

क्या डेमो कार खरीदना वाकई समझदारी है? जानिए फायदे और नुकसान
- 1डेमो कारें उन लोगों के लिए आदर्श हैं जो नई जैसी कार, सेकंड हैंड कीमत पर चाहते हैं
- 2कम चली हुई डेमो कारें भारी बचत का सुनहरा मौका देती हैं
- 3टेस्ट ड्राइव कारों में अपनी पसंद के मुताबिक बदलाव करने का विकल्प ज़्यादा नहीं होता
भारत में एक नई कार खरीदना एक बड़ा आर्थिक फैसला होता है, इसमें कोई दो राय नहीं। ऐसे में अगर आपको अपनी मनचाही कार कम कीमत पर मिल जाए, तो कौन नहीं लेना चाहेगा? यही विकल्प लेकर आती हैं डेमो कारें — जिन्हें टेस्ट ड्राइव कार भी कहा जाता है। ये नई कारों की तुलना में सस्ती होती हैं और इनका माइलेज भी अक्सर बहुत कम होता है। हालांकि इनके कई फायदे हैं, लेकिन कुछ कमियां भी हैं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है।
इस गाइड में हम विस्तार से बताएंगे कि भारत में डेमो कार खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये कारें नई और सेकंड हैंड कारों से कैसे अलग होती हैं, और किन स्थितियों में आपको इनमें निवेश करना चाहिए या नहीं।
टेस्ट ड्राइव/डेमो कार क्या होती है?

डेमो या टेस्ट ड्राइव कारें वो गाड़ियाँ होती हैं जिन्हें डीलरशिप पर ग्राहकों को मॉडल दिखाने या टेस्ट ड्राइव देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ये आमतौर पर शोरूम में डिस्प्ले पर होती हैं या टेस्ट के लिए दी जाती हैं।
इनका इस्तेमाल इसीलिए किया जाता है ताकि ग्राहक खरीदने से पहले उस कार के लुक, फील और परफॉर्मेंस का अनुभव ले सकें। ऐसी कारों का माइलेज आमतौर पर सेकंड हैंड कारों की तुलना में काफी कम होता है, लेकिन इन्हें कई बार अलग-अलग लोगों द्वारा चलाया गया होता है, जिससे इनपर थोड़ा-बहुत असर हो सकता है। डेमो कारें अक्सर डीलरशिप के नाम पर रजिस्टर्ड होती हैं और अधिकतर कुछ ही महीने पुरानी होती हैं — क्योंकि डीलर समय-समय पर इन्हें बदलते रहते हैं।
डेमो/टेस्ट ड्राइव कार खरीदने के फायदे और नुकसान
सामान्य रूप से देखें तो डेमो कारें नई और सेकंड हैंड कारों के बीच की जगह को भरती हैं — इनमें कुछ खास फायदे होते हैं, लेकिन कुछ कमियों को नज़रअंदाज़ करना सही नहीं होगा।
फायदे
- किफायती कीमत – डेमो कारें नई कारों की तुलना में काफी सस्ती होती हैं। इनकी कीमत मूल कार के मुकाबले 10% से 20% तक कम हो सकती है।
- वॉरंटी और मेंटेनेंस पैकेज – इनमें अक्सर मैन्युफैक्चरर की वॉरंटी बची होती है, जिससे मेंटेनेंस पर खर्च कम आता है। कई बार डीलर कुछ मुफ्त मेंटेनेंस ऑफर भी शामिल कर देते हैं।
- कम माइलेज – इन्हें सिर्फ टेस्ट ड्राइव या डिस्प्ले के लिए चलाया गया होता है, इसलिए इनमें इंजन या अन्य हिस्सों पर ज़्यादा वियर एंड टियर नहीं होता।
