

पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करवाने के क्या नियम हैं? जानिए भारत की स्क्रैप पॉलिसी
- 115 साल पुरानी कमर्शियल और 20 साल पुरानी प्राइवेट गाड़ियां स्क्रैप की जाएंगी
- 2वाहन स्क्रैप करने पर सरकार दे रही है टैक्स रिबेट और रजिस्ट्रेशन चार्ज माफी
- 3भारत में 70 से अधिक मान्यता प्राप्त वाहन स्क्रैप सेंटर काम कर रहे हैं
भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति (Vehicle Scrappage Policy) वर्ष 2021 में लागू की गई थी। इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना और सड़क सुरक्षा को बढ़ाना है, जिसके तहत पुराने और अनुपयोगी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है। इस नीति के तहत, व्यावसायिक (कमर्शियल) वाहनों की अधिकतम आयु 15 वर्ष और निजी वाहनों की 20 वर्ष तय की गई है। नीति का मकसद सिर्फ पर्यावरण की रक्षा ही नहीं बल्कि नए, आधुनिक और ईंधन-कुशल वाहनों की बिक्री बढ़ाकर ऑटोमोबाइल उद्योग को भी बढ़ावा देना है। आइए जानते हैं कि यह नीति क्या है, कैसे काम करती है, और इसका आप पर क्या असर पड़ता है।
भारत की व्हीकल स्क्रैपेज नीति की प्रमुख बातें
श्रेणी | सरकारी वाहन | व्यावसायिक वाहन | निजी वाहन | विंटेज या क्लासिक वाहन |
अधिकतम आयु सीमा (पंजीकरण की तारीख से) | 15 वर्ष | 15 वर्ष | 20 वर्ष | कोई सीमा नहीं |
पुनः पंजीकरण संभव? | नहीं | हाँ (फिटनेस टेस्ट पास करने के बाद) | हाँ (फिटनेस टेस्ट पास करने के बाद) | विंटेज/क्लासिक श्रेणी में पंजीकरण अनिवार्य |
स्क्रैप कहाँ करें? | पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (RVSF) पर | RVSF पर | RVSF पर | मरम्मत-असमर्थ होने पर ही RVSF पर |
अपवाद | रक्षा/सुरक्षा संस्थानों के महत्वपूर्ण वाहन | आवश्यक सेवाओं में लगे वाहन | विंटेज/क्लासिक वाहन | लागू नहीं |
भारत की व्हीकल स्क्रैपेज नीति क्या है?
वाहन स्क्रैपेज नीति के कई प्रमुख उद्देश्य हैं –
- पुराने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना, जो शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण हैं।
- ईंधन दक्षता में सुधार करना और आयातित ईंधन पर निर्भरता घटाना; साथ ही हरित विकल्पों को प्रोत्साहन देना।
- अनुपयोगी/असुरक्षित वाहनों को संचालन से हटाकर सड़क सुरक्षा बढ़ाना ताकि यांत्रिक खराबी या पुरानी/अनुपस्थित सुरक्षा प्रणालियों से होने वाले हादसे कम हों।
- नए वाहनों की मांग और रीसाइक्लिंग क्षेत्र में अवसर बढ़ाकर आर्थिक विकास को गति देना।
- संसाधनों के कुशल प्रबंधन को बढ़ावा देना — स्क्रैप वाहनों से निकले स्टील, प्लास्टिक, रबर आदि का अन्य उद्योगों में पुनः उपयोग।
सरकारी वाहनों के लिए दिशा-निर्देश

भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति के तहत सरकारी वाहनों पर कड़े नियम लागू किए गए हैं ताकि पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को समय पर हटाया जा सके। इन नियमों का उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता और संसाधनों के कुशल प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
15 साल बाद स्क्रैपिंग:
सभी सरकारी वाहन — सार्वजनिक उपक्रम (PSU), स्वायत्त निकाय और नगर निगमों के वाहन सहित — 15 वर्ष की सेवा पूरी होने पर स्क्रैप किए जाएंगे। यह नियम वाहन की स्थिति/उपयोग इतिहास से इतर लागू होगा और ऐसे वाहनों का पुनः पंजीकरण नहीं होगा।
