

इन गैरकानूनी कार मॉडिफिकेशन्स से बचे – पुलिस की रडार पर आ सकते हैं आप!
- 1कार मॉडिफिकेशन की कीमत इस पर निर्भर करती है कि आपने कौन-सा पार्ट बदला है
- 2भारत में काफी कार मॉडीफिकेशन गैरकानूनी माने गए हैं
- 3भारत में मॉडिफिकेशन तभी मान्य है जब वह सेफ्टी और टेक्निकल स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरे
- क्या भारत में कार मॉडिफाई करना कानूनी है?
- इंजन से जुड़े बदलाव
- वाहन संरचना (Vehicle Structure) में बदलाव
- अपनी कार मॉडिफाई करने से पहले किन बातों का ध्यान रखें
- भारत में कानूनी कार मॉडिफिकेशन कौन से हैं?
- भारत में आम गैरकानूनी कार मॉडिफिकेशन और उनके परिणाम
- क्यों कुछ कार मॉडिफिकेशन बैन होते हैं
- अपनी कार को कानूनी तरीके से कैसे मॉडिफाई करें
- कार का रंग बदलने की RTO प्रक्रिया
- कार मॉडिफिकेशन का इंश्योरेंस पर असर
- निष्कर्ष
भारत में कार खरीदना एक बड़ा निवेश माना जाता है, और आजकल कारों को अपनी पसंद के हिसाब से मॉडिफाई करने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। लोग अपनी गाड़ियों को कस्टम पार्ट्स और डिज़ाइन के साथ यूनिक बनाना चाहते हैं ताकि उनकी कार बाकी भीड़ से अलग दिखे।
हालांकि, हर मॉडिफिकेशन कानूनी नहीं होता। कुछ मॉडिफिकेशन कानूनन मान्य हैं, लेकिन कई बदलावों पर रोक है और इसके पीछे ठोस कारण भी हैं। ये पाबंदियाँ आपकी और सड़क पर दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगाई गई हैं। साथ ही, गैरकानूनी मॉडिफिकेशन कराने पर ट्रैफिक पुलिस की ओर से जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
तो सवाल यह है कि कौन-से बदलाव किए जा सकते हैं और किनसे बचना चाहिए? इस गाइड में हम विस्तार से समझेंगे कि भारत में कौन-से कार मॉडिफिकेशन गैरकानूनी माने जाते हैं।
क्या भारत में कार मॉडिफाई करना कानूनी है?

भारत के Motor Vehicles Act 1988 के तहत कार मॉडिफिकेशन के लिए साफ़ गाइडलाइंस तय की गई हैं। इन गाइडलाइंस के अनुसार केवल कुछ हिस्सों में बदलाव कानूनी रूप से किए जा सकते हैं।
इस एक्ट की सेक्शन 52 के मुताबिक, कार मालिक अपने वाहन के उन स्पेसिफिकेशन को नहीं बदल सकते जो रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में दर्ज हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपकी कार का रंग RC में सफेद दर्ज है, तो बिना RTO की अनुमति लिए उसे किसी और रंग में बदलना गैरकानूनी है।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप रंग ही नहीं बदल सकते। आप RTO से अनुमति लेकर अपनी कार को किसी दूसरे रंग में पेंट करा सकते हैं और उसके बाद RC को अपडेट कराना अनिवार्य होगा।
इंजन से जुड़े बदलाव
कुछ मॉडिफिकेशन इंजन से जुड़े भी हो सकते हैं और ये कानूनी हैं।
- इंजन या उसके पार्ट्स को बदला जा सकता है, जैसे पेट्रोल से CNG, बैटरी या सोलर पावर में कन्वर्ज़न।
- इंजन कंपोनेंट्स को रिप्लेस या मॉडिफाई किया जा सकता है।