- तुरंत उपलब्धता – नई कारों के लिए वेटिंग पीरियड आम बात है, लेकिन डेमो कारें तुरंत मिल जाती हैं।
नुकसान
- कई ड्राइवरों द्वारा चलाना – हर ग्राहक की ड्राइविंग स्टाइल अलग होती है, जिससे ब्रेक, टायर और क्लच जैसे हिस्सों पर ज़रूरत से ज़्यादा दबाव पड़ सकता है।
- हल्की-फुल्की खरोंच या डैमेज – कई बार डेमो कारों में छोटे-मोटे स्क्रैच या अंदरूनी घिसावट हो सकती है, जो डीलरशिप द्वारा स्पष्ट नहीं की जाती।
- कम रीसेल वैल्यू – हालांकि ये कम समय चली होती हैं, लेकिन तकनीकी रूप से ये सेकंड हैंड ही मानी जाती हैं, जिससे इनकी रीसेल वैल्यू नई कार से कम हो जाती है।
- कस्टमाइजेशन की सीमित संभावना – चूंकि डेमो कारें पहले से फिक्स वेरिएंट और कलर में होती हैं, इसमें ग्राहक की पसंद की विशेषताओं या अपग्रेड का विकल्प नहीं रहता। हालांकि, ये कारें आमतौर पर टॉप वेरिएंट होती हैं, इसलिए सभी प्रमुख फीचर्स मिलते हैं।
फायदे | नुकसान |
कम कीमत | ड्राइविंग इतिहास अज्ञात |
वॉरंटी और मेंटेनेंस | संभावित हल्की क्षति |
कम माइलेज | रीसेल वैल्यू की चिंता |
तुरंत उपलब्ध | सीमित विकल्प और कस्टमाइजेशन |
भारत में डेमो/टेस्ट ड्राइव कार कैसे खरीदें

डेमो कार खरीदने से पहले कुछ ज़रूरी बातें जरूर जांच लें ताकि आपको सही कीमत और अच्छी स्थिति वाली कार मिले।
- गाड़ी की अच्छी तरह से जांच करें – बाहर और अंदर दोनों तरफ से अच्छे से निरीक्षण करें। सीट, स्टीयरिंग, डैशबोर्ड, फ्लोर मैट जैसी जगहें देखें जहाँ ज़्यादा इस्तेमाल के निशान हो सकते हैं।
- सर्विस रिकॉर्ड देखें – डीलर से कार की सर्विस हिस्ट्री माँगें और जानें कि इसमें समय-समय पर सर्विस हुई है या नहीं। कोई बड़ा रिपेयर या पार्ट रिप्लेसमेंट हुआ है तो वह भी जांचें।
- वॉरंटी की स्थिति समझें – यह सुनिश्चित करें कि वॉरंटी अभी वैध है या नहीं। अगर संभव हो तो अतिरिक्त वॉरंटी या एक्सटेंडेड पैकेज के विकल्प पर भी चर्चा करें।
- कीमत पर मोलभाव करें – चूंकि ये पहले से उपयोग में लाई गई कार होती है, इसलिए कीमत पर बात करना जायज़ है। उसी मॉडल की नई और सेकंड हैंड कीमतें देखकर तुलना करें और डीलर से मोलभाव करें।
- स्वतंत्र मेकेनिक से जांच कराएं – एक भरोसेमंद मेकेनिक से गाड़ी की जांच करवाएं — खासकर इंजन, ब्रेक और ट्रांसमिशन की। ये खर्च अतिरिक्त होगा, लेकिन भविष्य में होने वाले भारी खर्च से आपको बचा सकता है।
- बीमा और दस्तावेज़ सुनिश्चित करें – यह पक्का करें कि कार किसी भी कानूनी विवाद या लोन में नहीं फंसी है। डीलर से रजिस्ट्रेशन, टैक्स रसीद और इंश्योरेंस से जुड़े सभी दस्तावेज़ सही से ट्रांसफर करवाएं।
डेमो कार बनाम सेकंड हैंड कार बनाम नई कार – कौन-सी है आपके लिए बेहतर?