फिटनेस टेस्ट से छूट:
सरकारी वाहनों को, निजी या व्यावसायिक वाहनों के विपरीत, फिटनेस टेस्ट से नहीं गुजरना होगा।
रक्षा और सुरक्षा वाहनों के लिए अपवाद:
रक्षा/सुरक्षा एजेंसियों में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में लगे वाहनों को मामले-दर-मामला आधार पर छूट मिल सकती है, ताकि गैर-महत्वपूर्ण वाहनों का उचित पुनःउपयोग/निपटान हो सके।
व्यावसायिक वाहनों के लिए दिशा-निर्देश

भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति (Vehicle Scrappage Policy) यह सुनिश्चित करती है कि व्यावसायिक वाहन, जो वायु प्रदूषण में सबसे अधिक योगदान देते हैं, सख्त फिटनेस और अनुपालन मानदंडों का पालन करें। इन नियमों का उद्देश्य सड़क सुरक्षा में सुधार करना, उत्सर्जन कम करना और वाहनों को नए, हरित विकल्पों में परिवर्तित करने को प्रोत्साहित करना है।
15 वर्ष बाद अनिवार्य फिटनेस टेस्ट:
- पंजीकरण की तारीख से 15 वर्ष पूरे होने पर व्यावसायिक वाहनों को फिटनेस टेस्ट कराना आवश्यक है।
- इस टेस्ट में वाहन की संरचनात्मक मजबूती, इंजन प्रदर्शन, उत्सर्जन स्तर और सुरक्षा मानकों की जांच की जाती है।
- जो वाहन इस टेस्ट में फेल होते हैं, उन्हें मरम्मत कराकर दोबारा परीक्षण कराया जा सकता है।
- बार-बार असफल होने वाले वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया जाता है और उन्हें स्क्रैप करना अनिवार्य होता है।
स्वैच्छिक स्क्रैपिंग के लिए प्रोत्साहन:
- सड़क कर (रोड टैक्स) में रियायतें, पंजीकरण शुल्क से छूट, और नए वाहन खरीदने पर निर्माताओं द्वारा छूट जैसी सुविधाएँ मिल सकती हैं।
नियमों का उल्लंघन करने पर दंड:
- भारी जुर्माने, वाहन जब्ती, और अनिवार्य स्क्रैपिंग जैसी सख्त कार्रवाइयाँ नीति के उल्लंघन को रोकती हैं।
अपवाद:
- सार्वजनिक परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं में उपयोग किए जाने वाले वाहनों को कुछ विशेष परिस्थितियों में छूट दी जा सकती है।
निजी वाहनों के लिए दिशा-निर्देश

भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति निजी वाहन मालिकों को पुराने मॉडल वाहनों को बदलकर सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करती है। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य केवल सड़क योग्य (roadworthy) वाहनों को संचालन की अनुमति देना है, साथ ही अनुपयोगी वाहनों को स्वैच्छिक स्क्रैपिंग के लिए प्रोत्साहन देना है।
20 वर्ष बाद अनिवार्य फिटनेस टेस्ट:
- पंजीकरण की तारीख से 20 वर्ष पूरे होने पर निजी वाहनों को फिटनेस टेस्ट कराना आवश्यक है।
- यह परीक्षण ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (ATS) पर कराया जाएगा, जहाँ वाहन की संरचनात्मक स्थिति, उत्सर्जन स्तर और सुरक्षा मानकों का मूल्यांकन किया जाएगा।
- ATS के माध्यम से परीक्षण परिणाम अधिक सटीक और पारदर्शी होते हैं।
- जो वाहन टेस्ट में असफल होते हैं, उनके मालिक उन्हें मरम्मत करा सकते हैं, लेकिन बार-बार असफल होने या अत्यधिक मरम्मत लागत की स्थिति में वाहन को पुनः परीक्षण के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा।
फिट वाहनों का पुनः पंजीकरण:
