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नई कार डिलीवरी के वक्त क्या चेक करें? PDI चेकलिस्ट की पूरी जानकारी
- 1PDI का मतलब है डिलीवरी से पहले कार की खामियों की जांच
- 2PDI डीलर करता है, लेकिन आपको भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रक्रिया सही हुई हो
- 3प्री-डिलीवरी चेकिंग जितनी अच्छी होगी, आगे उतनी कम परेशानी होगी
नई कार खरीदने का जोश अलग ही होता है, लेकिन उस जोश में अगर आपने कार की जांच अच्छे से नहीं की तो छोटी सी चूक बाद में बड़ी परेशानी बन सकती है। डीलरशिप से अपनी नई कार लेने से पहले एक ज़रूरी स्टेप होता है – Pre-Delivery Inspection (PDI) यानी कार की पूरी तरह से जांच पड़ताल।
PDI का मकसद है ये सुनिश्चित करना कि आपकी कार सही से काम कर रही है और उसमें कोई डिफेक्ट या कमी नहीं है। इसमें बाहरी बॉडी पैनल्स, पेंटवर्क, लाइट्स, इंजन, टायर्स, ब्रेक्स और इलेक्ट्रिकल सिस्टम जैसे हिस्सों की जांच की जाती है। इससे यह पक्का होता है कि कार बिल्कुल वैसी ही है जैसी कंपनी ने वादा किया था।
Pre-Delivery Inspection (PDI) क्या होता है?
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PDI यानी प्री-डिलीवरी इंस्पेक्शन एक प्रक्रिया है जिसमें डीलरशिप आपकी नई कार की अंदर से लेकर बाहर तक अच्छे से जांच करती है। ये जांच इसलिए होती है ताकि अगर फैक्ट्री में किसी वजह से कोई गड़बड़ी रह गई हो तो वो डिलीवरी से पहले ठीक की जा सके।
हर कंपनी की अपनी PDI गाइडलाइन्स होती हैं, लेकिन आमतौर पर इनमें ये बातें शामिल होती हैं:
- इंजन ऑयल, कूलेंट और वॉशर फ्लूड का लेवल जांचना और ज़रूरत होने पर भरना
- बाहरी और अंदरूनी हिस्सों को अच्छी तरह से साफ़ करना
- हेडलाइट्स और टेललाइट्स का फ़ंक्शन और अलाइनमेंट चेक करना
- टायर्स, व्हील्स, नट-बोल्ट टाइट करना और सही प्रेशर भरना
- सीट बेल्ट्स और सभी वार्निंग लाइट्स की जांच
- टेस्ट ड्राइव लेकर व्हील अलाइनमेंट, ब्रेक्स और सस्पेंशन की परफॉर्मेंस को जांचना
PDI के दौरान बाहरी हिस्सों की चेकलिस्ट:
नई कार की खुद से जांच करने में डरने की ज़रूरत नहीं है। आप नीचे दिए गए आसान बिंदुओं की मदद से सुनिश्चित कर सकते हैं कि सब कुछ ठीक है या नहीं:
- कार की जांच खुले और अच्छी रौशनी वाली जगह पर करें, ताकि हर एंगल साफ दिखे
- बॉडी पैनल्स में कोई गैप, मिसअलाइनमेंट या डेंट तो नहीं
- पेंटवर्क में स्क्रैच, कलर डिफरेंस, ओवरस्प्रे या दाग तो नहीं
- दरवाज़े, बोनट और बूट आसानी से खुलते-बंद होते हैं या नहीं
- चाबी और स्पेयर की से डोर लॉक/अनलॉक सही से हो रहे हैं या नहीं
- सभी लाइट्स जैसे हेडलाइट्स, फॉग लैंप्स, टेललाइट्स, इंडिकेटर्स और पडल लैंप्स (अगर हैं) चालू हो रहे हैं या नहीं
- बूट में टूलकिट, जैक और स्पेयर टायर सही कंडीशन में है या नहीं
- इंजन बे में कोई लीक, लटकते वायर या धूल तो नहीं – गंदा इंजन बे टेस्ट ड्राइव वाली गाड़ी की निशानी हो सकती है
- सभी डॉक्यूमेंट्स पर लिखा इंजन नंबर और VIN नंबर कार से मेल खाता है या नहीं
PDI के दौरान इंटीरियर की चेकलिस्ट:
जैसे बाहर की जांच ज़रूरी है, वैसे ही कार के अंदर की भी। आखिर, आपको कार के अंदर ही ज्यादा वक़्त बिताना है:
- सभी सीट्स सही से एडजस्ट हो रही हैं, चाहे मैनुअल हो या इलेक्ट्रिक
- स्टीयरिंग टिल्ट और टेलीस्कोपिक फंक्शन ठीक से काम कर रहा है या नहीं
- स्टार्ट करते समय इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर की सभी वार्निंग लाइट्स ऑन होती हैं या नहीं
- सभी विंडोज़ ऊपर-नीचे सही से जा रही हैं या नहीं
- सनरूफ (अगर है) अच्छे से ओपन और क्लोज हो रहा है या नहीं
- सीट कवर, डैशबोर्ड और डोर पैनल्स पर स्क्रैच, कट या दाग नहीं हैं
- ओडोमीटर पर दिख रहे किलोमीटर 50 से ज्यादा नहीं होने चाहिए (टेस्ट ड्राइव के लिए 10-15 KM तक हो सकता है)
सुझाव:
नई कार की डिलीवरी लेने के दौरान ऊपर दिए गए हर पॉइंट को ध्यान से जांचें। अगर कोई भी चीज़ संदिग्ध लगे, तो डीलर से तुरंत बात करें और सब कुछ लिखित में लें। याद रखिए, एक बार कार की डिलीवरी लेने के बाद किसी भी दिक्कत को साबित करना मुश्किल हो सकता है।
