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Best Car Engines in India Exploring Their Power, Efficiency and Reliability
Best Car Engines in India Exploring Their Power, Efficiency and Reliability

कौन-सा कार इंजन है बेस्ट? जानिए टॉप मॉडल और उनके सीक्रेट्स

17 Jul 2025
Key highlights
  • 1
    बड़े इंजन ज़्यादा पावर देते हैं, लेकिन उनका फ्यूल खर्च भी ज़्यादा होता है
  • 2
    ज़्यादा हॉर्सपावर का मतलब है ज़्यादा रफ़्तार और बेहतर एक्सीलरेशन
  • 3
    ज़्यादा टॉर्क से गाड़ी की एक्सीलरेशन क्षमता बेहतर होती है
आउटलाइन

कार का इंजन उसका ‘दिल’ होता है — और अगर आप सोच रहे हैं कि आपकी अगली कार का इंजन कैसा होना चाहिए, लेकिन जानकारी कहां से लें ये समझ नहीं आ रहा, तो आप बिलकुल सही जगह पर आए हैं। कार इंजन की जटिल तकनीकें सुनने में तो रॉकेट साइंस जैसी लग सकती हैं, लेकिन हम यहां उसे आसान भाषा में समझा रहे हैं ताकि आप अपनी मौजूदा या अगली कार के इंजन को बेहतर तरीके से जान सकें।

 

कार इंजन पर असर डालने वाले प्रमुख कारक

 

एक कार के इंजन की परफॉर्मेंस कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है। ये फैक्टर्स तय करते हैं कि आपकी ड्राइविंग का अनुभव मज़ेदार होगा या परेशान करने वाला। लेकिन यह जानना ज़रूरी है कि आपकी ज़रूरत के अनुसार किन बातों पर ध्यान देना ज़्यादा ज़रूरी है। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति पावर को प्राथमिकता देता है, उसके लिए मानदंड अलग होंगे बनिस्बत उस व्यक्ति के जो माइलेज या पर्यावरण के प्रति जागरूक है।

नीचे हम इंजन पर असर डालने वाले कुछ प्रमुख तत्वों की बात कर रहे हैं:

 

1. डिस्प्लेसमेंट (इंजन की घन क्षमता)

 

Displacement - Key factors influencing engine performance

 

डिस्प्लेसमेंट का मतलब होता है — इंजन के सभी सिलिंडर्स की कुल दहन क्षमता। यही वह जगह होती है जहाँ पेट्रोल या डीज़ल और हवा मिलकर ब्लास्ट यानी विस्फोट करते हैं और पावर पैदा करते हैं। आमतौर पर, जितना बड़ा इंजन होगा, उतनी ज्यादा पावर मिलेगी। लेकिन बड़े इंजन का मतलब ज़्यादा फ्यूल खपत भी होता है। इसलिए अगर आप परफॉर्मेंस चाहते हैं, तो बड़ा इंजन चुनें। वहीं अगर माइलेज और पर्यावरण को प्राथमिकता देनी है, तो छोटा इंजन ज़्यादा बेहतर रहेगा।

 

2. हॉर्सपावर (Horsepower)

 

हॉर्सपावर को इंजन की परफॉर्मेंस को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आसान भाषा में कहें तो — जितनी ज़्यादा हॉर्सपावर, उतनी तेज़ रफ़्तार। हालांकि इसके पीछे की साइंस थोड़ी जटिल होती है, लेकिन मोटे तौर पर ये बताया जा सकता है कि हॉर्सपावर यह बताती है कि इंजन कितनी जल्दी काम कर सकता है।

 

3. टॉर्क (Torque)

 

टॉर्क इंजन का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण आउटपुट है। यह बताता है कि इंजन कितनी ताक़त से काम कर सकता है। जितना अधिक टॉर्क, उतनी बेहतर पिकअप यानी स्टार्टिंग एक्सिलरेशन। शहरों में जहां बार-बार स्टार्ट-स्टॉप ट्रैफिक होता है, वहां टॉर्क ज़्यादा मायने रखता है।

 

4. माइलेज (Fuel Efficiency)

 

भारत में शायद ही कोई कार खरीदने वाला हो जिसे माइलेज की परवाह न हो! माइलेज का सीधा संबंध इंजन की साइज़ से होता है — छोटा इंजन कम फ्यूल में ज़्यादा दूरी तय करता है। जबकि बड़े इंजन ज़्यादा फ्यूल खर्च करते हैं। हालांकि कभी-कभी टेक्नोलॉजी की वजह से बड़े इंजन भी बेहतर माइलेज दे सकते हैं।

 

5. उत्सर्जन (Emissions)

 

Emissions - Key factors influencing engine performance

 

जितना ज़्यादा ईंधन जलेगा, उतना ही ज़्यादा प्रदूषण होगा — ये तो सीधी सी बात है। इसलिए बड़े इंजन में उत्सर्जन को कम करने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी जैसे एडब्लू (AdBlue), यूरेआ, या खास फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है। सख्त उत्सर्जन नियमों के चलते इंजन की पावर और माइलेज पर असर पड़ सकता है, लेकिन इससे पर्यावरण को फायदा होता है।

 

भारत में मौजूद कार इंजन के प्रकार – कौन सा आपके लिए सही है?

