड़छाड़ से लेकर, एक्सीडेंटल गाड़ियों को नॉन-एक्सीडेंटल बताकर बेचना शामिल है। लेकिन अगर आपको पता है कि गाड़ी की हिस्ट्री कैसे जांचें, तो आप ऐसी धोखाधड़ी से बच सकते हैं।

 

यहाँ कुछ आसान स्टेप्स दिए गए हैं, जिन्हें किसी भी सेकंड हैंड कार की जांच से पहले ज़रूर अपनाना चाहिए:

 

1. गाड़ी की बाहरी जांच करें

 

car inspection

 

कार को चारों ओर से अच्छे से चेक करें। ध्यान दें कि कहीं पेंटिंग, बॉडी लाइन या पैनल में कोई असमानता या बदलाव तो नहीं दिख रहा। इससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि गाड़ी में कोई एक्सीडेंट हुआ था और उसकी मरम्मत की गई है।

सुझाव: अगर संभव हो तो किसी भरोसेमंद मैकेनिक या कार एक्सपर्ट को साथ ले जाएँ।

 

2. पेंट की गुणवत्ता की जाँच करें

 

paint

 

अगर गाड़ी के किसी हिस्से पर फिर से पेंट किया गया है, तो उसका रंग बाकी बॉडी पैनलों से थोड़ा अलग हो सकता है। कभी-कभी देखने में रंग एक जैसा लगेगा, लेकिन पेंट की फिनिश में ‘ऑरेंज पील’ जैसा टेक्सचर दिख सकता है। इसके अलावा, बोनट के नीचे, डोर जॉइंट और बूट के किनारों पर पेंट ओवरस्प्रे की तलाश करें।

 

3. पैनल गैप्स को चेक करें

 

panel gap in cars

 

अगर एक्सीडेंट के बाद पैनल रिपेयर या रिप्लेस किए गए हैं, तो उनमें गैप असमान हो सकते हैं या वो सही से फिट न हों। ये संकेत देते हैं कि उस हिस्से की मरम्मत हुई है — और अगर गैप बहुत गड़बड़ हैं, तो रिपेयरिंग स्टैंडर्ड भी कमजोर रहा होगा।

 

4. अंडरबॉडी की जांच करें

 

गाड़ी के नीचे का हिस्सा देखें। आमतौर पर यहाँ पर रिपेयरिंग में उतनी बारीकी नहीं बरती जाती। वेल्डिंग के निशान, कहीं से चेसिस को हथौड़े से सीधा किया गया हो, मेटल में क्रीज़, पेंट का उखड़ना, या जंग लगना — ये सभी संकेत हो सकते हैं कि गाड़ी को एक्सीडेंट के बाद रिपेयर किया गया है।

 

5. गाड़ी के शीशों की जांच करें

 

सारे ग्लास एरिया — जैसे विंडशील्ड, रियर विंडशील्ड और खिड़कियाँ — को देखें। सभी ग्लास पर एक जैसे मैन्युफैक्चरर के मार्किंग या सीरियल नंबर होने चाहिए। अगर किसी ग्लास पर अलग सीरियल नंबर है, तो वह बदला गया हो सकता है।

 

6. बैजेस (Logo/नाम) देखें

 

कई बार पूरी बॉडी पेंट करते समय कार के बैज निकाल दिए जाते हैं। अगर किसी पैनल पर बैज ज़्यादा नया या चमकीला है, या ठीक से जगह पर नहीं है — तो यह भी एक्सीडेंट के बाद पेंटिंग का संकेत हो सकता है।

 

7. सीधे मालिक से पूछें

 

अगर आप गाड़ी किसी डाइरेक्ट ओनर से खरीद रहे हैं, तो बिना हिचक पूछें कि गाड़ी कभी एक्सीडेंट में रही है या नहीं। अगर हाँ, तो पूछें कि क्या-क्या रिप्लेस हुआ, क्या चेसिस को नुकसान पहुंचा, कौन-कौन से पैनल रीपेंट हुए हैं।

 

8. व्हीकल आईडी नंबर (VIN) मिलान करें

 

गाड़ी के कागज़ों पर दर्ज Vehicle Identification Number (VIN) और इंजन नंबर को गाड़ी पर खुद मौजूद नंबर से मिलाएं। VIN आमतौर पर इंजन बे में या डैशबोर्ड के किनारे लिखा होता है, और इंजन नंबर इंजन ब्लॉक पर उकेरा होता है।

 

9. सर्विस रिकॉर्ड चेक करें

 

अगर आपके पास गाड़ी का VIN है, तो उससे आप गाड़ी का सर्विस रिकॉर्ड चेक कर सकते हैं। ज़्यादातर ब्रांड्स के सर्विस सेंटर पर जाकर पता लगाया जा सकता है कि किस पार्ट की मरम्मत हुई है, कब हुई है, और क्यों हुई है।

 

ध्यान दें: अगर कोई बड़ी चीज़ जैसे हेडलाइट, बंपर, इंजन पार्ट आदि जल्दी बदले गए हैं — तो यह एक्सीडेंट के संकेत हो सकते हैं।

 

10. बीमा कंपनी से क्लेम रिकॉर्ड जांचें

 

अगर संभव हो, तो मौजूदा या पहले के इंश्योरेंस प्रोवाइडर से यह जानकारी लें कि क्या गाड़ी पर कोई बड़ा इंश्योरेंस क्लेम हुआ था। अगर हाँ, तो ये साफ संकेत है कि गाड़ी एक्सीडेंट में शामिल रही है।

 

किसी गाड़ी का एक्सीडेंट हिस्ट्री चेक करना क्यों ज़रूरी है?