- जो वाहन फिटनेस टेस्ट पास कर लेते हैं, उन्हें पुनः पंजीकृत किया जा सकता है, लेकिन उन्हें अधिक सख्त मानकों और उच्च पंजीकरण शुल्क व करों का पालन करना होगा।
- वर्तमान में, दिल्ली-एनसीआर में निजी वाहनों का पंजीकरण उनकी समय सीमा पूरी होने के बाद नवीनीकृत नहीं किया जा सकता।
स्क्रैपिंग और रीसाइक्लिंग:
- जो वाहन अनुपयुक्त (unfit) घोषित किए जाते हैं, उन्हें पुनः पंजीकृत या सड़क पर चलाया नहीं जा सकता और उन्हें पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (RVSF) में स्क्रैप किया जाना अनिवार्य है।
स्वैच्छिक स्क्रैपिंग के लिए प्रोत्साहन:
- सड़क कर में छूट, पंजीकरण शुल्क से राहत, और नए वाहन की खरीद पर निर्माता या डीलर से मिलने वाली विशेष छूटें शामिल हैं।
विंटेज या क्लासिक कारों के लिए अपवाद:
- सांस्कृतिक या ऐतिहासिक महत्व वाली विंटेज या क्लासिक कारें इस नीति से मुक्त हैं। इनके लिए अलग दिशा-निर्देश लागू होते हैं, जो ऐसे वाहनों के संरक्षण और विशेष पंजीकरण के लिए बनाए गए हैं।
विंटेज और क्लासिक वाहनों के लिए दिशा-निर्देश

विंटेज और क्लासिक वाहनों के सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति (Vehicle Scrappage Policy) इनके संरक्षण के लिए विशेष छूट प्रदान करती है। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य जिम्मेदार स्वामित्व सुनिश्चित करना और भारत की ऑटोमोटिव विरासत को संरक्षित करना है।
विंटेज और क्लासिक वाहनों की परिभाषा:
- विंटेज वाहन: ऐसे वाहन जो निर्माण तिथि से 50 वर्ष या उससे अधिक पुराने हैं और जिनका इंजन, बॉडी और डिज़ाइन अपने मूल रूप में मौजूद है।
- क्लासिक वाहन: ऐसे वाहन जिनका ऐतिहासिक महत्व है, और जिन्हें अधिकृत प्राधिकरण द्वारा इस श्रेणी में मान्यता प्राप्त है, चाहे उनकी आयु कुछ भी हो।
स्क्रैपेज नीति से छूट:
- सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या सौंदर्यात्मक मूल्य वाले वाहनों को अनिवार्य स्क्रैपिंग से छूट दी गई है।
- विंटेज और क्लासिक वाहनों को अनिवार्य फिटनेस टेस्ट या आयु-आधारित पंजीकरण नवीनीकरण की आवश्यकता नहीं होती।
विशेष पंजीकरण और सीमित उपयोग:
- इन वाहनों को उनकी श्रेणी के अनुसार पंजीकृत किया जाना चाहिए और इन्हें एक विशिष्ट पंजीकरण नंबर प्लेट दी जाती है।
- इनका उपयोग केवल प्रदर्शनियों, परेडों, और सांस्कृतिक या विरासत संबंधी आयोजनों तक सीमित है। नियमित सड़क उपयोग की अनुमति नहीं है।
विशेष परिस्थितियों में स्क्रैपिंग की अनुमति:
- केवल तब स्क्रैप किया जा सकता है जब वाहन इतनी क्षतिग्रस्त स्थिति में हो कि उसे मरम्मत करना असंभव हो, या जब उसका संरक्षण व्यावहारिक रूप से संभव न हो।
वाहन स्क्रैपेज नीति के लाभ
भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति के लाभ अनेक हैं। आइए विस्तार से देखें कि इससे कौन लाभान्वित होता है और कैसे।
वाहन मालिकों के लिए:
- आर्थिक लाभ: पुराने वाहनों को स्क्रैप करने पर मालिकों को नए वाहनों पर छूट, कर रियायतें और पंजीकरण शुल्क से छूट जैसी सुविधाएँ मिलती हैं, जिससे नए वाहन में अपग्रेड करना किफायती हो जाता है।
- रखरखाव लागत में कमी: पुराने वाहनों को नए मॉडलों से बदलने पर बार-बार मरम्मत की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे बेहतर विश्वसनीयता और दीर्घकालिक बचत होती है।