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इलेक्ट्रिकल सिस्टम के लिए PDI चेकलिस्ट
आजकल की कारों में ढेरों इलेक्ट्रॉनिक फीचर्स होते हैं और इन्हीं के कारण कई बार वारंटी क्लेम्स भी देखने को मिलते हैं। नीचे दी गई चेकलिस्ट को ध्यान में रखते हुए आप डिलीवरी से पहले ही किसी संभावित गड़बड़ी को पकड़ सकते हैं:
- कार के अंदर से सभी लाइटिंग सिस्टम चालू करके जांचें कि इंडिकेटर और वार्निंग लाइट्स सही से काम कर रही हैं या नहीं
- एसी या क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम ऑन करें, कूलिंग ठीक है या नहीं ये जांचें; साथ ही कार के नीचे कोई लीक तो नहीं हो रहा (कंडेन्सेशन की कुछ बूंदें सामान्य हैं)
- डैशबोर्ड के सभी बटन और स्विच एक-एक करके दबाकर देखें
- हॉर्न को दबाकर जांचें कि वो तेज़ और एकसमान आवाज़ कर रहा है या नहीं
- वाइपर और वॉशर स्प्रे को चालू करें और उसके स्प्रे व वाइप फंक्शनिंग को देखें
- इंफोटेनमेंट और ऑडियो सिस्टम को टेस्ट करें — स्क्रीन, साउंड आउटपुट और रिस्पॉन्स सब कुछ देखें
- ओडोमीटर की रीडिंग चल रही है या नहीं, ये ज़रूर चेक करें
इंजन फ्लूड्स की PDI चेकलिस्ट
ये चेकलिस्ट छोटी ज़रूर है, लेकिन सबसे अहम है — क्योंकि आपकी कार की परफॉर्मेंस इन फ़्लूड्स पर निर्भर करती है:
- इंजन ऑयल — डिपस्टिक से चेक करें, स्तर अधिकतम निशान से ऊपर न हो
- कूलेंट लेवल — रेडिएटर रिज़रव में मिंस/मैक्स के बीच होना चाहिए
- ब्रेक फ़्लूड — ब्रेक फ़्लूड कंटेनर में स्तर मिंस/मैक्स के बीच होना चाहिए
- विंडशील्ड वॉशर फ़्लूड — पूरा भरा हुआ होना चाहिए
टेस्ट ड्राइव के दौरान चेक करने वाले पॉइंट्स
टेस्ट ड्राइव से आपको ये अंदाज़ा लगता है कि कार असल में सड़क पर कैसा चलती है। यहां कुछ जरूरी बातें:
- कोशिश करें कि ट्रैफिक कम हो तो आराम से टेस्ट ड्राइव कर सकें
- इंजन स्टार्ट करें और ध्यान दें कि कोई अजीब आवाज़ तो नहीं आ रही
- कार पूरी तरह से वॉर्मअप हो रही है या नहीं, टेम्परेचर गेज मिड तक आना चाहिए
- क्लच और गियर शिफ्ट को ध्यान से चेक करें — स्मूथ होना चाहिए
- स्पीड ब्रेकर या गड्ढों से गुज़रते हुए कोई ढीली चीज़ की आवाज़ न हो
- खाली सड़क पर ABS ब्रेकिंग चेक करें — ब्रेक दबाने के बावजूद कार को स्टीयर किया जा सके
डुप्लिकेट चाबी की जांच

हर नई कार के साथ दो चाबी मिलती है — एक मेन और एक स्पेयर। कई बार स्पेयर की थोड़ी अलग हो सकती है (जैसे फॉब)। दोनों चाबियों से कार को लॉक/अनलॉक कर के देखें और दरवाज़े में डालकर भी जांचें कि दोनों फिट होती हैं या नहीं।
ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स की PDI चेकलिस्ट
डिलिवरी के समय ये सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि सभी दस्तावेज़ पूरे और सही हों:
- इनवॉइस — मॉडल, वेरिएंट, चेसिस/VIN और इंजन नंबर शामिल हो
- RTO डॉक्यूमेंट्स — चेसिस और इंजन नंबर इससे मैच करने चाहिए
- पेमेंट रसीदें — कार, रोड टैक्स, एक्सेसरीज़, रजिस्ट्रेशन आदि की
- इंश्योरेंस डिटेल्स
- रजिस्ट्रेशन — इंजन/चेसिस नंबर मिलना चाहिए
- वॉरंटी/एक्सटेंडेड वॉरंटी पेपर्स
- RSA (रोडसाइड असिस्टेंस) की कॉपी
- ऑनर मैनुअल और सर्विस बुकलेट
- PUC सर्टिफिकेट
निष्कर्ष
PDI यानी Pre-Delivery Inspection को हल्के में न लें। ये सिर्फ 30-60 मिनट की प्रक्रिया है, लेकिन ये तय करता है कि आप जो कार ले रहे हैं वो तकनीकी, क़ानूनी और उपयोग के हिसाब से बिल्कुल ठीक है या नहीं। अगर आप ये चेकलिस्ट फ़ॉलो करते हैं, तो बाद में किसी भी तरह की परेशानी से बच सकते हैं।
और अगर आप नई कार लेने की सोच ही रहें हैं तो आपको भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों के बारे में पता होना चाहिए। क्योंकि इन कारों को जानकर ही आपको पता चलेगा कि आजकल ट्रेंड में क्या चल रहा है और लोगों को कौनसी गाड़ियां पसंद आ रही हैं। तो अभी पढ़िए हमारा आर्टिकल भारत में सबसे ज़्यादा बिकने वाली कारें ।
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