 

जब आप सेकंड हैंड कार खरीद रहे हों, तो गाड़ी के अतीत को समझना आपको आगे आने वाले सरप्राइज से बचा सकता है। किसी भी गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री उसके सुरक्षा स्तर, परफॉर्मेंस और मेंटेनेंस लागत को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। अगर किसी गाड़ी को पहले बड़ा नुकसान हुआ हो, तो वह बाद में आपके लिए एक खर्चीला सौदा साबित हो सकता है।

 

सुरक्षा से कोई समझौता नहीं

 

अगर किसी गाड़ी को तेज़ एक्सीडेंट में नुकसान पहुँचा हो, तो उसका स्ट्रक्चर, एयरबैग्स, इलेक्ट्रॉनिक सेफ्टी सिस्टम्स या सस्पेंशन जैसे अहम पार्ट्स कमजोर हो सकते हैं। ऐसे में गाड़ी का व्यवहार अनप्रेडिक्टेबल हो सकता है, जिससे दुर्घटना का खतरा और बढ़ जाता है।

 

इंश्योरेंस प्रीमियम ज़्यादा हो सकता है

 

एक्सीडेंटल व्हीकल्स पर अक्सर इंश्योरेंस कंपनियाँ ज्यादा प्रीमियम चार्ज करती हैं। यानी हर साल गाड़ी बीमा पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।

 

मेंटेनेंस में अधिक खर्च

 

भले ही खरीदते समय गाड़ी में कोई दिक्कत न दिखे, लेकिन एक्सीडेंटल गाड़ियों में खराबी आने की संभावना ज़्यादा होती है। इससे आपकी जेब पर लगातार असर पड़ सकता है।

 

रीसैल वैल्यू घट जाती है

 

अगर गाड़ी किसी अधिकृत सर्विस सेंटर से ठीक की गई हो, तो उसकी वैल्यू थोड़ी बेहतर हो सकती है। लेकिन आम तौर पर एक्सीडेंटल गाड़ियों की कीमत कम हो जाती है, चाहे रिपेयरिंग कितनी भी प्रोफेशनल क्यों न हो। इसलिए अगर आपको गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री पता हो, तो आप इसे बेस्ट प्राइस पाने के लिए एक बर्गेनिंग टूल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

भारत में किसी गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री कहां और कैसे चेक करें?

 

भारत में गाड़ी बेचने वाले को यह बताना कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है कि गाड़ी एक्सीडेंटल है या नहीं। इसलिए यह ज़िम्मेदारी पूरी तरह से खरीदार की होती है कि वह पूरी जांच-पड़ताल करे।

 

अधिकृत सर्विस सेंटर (ASC)

 

आप सबसे पहले उस गाड़ी के सर्विस रिकॉर्ड्स को देखें। ज़्यादातर लोग वारंटी के दौरान गाड़ी को ASC में ही सर्विस कराते हैं। अगर कोई सर्विस रिकॉर्ड गायब है या किसी रिपेयरिंग बिल में असामान्य चार्जेस दिख रहे हैं, तो सतर्क हो जाएँ।

 

इंश्योरेंस कंपनी

 

जिस कंपनी ने गाड़ी का मौजूदा या पिछला बीमा किया है, वो भी जानकारी का अच्छा स्रोत है। अगर किसी गाड़ी पर बड़े क्लेम किए गए हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि गाड़ी कभी किसी एक्सीडेंट का शिकार हुई थी।

 

निष्कर्ष

 

हालाँकि एक्सीडेंटल हिस्ट्री की जांच के लिए कई तरीक़े हैं, लेकिन ज़्यादातर नियम और सतर्कता के उपाय किसी भी सेकंड हैंड गाड़ी पर लागू होते हैं। लेकिन इस प्रोसेस को और आसान बनाने के लिए एक स्मार्ट तरीका है — CARS24 की कार हिस्ट्री रिपोर्ट

 

इस रिपोर्ट में आपको मिलती है:

  • सर्विस हिस्ट्री
  • एक्सीडेंटल हिस्ट्री 
  • पार्ट्स रिप्लेसमेंट डिटेल्स 
  • और भी बहुत कुछ
     

अगर आप चाहते हैं कि आपकी सेकंड हैंड कार खरीदने की प्रक्रिया पूरी तरह से भरोसेमंद और आसान हो, तो CARS24 की इन्वेंटरी ज़रूर चेक करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सभी को बड़ा करें
Q. भारत में गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर कैसे मिलता है?
Q. क्या RTO वेबसाइट से गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री चेक की जा सकती है?
Q. क्या प्राइवेट वेबसाइट्स पर यह जानकारी मिलती है?
Q. क्या गाड़ी बेचते समय एक्सीडेंटल हिस्ट्री बताना ज़रूरी है?
Q. एक्सीडेंटल हिस्ट्री जानने का क्या महत्व है?
Q. ऑनलाइन हिस्ट्री चेक करने के लिए क्या जानकारी चाहिए होती है?
Q. क्या एक्सीडेंट हिस्ट्री से गाड़ी की वैल्यू पर असर पड़ता है?
Ad
stars
Ad Slot

Blink blink !
Its almost here

car image
Ad
stars
Ad Slot

Blink blink !
Its almost here

car image