 

आज भारत में कार खरीदते समय सबसे मुश्किल फ़ैसलों में से एक होता है – कौन सा इंजन चुनें? पेट्रोल लें या डीज़ल? नैचुरली एस्पिरेटेड या टर्बोचार्ज्ड? या फिर इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड का विकल्प? बाजार में विकल्पों की भरमार है और हर इंजन के अपने फायदे और कुछ सीमाएँ होती हैं।

इसलिए चलिए आसान भाषा में समझते हैं भारत में मिलने वाले कार इंजनों के अलग-अलग प्रकार और उनके बीच का अंतर:

 

1. पेट्रोल इंजन

 

petrol engines car in India

 

पेट्रोल इंजन सबसे पुराना और सबसे आम इस्तेमाल होने वाला इंजन है, जिसे एक सदी से भी ज़्यादा समय से उपयोग किया जा रहा है।

 

पेट्रोल इंजन की खास बातें:

 

  • यह इंजन बेहद स्मूद और शांत चलते हैं, और NVH (Noise, Vibration, Harshness) के मामले में सबसे बेहतरीन माने जाते हैं। 
  • पेट्रोल इंजन ज़्यादा RPM रेंज में अच्छा परफॉर्म करते हैं, यानी शहर और हाइवे दोनों में संतुलित ड्राइविंग अनुभव देते हैं। 
  • इन इंजनों में सिलिंडर के अंदर एयर-फ्यूल मिश्रण को जलाने के लिए स्पार्क प्लग का इस्तेमाल होता है। 
  • पहले ज़्यादातर पेट्रोल इंजन नैचुरली एस्पिरेटेड हुआ करते थे, लेकिन आज की सब-4 मीटर SUV और कॉम्पैक्ट कारों में टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन आम हो गए हैं।
     

2. डीज़ल इंजन

 

diesel car engines in India

 

डीज़ल इंजन भी पेट्रोल इंजन के कुछ ही समय बाद आए थे और एक सदी से ज़्यादा समय से उपयोग में हैं।

 

डीज़ल इंजन की खास बातें:

 

  • ये पेट्रोल इंजन की तुलना में थोड़े ज़्यादा आवाज़ वाले और कम रिफाइंड होते हैं, लेकिन अब आधुनिक डीज़ल इंजन भी अच्छे NVH लेवल देने लगे हैं।
  • डीज़ल इंजन फ्यूल एफिशिएंसी में पेट्रोल से बेहतर होते हैं, खासकर कम RPM पर। 
  • पेट्रोल की तरह इनमें स्पार्क प्लग नहीं होता — हाई प्रेशर और तापमान के कारण मिश्रण अपने आप जल उठता है। 
  • डीज़ल इंजन ज़्यादा टॉर्क देते हैं, जिससे इनका पिकअप और भारी वाहन खींचने की क्षमता बेहतर होती है। 
  • आज के ज़्यादातर डीज़ल इंजन टर्बोचार्ज्ड होते हैं ताकि पावर और एफिशिएंसी संतुलित रखी जा सके।
     

3. नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन (Naturally Aspirated)

 

सबसे शुरुआती इंजन इसी तकनीक पर आधारित थे। नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन की खास बातें:

 

  • ये इंजन वायुमंडलीय दाब के ज़रिए हवा को खींचते हैं।
  • जब सिलिंडर में पिस्टन नीचे की तरफ जाता है, तो हवा अंदर आती है और ईंधन के साथ मिलकर दहन करता है। 
  • इनमें पावर डिलीवरी लाइनियर होती है — यानी धीरे-धीरे बढ़ती है। 
  • ये इंजन अक्सर शानदार साउंड के लिए जाने जाते हैं और ड्राइविंग में नेचुरल फील देते हैं।
     

4. टर्बोचार्ज्ड इंजन (Turbocharged Engine)

 

Turbocharged engine in india

 

