

दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर नया नियम-2025: अब NOC मिलेगी आसानी से!
- 1अब दिल्ली में NOC की समयसीमा नहीं — पुरानी गाड़ियों का ट्रांसफर कभी भी संभव
- 210 साल पुरानी डीज़ल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के मालिकों को बड़ी राहत
- 3नया नियम सेकंड हैंड कार की रीसेल और दोबारा रजिस्ट्रेशन को देगा बढ़ावा
अगर आपके पास दिल्ली में कोई पुरानी गाड़ी है, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। दिल्ली सरकार ने पेट्रोल और डीजल से चलने वाली पुरानी गाड़ियों के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेने के नियमों में ढील दी है।
इसका मतलब है कि जिन वाहन मालिकों से पहले रजिस्ट्रेशन की मियाद खत्म होने के बाद एक साल के भीतर एनओसी नहीं बन पाई थी, वे अब कभी भी एनओसी के लिए आवेदन कर सकते हैं। 31 अक्टूबर 2025 को घोषित इस बदलाव का उद्देश्य वाहन मालिकों के लिए प्रक्रिया को आसान बनाना है, साथ ही दिल्ली में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण बनाए रखना भी।
क्या बदला है?
दिल्ली के पहले के नियमों के तहत, 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल कार और 10 साल से पुरानी डीजल कार को स्वतः डीरजिस्टर कर दिया जाता था। एक बार ऐसा होने पर, मालिकों के पास केवल एक साल का समय होता था एनओसी के लिए आवेदन करने का। यह सर्टिफिकेट उन्हें अपनी गाड़ी को किसी दूसरे राज्य में ट्रांसफर या दोबारा रजिस्टर कराने की अनुमति देता था, जहां ऐसी पुरानी गाड़ियों को चलाने की इजाज़त है।
अगर एक साल की समयसीमा निकल जाती थी, तो वाहन को 'एंड-ऑफ-लाइफ' मान लिया जाता था, और मालिकों के पास उसे स्क्रैप कराने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता था — भले ही वह गाड़ी एकदम सही हालत में क्यों न हो। लेकिन अब, 2025 के नए नियम के तहत, यह एक साल की समयसीमा हटा दी गई है। वाहन मालिक कभी भी एनओसी के लिए आवेदन कर सकते हैं — भले ही गाड़ी को डीरजिस्टर हुए कई साल बीत चुके हों। यह नियम उन हज़ारों दिल्ली निवासियों के लिए लाभकारी साबित होगा जिनकी पुरानी गाड़ियाँ अभी भी गैराज में खड़ी हैं, जिन्हें बेचने या ट्रांसफर करने का इंतज़ार था।
दिल्ली सरकार ने यह कदम क्यों उठाया?
दिल्ली हर साल खासकर सर्दियों में गंभीर वायु गुणवत्ता संकट का सामना करती है। प्रदूषण से निपटने के लिए शहर ने पुराने वाहनों पर सख्त नियम लगाए हैं — जैसे डीजल कारों पर 10 साल और पेट्रोल कारों पर 15 साल का प्रतिबंध।
लेकिन इन नियमों ने कई बार वाहन मालिकों के लिए परेशानी भी खड़ी कर दी थी। अच्छी हालत में मौजूद कई गाड़ियों को सिर्फ समयसीमा निकल जाने के कारण स्क्रैप कराना पड़ा — जबकि वे दूसरे राज्यों में आराम से चलाई जा सकती थीं। NOC नियमों में ढील देने का फैसला पर्यावरण संरक्षण और नागरिक सुविधा के बीच संतुलन बनाने के लिए किया गया है।
दिल्ली परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस फैसले का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि वाहन दिल्ली में प्रदूषण न बढ़ाएं, लेकिन साथ ही मालिकों को उन्हें कानूनी रूप से दूसरे राज्यों में ट्रांसफर करने की सुविधा भी मिल सके। यह लचीलापन केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की स्क्रैपेज और रीरजिस्ट्रेशन नीति का भी समर्थन करता है, जो ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को धीरे-धीरे हटाकर अन्य वाहनों को दूसरे क्षेत्रों में दोबारा पंजीकृत करने को बढ़ावा देता है।
साथ-साथ लागू किए गए सख्त कदम
इसके समानांतर, दिल्ली उन प्रदूषणकारी गाड़ियों के शहर में प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए सख्त कार्रवाई भी कर रही है। 1 नवंबर 2025 से दिल्ली में नॉन-रजिस्टर्ड BS-III कमर्शियल वाहनों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। बॉर्डर चेक-पोस्ट पर तैनात टीमें गाड़ियों के प्रवेश की निगरानी करेंगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
यह दोहरी रणनीति — बाहर भेजने की सुविधा और अंदर प्रवेश की निगरानी — पुराने वाहनों को दिल्ली की सड़कों से दूर रखने का प्रयास है, वह भी बिना जिम्मेदार मालिकों को नुकसान पहुंचाए।
वाहन मालिकों के लिए क्या मतलब है?
