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EV चार्जिंग स्टेशन बिज़नेस शुरू करें – लागत, लाइसेंस और रिटर्न जानें
- 1EV कंपनियाँ अलग-अलग वाहनों के लिए अलग-अलग चार्जिंग विकल्प देती हैं
- 2चार्जिंग स्टेशन पर पेमेंट सिस्टम और लोकेशन एक्सेस जैसी बेसिक सुविधायें होनी चाहिए
- 3EV चार्जिंग स्टेशन खोलने का सबसे आसान तरीका है—किसी बड़ी कंपनी की फ्रेंचाइज़ी लेना
- विभिन्न प्रकार के चार्जिंग स्टेशनों की अनुमानित लागत
- शुरुआती खर्च किन बातों पर निर्भर करता है
- चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए सरकारी दिशानिर्देश
- चरण-दर-चरण प्रक्रिया: स्थापना से संचालन तक
- सुरक्षित पेमेंट व आसान पहुँच क्यों अहम हैं?
- भारत में ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने की दो राहें
- कमाई के स्रोत
- फ्रेंचाइज़ी विकल्प और शुरुआती निवेश
- ई-वी चार्जिंग स्टेशन की लागत को प्रभावित करने वाले कारक
- ध्यान रखने वाली बातें
- निष्कर्ष
सिर्फ पाँच साल पहले तक माना जाता था कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की राह आधारभूत ढाँचे की कमी से रुक जाएगी। 2023 तक EV बिक्री कुल कार बाज़ार के 6.5 फ़ीसदी तक पहुँच गई—यह आँकड़ा बताता है कि भारतीय ग्राहक अब EVs को खुली बाँहों से अपना रहे हैं। नतीजा यह है कि चार्जिंग स्टेशनों में निवेश अब जोखिम नहीं, बल्कि कमाई का एक नया ज़रिया बन चुका है। अगर आप भी अपने शहर या हाइवे पर व्यावसायिक EV चार्जिंग स्टेशन खोलना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए है।
विभिन्न प्रकार के चार्जिंग स्टेशनों की अनुमानित लागत
नीचे दी टेबल से स्पष्ट हो जाएगा कि किस तरह का स्टेशन किस वाहन के लिए उपयुक्त है और उसकी लगभग कितनी लागत आती है।
चार्जिंग स्टेशन प्रकार | वोल्टेज (V) | पावर (kW) | वाहन श्रेणी | अनुकूल चार्जर | मूल्य सीमा* |
लेवल 1 (AC) | 240 | ≤ 3.5 | 4-व्हीलर, 3-व्हीलर, 2-व्हीलर | टाइप 1, भारत AC-001 | ₹ 15,000 – 30,000 |
लेवल 1 (DC) | ≥ 48 | ≤ 15 | 4-व्हीलर, 3-व्हीलर, 2-व्हीलर | भारत DC-001 | ₹ 2.5 लाख – 4 लाख |
लेवल 2 (AC) | 380 – 400 | ≤ 22 | 4-व्हीलर, 3-व्हीलर, 2-व्हीलर | टाइप 1, टाइप 2, GB/T, भारत AC-001 | ₹ 50,000 – 1 लाख |
लेवल 3 (DC) | 200 – 1000 | 0 – 400 | 4-व्हीलर | टाइप 2, CHAdeMO, CCS1/2 | ₹ 5 लाख – 15 लाख |
* राज्यों की सब्सिडी इस दायरे में शामिल नहीं है; रियायतें मिलने पर अंतिम लागत घट सकती है।
कैसे चुनें?
• भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्र में दो-पहिया और कार—दोनों ग्राहकों को ध्यान में रखें।
• हाइवे लोकेशन पर तेज़ DC चार्जर (लेवल 3) लगाना समझदारी होगी क्योंकि मुख्यतः लंबी दूरी की कारें रुकेंगी।
शुरुआती खर्च किन बातों पर निर्भर करता है
भारत में किसी भी कमर्शियल ई-वी चार्जिंग स्टेशन की कुल लागत कई कारकों पर टिकती है। सबसे पहले, चार्जर के प्रकार पर—हर स्तर (लेवल 1, लेवल 2, लेवल 3) का दाम अलग-अलग होता है। दूसरी बड़ी लागत ज़मीन की होती है; यदि जगह आपकी खुद की है तो यह शून्य भी हो सकती है, अन्यथा किराये या लीज़ के हिसाब से शहर-दर-शहर अलग खर्च जुड़ेगा। तीसरा ख़र्च बिजली कनेक्शन का है, जिसकी फ़ीस हर राज्य में अलग निर्धारित है।
अभी ज़्यादातर राज्य ई-वी चार्जिंग स्टेशन पर सब्सिडी दे रहे हैं; इससे न सिर्फ़ चार्जर सस्ता पड़ता है, बल्कि बिजली कनेक्शन की फ़ीस भी घट जाती है, इसलिए यह सही समय है इस क्षेत्र में कदम रखने का।
चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए सरकारी दिशानिर्देश

सरकार ने चार्जिंग इकाइयों के डिजाइन, पेमेंट समाधान और सार्वजनिक पहुँच पर स्पष्ट मानक तय किए हैं। सार यह है कि—
- स्टेशन पर इंटीग्रेटेड डिजिटल पेमेंट सुविधा होनी ज़रूरी है।
- स्थान ऐसी जगह चुना जाए जहाँ संबंधित वाहन आसानी से पहुँच सकें और दिव्यांग व्यक्तियों को भी सुविधा हो।
- टेक्निकल मानक (ऊपर तालिका में उल्लेखित वोल्टेज-पावर इत्यादि) चार्जर निर्माता की ज़िम्मेदारी में आते हैं; संस्थापक को बस प्रमाणित इकाइयाँ ही लगानी हैं।
चरण-दर-चरण प्रक्रिया: स्थापना से संचालन तक
स्थान चुनना
- संभावित ट्रैफ़िक का आकलन करें—क्या आस-पास EV उपयोगकर्ता हैं?
- भूमि या किराए पर ली गई जगह पर बिजली का कनेक्शन और पर्याप्त पार्किंग सुनिश्चित करें।
अनुमतियाँ व काग़ज़ी कार्यवाही
- डिस्कॉम से आवश्यक लोड स्वीकृति लें।
- स्थानीय नगर निकाय से वाणिज्यिक गतिविधि की अनुमति प्राप्त करें।
हार्डवेयर व सॉफ़्टवेयर सेट-अप
- मान्यता-प्राप्त कंपनी से चार्जर ख़रीदें—वारंटी व सर्विस नेटवर्क जाँचें।
- भुगतान गेटवे (UPI, कार्ड, वॉलेट) इंटीग्रेट कराएँ।
संचालन व कमाई
- यूनिट दर + सर्विस फ़ीस तय करें; क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा देखें।
- मोबाइल ऐप या क्यूआर कोड से रीयल-टाइम मोनिटरीकरण आसान बनाएं।
- ट्रेंडिंग फीचर—सौर ऊर्जा पैनल लगाकर बिजली लागत घटाएँ और हरित छवि बढ़ाएँ।
सुरक्षित पेमेंट व आसान पहुँच क्यों अहम हैं?
- ग्राहक बिना ऐप डाउनलोड किए क्यूआर से भुगतान कर सके तो उपयोग बढ़ता है।
- 24×7 कैमरा निगरानी और पर्याप्त लाइटिंग स्टेशन की विश्वसनीयता बढ़ाती है।
भारत में ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने की दो राहें

पहली राह – सीधे चार्जर निर्माता से खरीदें
- ओकाया, ईईएसएल, सर्वोटेक जैसी कंपनियों से संपर्क कर मानक-अनुरूप चार्जर खरीदें।
- बिजली कनेक्शन, पार्किंग और उपयुक्त स्थान की औपचारिकताएँ स्वयं पूरी करें।
- चार्जिंग स्थान पर उपयोगकर्ताओं को लाने-ले जाने और पेमेंट गेटवे सेट-अप का ज़िम्मा भी आपको ही उठाना होगा।
यह तरीका तब उपयुक्त है जब आप एक ही जगह कई चार्जर लगाने का बड़ा नेटवर्क बनाना चाहते हैं।
दूसरी राह – स्थापित ब्रैंड के साथ साझेदारी करें
- टाटा पावर या Statiq जैसी कंपनियों से हाथ मिलाएँ; क्षेत्र के हिसाब से लोकप्रिय ब्रैंड की जाँच कर लें।