1980 के दशक में टर्बो तकनीक आम कारों में लोकप्रिय होने लगी। टर्बोचार्ज्ड इंजन की खास बातें:

 

  • इसमें एक टर्बोचार्जर नामक डिवाइस होता है जो इंजन में हवा को दबाकर भेजता है।
  • इससे ज्यादा हवा और ईंधन अंदर जाता है, जिससे ज़्यादा पावर मिलती है। 
  • टर्बोचार्ज्ड इंजन नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन से ज़्यादा पावरफुल होते हैं लेकिन माइलेज पर असर पड़ सकता है। 
  • टर्बोचार्जर एग्ज़ॉस्ट गैस से घूमता है और उसी से पावर बनाता है, जिससे इंजन का आउटपुट बढ़ता है।
     

5. इलेक्ट्रिक मोटर

 

Electric Motor

 

आने वाले कल की तकनीक — बिना धुएं, बिना शोर। इलेक्ट्रिक मोटर की खास बातें:

 

  • ये पूरी तरह से बैटरी से चलती हैं और कोई उत्सर्जन (Emission) नहीं करतीं। 
  • इनमें केवल एक ही मूविंग पार्ट होता है — इसलिए इनका रख-रखाव आसान होता है। 
  • पावर ऑन करते ही पूरा टॉर्क मिल जाता है, जिससे इलेक्ट्रिक कारें बेहद तेज़ एक्सिलरेशन देती हैं। 
  • NVH लेवल इनमें सबसे बेहतर होता है — न कोई आवाज़, न वाइब्रेशन।
     

6. हाइब्रिड इंजन

 

जब पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर मिल जाएं तो उसे कहते हैं — हाइब्रिड। हाइब्रिड इंजन की खास बातें:

 

  • इनमें पारंपरिक इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों होते हैं, जो एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं।
  • ज़रूरत के मुताबिक़ यह इंजन या मोटर पर स्विच कर लेते हैं — जिससे माइलेज भी अच्छा मिलता है और पावर भी 
  • भारत में अधिकतर हाइब्रिड कारें पेट्रोल आधारित हैं, हालांकि कुछ लग्ज़री ब्रांड्स डीज़ल हाइब्रिड भी ऑफर करते हैं 
  • ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर हैं और ईंधन की खपत भी कम करते हैं।
     

पेट्रोल बनाम डीज़ल इंजन: भारतीय सड़कों के लिए कौन सा है बेहतर?

 

भारत में सालों से एक सवाल हर कार खरीदार के ज़हन में रहता है — पेट्रोल लें या डीज़ल? असल में, इसका एक सीधा जवाब नहीं है, क्योंकि हर फ्यूल टाइप की अपनी खासियत और सीमाएँ होती हैं। इसी वजह से हमने आपके लिए दोनों के फायदों की एक आसान तुलना तैयार की है:

 

पेट्रोल इंजन लेने के कारण

 

  • ये ज्यादा स्मूद और रिफाइंड होते हैं। 
  • पेट्रोल कार की शुरुआती कीमत डीज़ल से कम होती है। 
  • मेंटेनेंस कॉस्ट प्रति किलोमीटर कम होता है। 
  • शहर के ट्रैफिक और छोटे रूट्स पर ज्यादा किफायती साबित होते हैं।
     

डीज़ल इंजन लेने के कारण

 

  • डीज़ल पेट्रोल से सस्ता होता है। 
  • फ्यूल एफिशिएंसी ज्यादा होती है। 
  • कम RPM पर ज्यादा टॉर्क देने की क्षमता होती है, जिससे पिकअप बेहतर होता है।
     

नतीजा क्या निकला?


अगर आपकी कार ज्यादातर शहर में चलती है, माइलेज 1000 किमी/महीने से कम है और आप स्मूद ड्राइव चाहते हैं, तो पेट्रोल इंजन आपके लिए बढ़िया रहेगा।
वहीं, अगर आप ज्यादा ड्राइव करते हैं, लंबी दूरी तय करते हैं और फ्यूल की बचत को सबसे ज़्यादा महत्व देते हैं, तो डीज़ल इंजन आपके लिए परफेक्ट रहेगा।

 

इंजन टेक्नोलॉजीज जिन्होंने पूरी ऑटो इंडस्ट्री को बदल दिया

 

1. वेरिएबल वॉल्व टाइमिंग (VVT)

 

Variable Valve Timing - Engine Technology

 