लेकिन ध्यान रहे, यह सब तभी मान्य होगा जब ये बदलाव सुरक्षा मानकों और उत्सर्जन नियमों का पालन करें और आपको RTO की मंजूरी भी लेनी होगी।
मॉडिफिकेशन के बाद आपके वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को अपडेट कराना ज़रूरी है, ताकि सभी बदलाव आधिकारिक रूप से दर्ज हों।
वाहन संरचना (Vehicle Structure) में बदलाव
वाहन की संरचना यानी स्ट्रक्चर में बदलाव करना आमतौर पर प्रतिबंधित है। गाड़ी की लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई या चेसिस से छेड़छाड़ करना कानूनी दायरे में नहीं आता, क्योंकि इससे गाड़ी की सुरक्षा और सड़क पर स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
अपनी कार मॉडिफाई करने से पहले किन बातों का ध्यान रखें
कार मॉडिफिकेशन अपने वाहन को पर्सनलाइज करने का एक बढ़िया तरीका है। लेकिन किसी भी बदलाव से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है।
- सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए। खासकर अगर आप परफॉर्मेंस मॉडिफिकेशन कर रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि इससे आपकी और दूसरों की सुरक्षा प्रभावित न हो।
- कोई भी बदलाव करने से पहले RTO (Regional Transport Office) से अनुमति लेना ज़रूरी है।
- अगर आप बड़े बदलाव कर रहे हैं, तो अपनी कार की इंश्योरेंस कंपनी को इसकी सूचना दें, वरना क्लेम करते समय समस्या आ सकती है।
- मॉडिफिकेशन से आपकी कार की रीसेल वैल्यू बदल सकती है—यह सकारात्मक भी हो सकती है और नकारात्मक भी, यह किए गए बदलाव पर निर्भर करता है।
भारत में कानूनी कार मॉडिफिकेशन कौन से हैं?
भारत में कुछ बदलाव कानूनी रूप से किए जा सकते हैं, लेकिन इनमें भी सीमाएँ और नियम तय हैं। आइए देखते हैं:
1. एक्सटीरियर मॉडिफिकेशन
- स्टिकर्स या डेकल्स लगाना पूरी तरह कानूनी है, क्योंकि इससे सुरक्षा मानकों पर असर नहीं पड़ता।
- अगर आप कार का रंग बदलना चाहते हैं, तो इसके लिए RTO से अनुमति लेना अनिवार्य है और नई रंग की जानकारी RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) में अपडेट करानी होगी।
2. टायर मॉडिफिकेशन
- फैक्ट्री फिटेड टायर पसंद न होने पर आप उन्हें बदल सकते हैं, बशर्ते कि नए टायर पुराने टायर की लोड क्षमता, स्पीड रेटिंग और चौड़ाई से मेल खाते हों।
- अलॉय व्हील्स पर कोई रोक नहीं है। जब तक वे स्ट्रक्चरल रूप से मजबूत हैं और कार की परफॉर्मेंस सुरक्षित रखते हैं, आप किसी भी डिज़ाइन और साइज के अलॉय व्हील्स इस्तेमाल कर सकते हैं।
3. लाइटिंग मॉडिफिकेशन
- हेडलाइट्स और टेल-लाइट्स अपग्रेड करना कानूनी है। ब्राइट हेडलाइट्स रात में विज़िबिलिटी बेहतर करती हैं।
- लेकिन ध्यान रहे कि उनकी ब्राइटनेस इतनी न हो कि सामने से आ रहे ड्राइवर की आँखें चौंधिया जाएँ।
- हैलोजन लैंप्स को सफेद LEDs से बदलना स्वीकार्य है, लेकिन नीले, हरे या लाल रंग की हेडलाइट्स गैरकानूनी हैं।
4. इंटीरियर मॉडिफिकेशन
- जब तक वाहन की संरचना (स्ट्रक्चर) से समझौता नहीं किया जाता, इंटीरियर में किसी भी तरह का बदलाव किया जा सकता है।