- बेहतर सुरक्षा: आधुनिक वाहनों में नवीनतम सुरक्षा फीचर्स होते हैं, जो चालक और यात्रियों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
पर्यावरण के लिए:

- वायु प्रदूषण में कमी: पुराने, अधिक उत्सर्जन वाले वाहनों को हटाने से कार्बन मोनोऑक्साइड और सूक्ष्म कणों जैसे हानिकारक प्रदूषकों में कमी आती है, जिससे वायु गुणवत्ता सुधरती है।
- ध्वनि प्रदूषण में कमी: नई तकनीक वाले आधुनिक वाहन पुराने मॉडलों की तुलना में कम शोर करते हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण घटता है।
- ऑटोमोटिव सामग्री का सतत पुनर्चक्रण: नीति के तहत स्क्रैप किए गए वाहनों से स्टील, एल्युमिनियम और प्लास्टिक जैसी सामग्रियों को पुनर्चक्रित किया जाता है, जिससे कच्चे माल की आवश्यकता घटती है और पर्यावरणीय क्षरण में कमी आती है।
अर्थव्यवस्था के लिए:
- विभिन्न उद्योगों के लिए प्रोत्साहन: स्क्रैप वाहनों के पुर्जों के पुनर्चक्रण से स्टील, रबर, एल्युमिनियम और प्लास्टिक जैसे उद्योगों को लाभ होता है। इसके अलावा बैटरी, टायर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स बनाने वाले उद्योग भी पुन: उपयोग योग्य सामग्रियों से लाभान्वित होते हैं।
- रोजगार के नए अवसर: वाहन निर्माण, रीसाइक्लिंग, परिवहन और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में नई नौकरियाँ सृजित होती हैं। प्रमाणित स्क्रैपिंग केंद्रों में भी डिसमेंटलिंग, सॉर्टिंग और रीसाइक्लिंग प्रक्रियाओं में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
भारत की स्क्रैपेज नीति के तहत वाहन स्क्रैपिंग की प्रक्रिया के चरण

भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति के तहत किसी वाहन को स्क्रैप करना एक व्यवस्थित और पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य पुराने और अनुपयोगी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना है। इस प्रक्रिया में वाहन का डि-रजिस्ट्रेशन (deregistration), सुरक्षित रूप से उसे डिसमेंटल (dismantle) करना, और उसके घटकों को रीसायकल (recycle) करना शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि वाहन मालिक अपने पुराने वाहनों को जिम्मेदारी से निपटा सकें और साथ ही टैक्स रियायतों और नए वाहन पर छूट जैसी प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ उठा सकें। जब कोई वाहन स्क्रैप के लिए निर्धारित होता है, तो निम्नलिखित चरण पूरे करने आवश्यक होते हैं।
1. पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (RVSF) ढूंढें
सड़क परिवहन मंत्रालय की RVSF वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में भारत के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 70 से अधिक पंजीकृत स्क्रैपिंग सुविधाएँ संचालित हैं। मंत्रालय की वेबसाइट से आप अपने निकटतम स्क्रैपिंग सेंटर का पता लगा सकते हैं।
2. वाहन निरीक्षण (Vehicle Inspection)
स्क्रैपिंग केंद्र वाहन की पहचान सत्यापित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षण करता है कि वह सभी स्क्रैपिंग नियमों का पालन कर रहा है। इसमें यह जांचना शामिल है कि वाहन पर कोई बकाया या आपराधिक मामला लंबित तो नहीं है।
3. वाहन सौंपना और स्क्रैपिंग (Handover and Scrapping)