हर इंजन एक फोर-स्ट्रोक साइकल पर चलता है: Intake (वायुरूपी ईंधन लेना), Compression (दबाव बनाना), Combustion (दहन), और Exhaust (गैस बाहर निकालना)। VVT टेक्नोलॉजी इंजन के इनटेक और एग्जॉस्ट वॉल्व को इस तरह कंट्रोल करती है कि वे कितनी देर तक खुले रहें — यानी RPM के अनुसार इनकी टाइमिंग को बदला जा सकता है।

 

  • कम RPM पर: बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी
  • ज्यादा RPM पर: बेहतर परफॉर्मेंस
     

पहले इंजीनियर्स को तय करना पड़ता था कि इंजन को एफिशिएंसी के लिए ट्यून करें या परफॉर्मेंस के लिए — लेकिन VVT ने ये परेशानी खत्म कर दी।

 

2. डायरेक्ट इंजेक्शन (DI)

 

डायरेक्ट इंजेक्शन का मतलब है कि फ्यूल को सीधे सिलेंडर में भेजा जाता है, ना कि इनटेक मैनिफोल्ड में मिलाकर। इससे दो फायदे मिलते हैं:

 

  • इंजन की थर्मल एफिशिएंसी बढ़ती है 
  • ज्यादा पावर और अच्छा माइलेज मिलता है
     

हालांकि यह तकनीक थोड़ी कॉम्प्लेक्स है और महंगी भी, इसलिए पहले कम इस्तेमाल होती थी। लेकिन अब Hyundai जैसी कंपनियाँ इसे अपने टर्बो-पेट्रोल इंजन में सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रही हैं।

 

3. स्टार्ट-स्टॉप टेक्नोलॉजी

 

क्या आप जानते हैं? रेड लाइट या ट्रैफिक में जब कार रुकती है, तो स्टार्ट-स्टॉप सिस्टम इंजन को बंद कर देता है और ब्रेक छोड़ते ही फिर से चालू कर देता है। इस टेक्नोलॉजी में होता है एक छोटा इलेक्ट्रिक मोटर — जिसे ISG (Integrated Starter Generator) कहा जाता है।

 

  • जब आप ब्रेक लगाते हैं, तो यह मोटर ब्रेकिंग एनर्जी को बैटरी में स्टोर कर लेता है।
  • और जब आप आगे बढ़ने लगते हैं, तो वही स्टोर की गई एनर्जी इंजन को दोबारा चालू करती है।
     

इस टेक्नोलॉजी से फ्यूल बचत होती है और इंजन भी हल्के स्टार्ट-स्टॉप साइकिल में बेहतर परफॉर्म करता है।

Maruti Suzuki भारत में इस सिस्टम की सबसे बेहतरीन ट्यूनिंग के लिए जानी जाती है।

 

4. सिलेंडर डीएक्टिवेशन टेक्नोलॉजी

 

क्या आप जानते हैं कि बड़ी इंजन वाली कारें सिर्फ ज़्यादा पावर ही नहीं बनातीं, बल्कि उतना ही ज़्यादा फ्यूल भी जलाती हैं — खासकर तब, जब इंजन पर लोड कम होता है। ऐसे में सभी सिलेंडर लगातार फ्यूल जलाते रहते हैं और माइलेज कम हो जाता है।

 

इसी को ध्यान में रखते हुए कार कंपनियों ने Cylinder Deactivation तकनीक को ईजाद किया है। इसका काम नाम के जैसा ही है — जब इंजन पर लोड कम होता है (जैसे हाई गियर पर कम स्पीड में चलाते वक्त), तो इंजन कुछ सिलेंडर्स को बंद कर देता है। इससे फ्यूल बचेगा और माइलेज बेहतर होगा।

इस तकनीक का सबसे अच्छा उदाहरण है Volkswagen-Skoda ग्रुप का 1.5 लीटर TSI इंजन, जो Taigun, Kushaq, Virtus और Slavia जैसी कारों में मिलता है।

 

भारत में सबसे भरोसेमंद इंजन बनाने वाले ब्रांड

 

1. Honda – रिफाइनमेंट और भरोसे का नाम

 

Honda - durable engine

 

Honda का नाम आते ही भारतीय ग्राहक आँख बंद करके भरोसा कर लेते हैं। Honda के पेट्रोल इंजन दशकों से अपनी रिफाइनमेंट, लंबी उम्र और शानदार एक्सीलरेशन के लिए जाने जाते हैं।

 

 

  • Honda की VTEC तकनीक ने परफॉर्मेंस को नई ऊंचाई दी है। 
  • यह इंजन शोर कम करते हैं, स्मूद चलते हैं और एनवायएच (NVH) लेवल बेहतरीन होता है। 

 

2. Toyota – बुलेटप्रूफ इंजनों की पहचान

 