- इसमें बेहतर साउंड सिस्टम, नया इंफोटेनमेंट स्क्रीन, सीट कवर या डैशबोर्ड पर एक्सेसरीज़ शामिल हो सकते हैं।
- हालांकि, सुरक्षा को ध्यान में रखना जरूरी है। उदाहरण के लिए, स्टीयरिंग कवर लगाना ठीक है, लेकिन यह एयरबैग सिस्टम में बाधा नहीं डालना चाहिए।
5. इंजन मॉडिफिकेशन

- अपनी कार में CNG किट लगाना कानूनी है, बशर्ते इसे RTO में रजिस्टर कराया जाए और RC अपडेट की जाए।
- Motor Vehicles Act 1988 के अनुसार, इंजन रिप्लेसमेंट भी कानूनी है, लेकिन इसके लिए दो शर्तें पूरी करनी होंगी:
- नए इंजन की स्पेसिफिकेशन पुराने इंजन से मेल खानी चाहिए।
- RTO की मंजूरी लेना अनिवार्य है।
- इंजन ट्यूनिंग के जरिए हॉर्सपावर और टॉर्क बढ़ाना तभी मान्य होगा जब यह सुरक्षा और उत्सर्जन मानकों का पालन करे।
- Motor Vehicles Act 1988 की सेक्शन 52 के तहत, कार मालिक को किसी भी मॉडिफिकेशन की सूचना 14 दिनों के भीतर RTO को देनी होती है।
भारत में आम गैरकानूनी कार मॉडिफिकेशन और उनके परिणाम
हालांकि कार में कुछ बदलाव कानूनी रूप से किए जा सकते हैं, लेकिन कई मॉडिफिकेशन पूरी तरह से गैरकानूनी हैं और इनसे बचना चाहिए। आइए जानते हैं कौन-से मॉडिफिकेशन अवैध हैं और इनके क्या परिणाम हो सकते हैं।
1) वाहन की संरचना में बदलाव
किसी भी कार को पब्लिक रोड पर चलाने से पहले निर्माता कई तरह के सेफ्टी टेस्ट करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसकी संरचना (स्ट्रक्चर) दुर्घटना के समय यात्रियों की सुरक्षा कर सके। अगर आप चेसिस या फ्रेम में बदलाव करते हैं, तो यह सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। ऐसा करने पर स्थानीय प्राधिकरण आपकी कार का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है और लाइसेंस भी निरस्त किया जा सकता है।
2) आफ्टरमार्केट हॉर्न
गाड़ी में आफ्टरमार्केट हॉर्न लगाना कानूनी है, लेकिन सरकार ने इसकी सीमा तय की है। हॉर्न का शोर 100 डेसिबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इससे ज्यादा शोर वाले हॉर्न पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
3) डिज़ाइनर रजिस्ट्रेशन प्लेट्स

भारत में 1 अप्रैल 2019 से सभी वाहनों पर HSRP (High Security Registration Plate) लगाना अनिवार्य है। ये एल्यूमिनियम प्लेट्स होती हैं, जिन पर क्रोमियम के साथ हॉट-स्टैम्पिंग की जाती है। इनमें 10 अंकों का यूनिक PIN और होलोग्राम होता है। इन्हें लेज़र रिकग्निशन सिस्टम और ANPR कैमरों से ट्रैक किया जा सकता है।
अगर आपकी गाड़ी की नंबर प्लेट HSRP मानकों से अलग है, तो आपको जुर्माना भरना पड़ेगा।
4) विंडो टिंट्स
पूरी तरह से डार्क शीशे भारत में अवैध हैं। कानून के अनुसार:
- विंडस्क्रीन की विज़िबिलिटी कम से कम 70% होनी चाहिए।
- साइड विंडो की विज़िबिलिटी कम से कम 50% होनी चाहिए।
5) आफ्टरमार्केट एग्जॉस्ट
फैक्ट्री-फिटेड एग्जॉस्ट को बदलकर नया लगाना कानूनी है, लेकिन इसके लिए RTO की अनुमति जरूरी है। साथ ही नए एग्जॉस्ट का शोर स्तर 100 डेसिबल से कम होना चाहिए। अगर यह सीमा पार करता है, तो यह गैरकानूनी माना जाएगा।