वाहन के स्क्रैप मूल्य पर सहमति बनने के बाद, मालिक वाहन को स्क्रैपिंग सेंटर में सौंप देता है, जहाँ इसे अलग-अलग हिस्सों में तोड़ा जाता है। इस दौरान स्टील, प्लास्टिक और एल्युमिनियम जैसे घटकों को पुनर्चक्रण के लिए अलग किया जाता है, जबकि हानिकारक पदार्थों का सुरक्षित निपटान किया जाता है।
4. जमा प्रमाणपत्र (Certificate of Deposit - CD)
RVSF द्वारा वाहन स्क्रैप करने के बाद एक Certificate of Deposit (CD) जारी किया जाता है। इस प्रमाणपत्र को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में प्रस्तुत करके वाहन को उनके रिकॉर्ड से डि-रजिस्टर कराया जाता है।
यह CD नए वाहन की खरीद पर छूट और पंजीकरण व रोड टैक्स में रियायत पाने के लिए भी उपयोगी होती है। यदि आप नया वाहन खरीदने की योजना नहीं बना रहे हैं, तो यह प्रमाणपत्र RVSF वेबसाइट पर ट्रेड (Trade) भी किया जा सकता है, जहाँ अन्य लोग इसे खरीदकर इन लाभों का उपयोग कर सकते हैं।
5. संबंधित RTO में वाहन डि-रजिस्टर कराना
वाहन को डि-रजिस्टर कराने के लिए संबंधित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में आवेदन करें। इसके लिए वाहन का पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC), बीमा की प्रति, मालिक का पहचान प्रमाण (ID Proof) और Certificate of Deposit (CD) जैसी आवश्यक दस्तावेज़ जमा करने होते हैं।
भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ
हालाँकि यह नीति आशाजनक है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ व्यावहारिक चुनौतियाँ सामने आई हैं।
1. सीमित स्क्रैपिंग अवसंरचना (Limited Scrapping Infrastructure):
पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाओं (RVSF) की संख्या अभी भी बहुत कम है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, वर्तमान में केवल 70 से अधिक RVSF कार्यरत हैं, जबकि देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अभी ये उपलब्ध नहीं हैं।
2. उच्च प्रारंभिक लागत (High Initial Costs):
नई कार खरीदने की लागत, भले ही सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिए गए हों, कई मालिकों को अपने वाहन बदलने से रोकती है।
3. प्रवर्तन में अक्षमता (Inefficiencies in Enforcement):
फिटनेस टेस्ट और डि-रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं को सख्ती से लागू करने के लिए मज़बूत व्यवस्था की आवश्यकता है, जो फिलहाल पूरी तरह विकसित नहीं हो पाई है।
4. जागरूकता की कमी (Lack of Awareness):
अभी भी कई वाहन मालिक इस नीति, इसके लाभों और स्क्रैपिंग प्रक्रिया के बारे में अनभिज्ञ हैं, जिससे इसका प्रसार धीमा हो रहा है।
वाहन मालिकों के लिए सुझाव

भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति (Vehicle Scrappage Policy) वाहन मालिकों को अपने पुराने वाहनों को जिम्मेदारी से सेवानिवृत्त (retire) करने का अवसर देती है, साथ ही कई लाभ भी प्रदान करती है। लेकिन इन लाभों का पूरा फायदा उठाने के लिए उचित तैयारी आवश्यक है।
पात्रता की जाँच करें (Check Eligibility):
अपने वाहन की उम्र और फिटनेस स्थिति की जाँच करें ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि वह नीति के तहत स्क्रैपिंग के लिए पात्र है या नहीं। सटीक जानकारी के लिए RTO रिकॉर्ड या VAHAN पोर्टल का उपयोग करें।
दस्तावेज़ों का रखरखाव (Maintaining Records):