जब बात कार खरीदने की आती है, तो डेमो कार, पुरानी (यूज़्ड) कार और नई कार में से चुनाव करना थोड़ा उलझन भरा हो सकता है। तीनों के अपने फायदे और नुकसान होते हैं, और साथ ही यह भी ज़रूरी है कि आपकी ज़रूरत, उपयोग और व्यक्तिगत प्राथमिकता क्या है।
डेमो कारें
फायदे:
- नई कारों के मुकाबले काफ़ी सस्ती होती हैं
- कम माइलेज होता है
- मैन्युफैक्चरर की वॉरंटी अक्सर बची रहती है
नुकसान:
- कई लोगों द्वारा चलाए जाने के कारण कुछ हिस्सों में वियर और टियर हो सकता है
- वेरिएंट, रंग और फीचर का चुनाव सीमित होता है
सेकंड हैंड कारें
फायदे:
- बेहद किफायती
- मॉडल्स और वेरिएंट्स की बड़ी रेंज उपलब्ध
- सही देखरेख वाली कारें कम कीमत में मिल सकती हैं
नुकसान:
- ज़्यादा माइलेज
- वॉरंटी खत्म हो चुकी हो सकती है
- छिपे हुए डैमेज या मरम्मत की संभावना
नई कारें
फायदे:
- कोई पिछला मालिक नहीं
- पूरी तरह कस्टमाइज़ेबल
- फुल वॉरंटी कवर
- बेहतर रीसेल वैल्यू
नुकसान:
- सबसे महंगी
- पॉपुलर मॉडल्स के लिए लंबा वेटिंग पीरियड
- पहले साल में तेज़ी से वैल्यू कम होना
अगर आपको इस बात से परहेज नहीं है कि आपकी कार को पहले कई लोगों ने चलाया है, और आप ट्रिम या रंग चुनने में समझौता कर सकते हैं, तो डेमो कार आपके लिए एक किफायती और समझदारी भरा विकल्प है। वहीं अगर आप बजट में ज्यादा ऑप्शन चाहते हैं और माइलेज ज्यादा होने से परहेज नहीं है, तो सेकंड हैंड कार आपके काम की हो सकती है। नई कारें ज़रूर सबसे ताज़ा और भरोसेमंद होती हैं, लेकिन कीमत और वेटिंग समय इनमें सबसे बड़ा फैक्टर होता है।
कुल मिलाकर: कोई एक सही जवाब नहीं है कि कौन-सी कार सबसे बेहतर है — ये पूरी तरह आपकी जरूरतों और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। इसलिए खरीद से पहले हर पहलू पर गंभीरता से विचार करें।
डेमो, यूज़्ड और नई कार के बीच कीमत का अंतर
किसी भी कार को खरीदने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका कीमत निभाती है। डेमो, यूज़्ड और नई कारों के बीच मूल्य को लेकर काफी अंतर हो सकता है।
डेमो कारें:
नई कार की तुलना में 10-20% तक सस्ती होती हैं। यह बचत मॉडल, मांग और इस्तेमाल के हिसाब से तय होती है। उदाहरण के तौर पर — TeamBHP के अनुसार, 2024 की Mercedes-Benz C-Class की एक डेमो यूनिट दिल्ली में ₹54.5 लाख में बिकी, जबकि उसी स्पेसिफिकेशन की नई कार की ऑन-रोड कीमत ₹72.5 लाख थी। यानी खरीदार को लगभग ₹18 लाख की सीधी बचत हुई।
सेकंड हैंड कारें:
यूज़्ड कार की कीमत तय करने में कई कारक काम करते हैं — कार की उम्र, किलोमीटर रन, सर्विस रिकॉर्ड, कितने लोगों ने इस्तेमाल किया, आदि। ये कारें कभी-कभी सिर्फ 5% सस्ती होती हैं, तो कभी 50% तक का अंतर हो सकता है।
नई कारें:
नई कार की कीमत सबसे ज़्यादा होती है — क्योंकि वो फैक्ट्री-फ्रेश होती है, और पहले किसी ने नहीं चलाई होती।
निष्कर्ष
बाहरी तौर पर देखें तो डेमो कारें उन लोगों के लिए एक समझदारी भरा विकल्प बन सकती हैं जो लगभग नई कार लेना चाहते हैं लेकिन कम दाम में। इनमें वॉरंटी भी मिलती है और तुरंत उपलब्ध होती हैं। लेकिन इसके साथ कुछ ज़िम्मेदारी भी आती है — जैसे अच्छे से इंस्पेक्शन कराना, सर्विस रिकॉर्ड जांचना और सही दाम पर सौदा तय करना। सही जांच और समझदारी के साथ खरीदी गई डेमो कार, यूज़्ड और नई कार के बीच की एक बेहतरीन कड़ी बन सकती है।
इस आर्टिकल में आपने डेमो कार के फायदे और नुकसान पढ़े। अगर इस आर्टिकल को पढ़कर भी आप डेमो कार खरीदने का फैसला नहीं ले पा रहे हो तो आपको भारत में मिलने वाली बजट-फ्रैंडली छोटी कारों पर भी गौर फरमाना चाहिए। क्योंकि ये गाड़ियां कम कीमत में ज्यादा फीचर्स के साथ आती हैं। हो सकता है आपको कोई कार पसंद ही आ जाए। तो अभी पढ़िए हमारा आर्टिकल भारत की टॉप-10 छोटी गाड़ियां।