6) आफ्टरमार्केट सस्पेंशन सिस्टम
सस्पेंशन को बदलना आमतौर पर ग्राउंड क्लीयरेंस बदलने या राइड क्वालिटी सुधारने के लिए किया जाता है। लेकिन फैक्ट्री-फिटेड सस्पेंशन सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाता है।
- अगर आप सिर्फ राइड हाइट बढ़ाना चाहते हैं, तो यह सीमित हद तक कानूनी है।
- कानूनी सीमा जानने के लिए RTO से जानकारी लेना जरूरी है।
- ध्यान रहे, राइड हाइट बदलने से कार की हैंडलिंग प्रभावित हो सकती है और यह खतरनाक साबित हो सकता है।
7) टिंटेड हेडलाइट्स
हैलोजन लैंप्स को LED यूनिट्स से बदलना कानूनी है। लेकिन हेडलाइट्स में नीला, लाल, हरा जैसे रंगीन टिंट्स लगाना पूरी तरह अवैध है।
8) इंजन स्वैप
कार के इंजन को बड़े या छोटे इंजन से बदलना भारत में गैरकानूनी है।
- कानूनी तौर पर आप सिर्फ वही इंजन लगा सकते हैं जिसकी स्पेसिफिकेशन आपके पुराने इंजन से मेल खाती हो।
- इसके लिए RTO की मंजूरी लेना जरूरी है।
- नया इंजन लगाने के बाद RC में इंजन नंबर अपडेट करना अनिवार्य है।
क्यों कुछ कार मॉडिफिकेशन बैन होते हैं
भारत में कार मॉडिफाई करने के कई तरीके हैं। ये बदलाव छोटे भी हो सकते हैं और बड़े भी, और उनके असर के आधार पर ये कानूनी या गैरकानूनी माने जाते हैं।
किसी मॉडिफिकेशन की कानूनी स्थिति तय करने में मुख्य रूप से तीन बातें देखी जाती हैं:
- सुरक्षा (Safety)
- पर्यावरण पर असर (Environmental Impact)
- भरोसेमंद प्रदर्शन (Reliability)
अगर कोई मॉडिफिकेशन इनमें से किसी भी पहलू को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, तो उसे गैरकानूनी माना जाएगा।
उदाहरण के लिए, अपनी कार के हैलोजन बल्ब्स को LED यूनिट्स से बदलना कानूनी है, क्योंकि इससे विज़िबिलिटी बेहतर होती है। लेकिन अगर LED की ब्राइटनेस तय सीमा से ज्यादा है, या उनमें नीला, लाल या हरा जैसे रंगीन टिंट्स लगाए गए हैं, तो यह अवैध है। इसका कारण यह है कि ऐसी लाइटें दूसरों को चौंका सकती हैं, उनकी आँखें चौंधिया सकती हैं और इससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
अपनी कार को कानूनी तरीके से कैसे मॉडिफाई करें
हालांकि लगता है कि कार मॉडिफाई करने में बहुत सी पाबंदियाँ हैं, लेकिन सही प्रक्रिया अपनाकर आप कार को अपनी पसंद के हिसाब से बदल सकते हैं और इसे पूरी तरह कानूनी रख सकते हैं।
- सबसे पहले RTO से अनुमति लेना जरूरी है। किसी भी तरह का मॉडिफिकेशन करने से पहले यह देखना ज़रूरी है कि इससे आपकी और दूसरों की सुरक्षा पर कोई बुरा असर न हो।
- RTO की गाइडलाइंस इस प्रक्रिया में आपकी मदद करेंगी।
- साथ ही, किसी वेरिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लेना भी अच्छा विकल्प है। वे आपको बताएंगे कि कौन-सा मॉडिफिकेशन कानून के भीतर है और कौन-सा नहीं।
कार का रंग बदलने की RTO प्रक्रिया
भारत में कार मालिकों द्वारा सबसे आम मॉडिफिकेशन में से एक है कार का रंग बदलना। लेकिन सिर्फ कार को रीपेंट कराना काफी नहीं है। आपकी कार का असली रंग रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में दर्ज होता है और यह वाहन की प्रमुख स्पेसिफिकेशन का हिस्सा है।