नए नियम से दिल्ली और NCR के हज़ारों वाहन मालिकों को राहत मिलेगी:
- समयसीमा से आज़ादी: अब आप किसी भी समय एनओसी के लिए आवेदन कर सकते हैं, चाहे आपकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कई साल पहले ही क्यों न खत्म हो गया हो।
- जबर्दस्ती स्क्रैपिंग नहीं: अब आप अपनी गाड़ी को स्क्रैप कराने की बजाय किसी दूसरे राज्य में ट्रांसफर कर सकते हैं।
- बेहतर रीसेल वैल्यू: जो गाड़ियाँ पहले दिल्ली में बेकार मानी जाती थीं, वे अब कानूनी रूप से दूसरे राज्यों में बेची जा सकती हैं, जिससे पुरानी कार बाजार को मजबूती मिलेगी।
- कम कागज़ी झंझट: समयसीमा हटने से वाहन डीलरों और मालिकों, दोनों के लिए प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
उदाहरण के लिए, दिल्ली में एक 12 साल पुरानी डीजल SUV जिसे पहले बेचना नामुमकिन था, अब उसे पंजाब, राजस्थान या मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ट्रांसफर और री-रजिस्टर किया जा सकता है।
Used Car Market पर असर
इस नीति में बदलाव से दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में इस्तेमाल की गई पुरानी गाड़ियों के बाज़ार में सकारात्मक बदलाव आने की संभावना है।
- रीसेल के लिए और गाड़ियाँ उपलब्ध होंगी: जो पुरानी लेकिन चालू हालत में गाड़ियाँ अभी तक गैराज में पड़ी थीं, अब फिर से बाज़ार में कानूनी तौर पर बेची जा सकेंगी।
- अंतरराज्यीय बिक्री में बढ़ोतरी: डीलर अब दिल्ली की गाड़ियों को कानूनी तौर पर अन्य राज्यों में बेच सकेंगे, जिससे खरीदारों का दायरा बढ़ेगा।
- कीमतों में स्थिरता: जैसे-जैसे आपूर्ति बढ़ेगी, रीसेल कीमतें स्थिर होंगी — जिससे खरीदार और विक्रेता दोनों को लाभ होगा।
- क्लीनर डेटा: उचित एनओसी और रीरजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के ज़रिए अवैध या अपंजीकृत गाड़ियों की बिक्री का जोखिम कम हो जाएगा।
पुरानी गाड़ियों के लिए NOC कैसे प्राप्त करें?
नए नियमों के तहत NOC प्राप्त करना बेहद आसान है:
- दिल्ली परिवहन विभाग की वेबसाइट या अपने ज़ोनल RTO पर जाएं।
- पुरानी गाड़ी ट्रांसफर कैटेगरी में NOC के लिए आवेदन करें।
- अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC), पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, बीमा दस्तावेज़ आदि जमा करें।
- तय शुल्क जमा करें और कुछ कार्यदिवसों के भीतर अपना NOC प्राप्त करें।
- एक बार NOC मिल जाने के बाद, आप अपनी गाड़ी को उस राज्य में रीरजिस्टर कर सकते हैं, जहां यह मान्य है।
आगे का रास्ता
हालांकि नियमों में ढील दी गई है, लेकिन दिल्ली में 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर प्रतिबंध अब भी पूरी तरह लागू रहेगा। यह नई नीति सिर्फ मालिकों को गाड़ियों को अन्य राज्यों में ट्रांसफर, बेचने या रीरजिस्टर करने का समय और विकल्प प्रदान करती है।
आगे चलकर, हो सकता है कि भारत के अन्य राज्य भी इसी तरह के नियम अपनाएं, जिससे वायु प्रदूषण नियंत्रण और पुराने वाहनों के पुनः उपयोग के बीच संतुलन बना रहे। जैसे-जैसे ऑटोमेटेड व्हीकल टेस्टिंग सेंटर और डिजिटल रजिस्ट्रेशन सेवाएं बढ़ेंगी, पुरानी गाड़ियों का प्रबंधन और अधिक आसान और पारदर्शी हो जाएगा।
वाहन मालिकों के लिए सीधी सलाह:
- अपनी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन समाप्ति तिथि जांचें।
- अगर आप गाड़ी को बेचने या ट्रांसफर करने की योजना बना रहे हैं, तो समय रहते NOC के लिए आवेदन करें।
- अपने राज्य के री-रजिस्ट्रेशन नियमों की जानकारी रखें।
दिल्ली सरकार का यह नया निर्णय इस बात का उदाहरण है कि स्मार्ट रेगुलेशन सख्त होने की बजाय संतुलित, व्यावहारिक और भविष्य की दृष्टि से सही हो सकता है।
निष्कर्ष
2025 के नए नियमों के तहत, दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीज़ल वाहनों के लिए एनओसी लेने की प्रक्रिया अब पहले से कहीं ज़्यादा आसान और लचीली हो गई है। अब वाहन मालिक अपनी पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप कराने के बजाय उन्हें कानूनी रूप से दूसरे राज्यों में ट्रांसफर कर सकते हैं—भले ही डीरजिस्ट्रेशन को कई साल बीत चुके हों। यह न सिर्फ पर्यावरण और नियमों का संतुलन बनाता है, बल्कि वाहन मालिकों को आर्थिक रूप से भी राहत देता है। पुरानी गाड़ियों का पुनः उपयोग और रीसेल अब अधिक व्यावहारिक और पारदर्शी हो गया है।
ये तो हुई 10-15 साल पुुरानी गाड़ियों की बात, जिन्हें आपको कानून के अर्न्तगत बेचना पड़ रहा है। पर कई बार आप अपनी पुरानी कार से नई कार पर अपग्रेड करना चाहते हैं उस केस में आप अपनी कार को दिल्ली में ही बेचना पसंद करेंगे। तब आपको दिल्ली में ही गाड़ी की RC ट्रांसफर करवानी पड़ेगी। दिल्ली में गाड़ी की RC ट्रांसफर करवाने की प्रक्रिया पर सम्पूर्ण जानकारी के लिए अभी लिंक पर क्लिक करें और पूरी तैयारी के साथ आरटीओ कार्यालय पहुंचे।
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