- ये कंपनियाँ चार्जर, इंस्टॉलेशन और अपने ऐप-प्लेटफ़ॉर्म पर लिस्टिंग उपलब्ध कराती हैं, जिससे ग्राहक आपका स्टेशन आसानी से ढूँढ लेते हैं।
- भुगतान व्यवस्था भी उन्हीं के गेटवे से संचालित होती है; आपको केवल उपयुक्त लोकेशन उपलब्ध करानी होती है।
कम पूँजी, सीमित तकनीकी जानकारी और छोटे पैमाने पर शुरुआत के लिए यही सरल और सुरक्षित विकल्प है।
कमाई के स्रोत
- उपयोगकर्ता जिनसे चार्जिंग फ़ीस वसूली जाएगी—मुख्य आमदनी यही है।
- स्टेशन की दीवारों-होर्डिंग पर आउटडोर विज्ञापन लगाकर अतिरिक्त कमाई।
- चार्जिंग के इंतज़ार में ग्राहकों के लिए छोटा कैफ़े या कंवीनियंस स्टोर खोलकर बिक्री से लाभ कमाएँ।
फ्रेंचाइज़ी विकल्प और शुरुआती निवेश
कंपनी | अनुमानित फ्रेंचाइज़ी शुल्क | विशेषता |
Tata Power | ₹1-₹2 लाख | अखिल भारतीय नेटवर्क, ऐप सपोर्ट |
Statiq | ₹1-₹2 लाख | शहर-केंद्रित तेज़ विस्तार योजना |
Charzer | शून्य-₹1 लाख | कम जगह की जरूरत |
Fortum India | ₹2-₹2.5 लाख | हाईवे फ़ास्ट-चार्ज नेटवर्क |
Exicom, Okaya, ABB India, Delta, Alpha EV | सौदे के आधार पर | क्षेत्रीय लोकप्रियता, अलग-अलग चार्जर विकल्प |
नई कंपनियाँ अक्सर फ्रेंचाइज़ी फ़ीस माफ़ कर देती हैं, जिससे शुरुआती लागत कम हो जाती है। जगह की न्यूनतम ज़रूरत और राजस्व बँटवारा हर कंपनी के साथ अलग तय किया जा सकता है, क्योंकि बाज़ार अभी विकास के दौर में है।
ई-वी चार्जिंग स्टेशन की लागत को प्रभावित करने वाले कारक

सरकारी सब्सिडी के चलते इस समय चार्जिंग स्टेशन लगाना अपेक्षाकृत सस्ता और स्थिर निवेश माना जा रहा है। फिर भी तीन बातें लागत को सीधा प्रभावित करती हैं—
- भूमि की कीमत : ज़मीन अपनी है तो ख़र्च शून्य, किराये या लीज़ पर है तो इलाक़े के हिसाब से बड़ा अंतर आ सकता है।
- चार्जर का प्रकार : लेवल-1, लेवल-2 या तेज़ डी-सी (लेवल-3) चार्जर—जिसका पावर रेटिंग जितनी ज़्यादा, शुरुआती निवेश उतना ऊँचा।
- बिजली दर : हर राज्य में टैरिफ अलग होता है, दरों में उतार-चढ़ाव कुल संचालन‐ख़र्च को बदल सकता है।
ध्यान रखने वाली बातें
- आपके स्टेशन से तभी पूरी कमाई होगी जब आसपास पर्याप्त संख्या में ई-वी चल रही हों। यदि आपके क्षेत्र में ई-वी अपनाने की रफ़्तार धीमी है तो पहले बाज़ार का रुख़ परखें।
- बिजली बेचने का मतलब बिजली की बुनियादी समझ भी ज़रूरी है। ट्रांसमिशन लॉस—that यानि मीटर के बाद के नुकसान—सीधे आपके मुनाफ़े को कम करते हैं। स्टेशन को अपेक्षाकृत ठंडी जगह लगाएँ ताकि हीट लॉस घटे।
निष्कर्ष
इलेक्ट्रिक वाहन तो आ ही रहे हैं, ऐसे में चार्जिंग स्टेशन व्यापार का अच्छा मौक़ा है। लेकिन हर कारोबार की तरह सफल वही होगा जो स्थानीय परिस्थितियों, बिजली दर और ज़मीन की उपलब्धता का ठीक से अध्ययन करे। इस लेख में बताए बुनियादी बिंदुओं को अपने क्षेत्र के आँकड़ों से मिलाएँ और तभी निवेश का फ़ैसला लें।
और साथ ही EV चार्जिंग स्टेशन खोलने से पहले अगर आप ईवी गाड़ी को लम्बी दूरी तक चलाकर देखें तो आपको ईवी गाड़ी मालिकों की जरूरतों का ज्यादा अच्छे से अनुभव होगा। साथ ही EV चार्जिंग स्टेशन का बिजनेस करे या ना करें इसका भी अनुमान लगेगा।अगर आप के पास पहले से खुद की ईवी गाड़ी हो तो कहने ही क्या। और अगर नहीं भी है तो हमारे इस आर्टिकल भारत की सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कारें से पढ़कर एक किफायती ईवी कार खरीद भी सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सभी को बड़ा करें

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