Toyota - durable engine

 

Toyota के इंजन खासतौर पर अपनी रिलायबिलिटी और ओवर-इंजीनियरिंग के लिए मशहूर हैं।

  • चाहे पेट्रोल हो या डीज़ल, Toyota के इंजन सालों तक बिना दिक्कत चलते हैं। 
  • पुराने Toyota मॉडल्स के इंजन आज भी अपनी सादगी और मजबूती के लिए पहचाने जाते हैं। 

 

3. Maruti Suzuki – माइलेज, मेंटेनेंस और भरोसा

 

Maruti Suzuki - durable engine

 

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Maruti Suzuki ने हमेशा से ऐसे इंजन बनाए हैं जो:

 

  • कम फ्यूल में ज़्यादा चलें
  • मेंटेनेंस में सस्ते हों 
  • और लंबे समय तक दिक्कत न दें
     

इनका 1.2L K-Series पेट्रोल इंजन और 1.3L डीज़ल इंजन (Fiat से sourced) काफी लंबे समय तक किफायती, भरोसेमंद और लो-मेंटेनेंस साबित हुए हैं।

 

भारत में मौजूद कुछ बेहतरीन इंजन और कारें

 

कार मॉडलइंजनफ्यूल टाइपपावरटॉर्क
Maruti Baleno1.2L K12N Dualjetपेट्रोल89 bhp113 Nm
Maruti Brezza1.5L K15C Dualjetपेट्रोल102 bhp138 Nm
Skoda Slavia1.0L TSIपेट्रोल113 bhp178 Nm
Hyundai Verna1.5L Turbo GDiपेट्रोल158 bhp253 Nm
Honda City1.5L i-VTECपेट्रोल119 bhp145 Nm
Kia Seltos1.5L CRDi VGTडीज़ल114 bhp250 Nm
Volkswagen Virtus1.5L TSIपेट्रोल148 bhp250 Nm
Jeep Compass2.0L Multijet 2डीज़ल168 bhp350 Nm
Mahindra XUV7002.0L mStallion TGDiपेट्रोल197 bhp380 Nm
Toyota Innova Hycross2.0L पेट्रोल हाइब्रिडपेट्रोल+EV183 bhp188+206 Nm

 

इंजन को लंबा चलाने के कुछ ज़रूरी मेंटेनेंस टिप्स

 

  1. सही इंजन ऑयल का इस्तेमाल करें – अगर आप तेज़ ड्राइविंग करते हैं तो Fully Synthetic Oil चुनें।
  2. ठंडे इंजन पर तेज़ ना चलाएं – ऑपरेटिंग टेम्परेचर तक पहुंचने दें। 
  3. अच्छी क्वालिटी का फ्यूल भरवाएं – हमेशा विश्वसनीय पेट्रोल पंप से फ्यूल लें। 
  4. एयर फ़िल्टर को समय पर बदलें या साफ करें – हर साल एक बार बदलना अच्छा होता है। 
  5. सर्विस शेड्यूल फॉलो करें – ज़रूरत पड़े तो समय से पहले भी सर्विस करवा लें।

 

भारत में कार इंजनों का भविष्य

 

जहाँ एक ओर इंजन टेक्नोलॉजी लगातार एडवांस हो रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार का जोर क्लीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर बढ़ता जा रहा है। आने वाले सालों में Internal Combustion Engines या तो Phase Out हो सकते हैं, या फिर इन्हें कार्बन न्यूट्रल फ्यूल से चलाना पड़ेगा। Porsche जैसी कंपनियाँ CO₂ से बनी ईंधन पर काम कर रही हैं। लेकिन तब तक, Hybrid और Efficient Petrol Engines का दौर जारी रहेगा।
 

और अगर आप कार के इंजन के बारे में दिलचस्पी रखते हैं तो आपने 3-सिलेंडर इंजन और 4-सिलेडंर इंजन भी सुना होगा। पर इनमें फर्क क्या है वो शायद जानने का मौका ना मिला हो। पर अब आप हमारे आर्टिकल 3-सिलेंडर और 4-सिलेंडर इंजन में क्या अंतर है? में आसान भाषा में इन दोनों इंजन के बारे में पढ़कर अपनी अगली कार डिसाइड कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सभी को बड़ा करें
Q. भारत में सबसे अच्छा कार इंजन कौन-सा है?
Q. किस ब्रांड के कार इंजन सबसे बेहतरीन होते हैं?
Q. भारत में किस कार इंजन की लाइफ सबसे लंबी होती है?
Q. भारत में कौन-सी कार सबसे ज़्यादा समय तक चलती है?
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