फिटनेस प्रमाणपत्र, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) और अन्य दस्तावेज़ों को अद्यतन रखें। सही दस्तावेज़ीकरण वाहन के डि-रजिस्ट्रेशन और स्क्रैपिंग प्रक्रिया को सुगम बनाता है।
प्रोत्साहन का लाभ उठाएँ (Availing Incentives):
सुनिश्चित करें कि Certificate of Deposit (CD) और deregistration proof जैसे सभी आवश्यक दस्तावेज पूरे हों। ये दस्तावेज़ टैक्स रिबेट्स और नए वाहन पर छूट जैसे लाभ पाने के लिए अनिवार्य हैं।
भारत में वाहन स्क्रैपेज नीति का भविष्य
भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति देश के ऑटोमोबाइल और रीसाइक्लिंग क्षेत्रों में एक स्थायी परिवर्तन लाने के लिए तैयार है। पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाओं (RVSFs) के विस्तार और जनता में जागरूकता बढ़ाकर यह नीति पुराने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने का लक्ष्य रखती है।
RVSF की वृद्धि और रीसाइक्लिंग तकनीकों में प्रगति संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा देगी। इससे स्टील, एल्युमिनियम और प्लास्टिक जैसी सामग्रियों की बेहतर रिकवरी संभव होगी। यह नीति संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs) को भी समर्थन देती है, क्योंकि यह प्रदूषण नियंत्रण और संसाधन संरक्षण दोनों को प्रोत्साहित करती है।
भविष्य में, इस नीति के अगले संस्करणों में व्यापक जागरूकता अभियान, अधिक वित्तीय प्रोत्साहन, और सख्त प्रवर्तन तंत्र शामिल किए जा सकते हैं ताकि अधिक से अधिक लोग इसमें भाग ले सकें। इस व्यापक दृष्टिकोण से भारत में एक स्वच्छ, हरित और अधिक स्थायी परिवहन प्रणाली विकसित होने की उम्मीद है।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारत की वाहन स्क्रैपेज नीति एक दूरदर्शी पहल है, जो प्रदूषण, सड़क सुरक्षा और संसाधन दक्षता जैसी महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाती है और सतत विकास को समर्थन देती है।
यह नीति व्यक्तिगत स्तर पर वाहन मालिकों को आर्थिक लाभ, रखरखाव लागत में कमी और आधुनिक, सुरक्षित वाहनों के माध्यम से बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है। पर्यावरण के दृष्टिकोण से यह वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करती है तथा सामग्रियों के सतत पुनर्चक्रण को बढ़ावा देती है।
आर्थिक दृष्टि से, यह नीति ऑटोमोबाइल निर्माण और रीसाइक्लिंग जैसे उद्योगों को प्रोत्साहित करती है, नए रोजगार सृजित करती है और देश की विदेशी ईंधन पर निर्भरता को कम करती है।
पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाकर, यह नीति भारत के लिए एक स्वच्छ, सुरक्षित और अधिक समृद्ध भविष्य की दिशा में मार्ग प्रशस्त करती है।
और एक बात अगर आप दिल्ली-NCR में रहते हैं तो आप अपनी डीजल कार 10 साल बाद नहीं चला सकते। इस नियम के लागू होने के बाद आपके पास दो ही विकल्प बचते हैं या तो आप अपनी कार स्क्रैप करवाओ या फिर उसे किसी छोटे शहर में बेचो। और अपनी कार को स्क्रैप में बेचने से बढ़िया है कि उसे बेच दिया जाए। टियर-2 या टियर-3 शहरों में अपनी डीजल कार बेचने से सम्बन्धित मार्गदर्शन के लिए हमारा आर्टिकल 10 साल पुरानी डीजल कार कैसे बेचें? जानिए नियम और विकल्प पढ़ें।
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