Motor Vehicle Act के अनुसार, अगर आप कार का रंग बदलना चाहते हैं तो इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया पूरी करनी होगी:
Step 1
‘Notice of Alteration to a Motor Vehicle’ फॉर्म डाउनलोड करें (यह RTO से भी लिया जा सकता है)। इसमें अपनी कार के रजिस्ट्रेशन से जुड़ी सभी सही जानकारी भरें।
Step 2
अपने RTO जाएँ, निर्धारित शुल्क जमा करें और जहां ज़रूरी हो वहां अधिकारी से हस्ताक्षर करवाएँ। ध्यान रहे, कार का रंग बदलने की अनुमति देना RTO अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है।
Step 3
एक बार RTO की मंजूरी मिलने के बाद अपनी कार को नए रंग में पेंट कराएँ। इसके बाद अपनी RC लेकर RTO वापस जाएँ ताकि उसे नए रंग की जानकारी के साथ अपडेट किया जा सके।
Step 4
अंत में, आपको अपनी इंश्योरेंस कंपनी को भी कार के नए रंग की जानकारी देनी होगी। ऐसा न करने पर गलत जानकारी देने के लिए आपको पेनल्टी भुगतनी पड़ सकती है।
कार मॉडिफिकेशन का इंश्योरेंस पर असर
कार इंश्योरेंस प्रीमियम कई फैक्टर्स पर आधारित होता है, जैसे कि कार का मेक, मॉडल, स्पेसिफिकेशन, माइलेज, मार्केट प्राइस आदि। जब किसी इंश्योर्ड कार में मॉडिफिकेशन किया जाता है, तो ये पैरामीटर्स बदल जाते हैं और प्रीमियम की गणना भी प्रभावित होती है।
अगर कार में बड़े बदलाव किए जाते हैं, तो इंश्योरेंस कंपनियाँ प्रीमियम बढ़ा देती हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी कार में आफ्टरमार्केट एग्जॉस्ट सिस्टम लगाया जाता है, तो टेक्निकली इसका मतलब होता है कि कार ज्यादा पावरफुल हो गई है और दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है। भले ही यह लॉजिक एकतरफा लगे, लेकिन इंश्योरेंस कंपनी इस स्थिति में प्रीमियम बढ़ा सकती है।
दूसरी ओर, अगर कार में बेहतर सेफ्टी फीचर्स और एडवांस्ड टेक फीचर्स लगाए गए हैं, जो दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करते हैं, तो ऐसी गाड़ियों पर कम प्रीमियम लगने की संभावना रहती है।
निष्कर्ष
भारत में कार मॉडिफाई करने के कई तरीके हैं। लेकिन मॉडिफिकेशन करने से पहले यह समझना जरूरी है कि वे कानूनी हैं या नहीं। गैरकानूनी मॉडिफिकेशन पर लगी पाबंदियों का उद्देश्य आपकी और सड़क पर दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही, वाहन की विश्वसनीयता और पर्यावरणीय प्रभाव भी इन नियमों के पीछे अहम कारण हैं।
फिर भी, भारत में कानूनी तौर पर कार को कस्टमाइज करने के लिए काफी विकल्प मौजूद हैं। और अगर आप कार मॉडीफिकेशन के बारे में मेरी राय पूछें तो मैं सबसे पहले अपनी पुरानी कार में अलॉय व्हील्स् लगवाना पसंद करूंगा। अलॉय व्हील लगवाने से मेरी कार की खूबसूरती तो बढ़ेगी ही, साथ की साथ व्हील बेस को मजबूती भी मिलेगी। अगर आप भी मेरी राय से सहमत हैं तो अभी पढ़िए हमारा आर्टिकल भारत के बेहतरीन अलॉय व्हील्स् ।