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CNG किट की कीमत 2025 – भारत में बेस्ट कन्वर्जन किट ब्रांड्स और फीचर्स की लिस्ट
- 1कार को CNG में बदलना आसान है, बस थोड़ा समय लगता है
- 2CNG इंस्टॉलेशन का खर्च कुछ सालों में फ्यूल सेविंग से रिकवर हो जाता है
- 3इंजन की घटती परफॉर्मेंस और बार-बार सर्विसिंग की ज़रूरत इसकी प्रमुख कमियां हैं
- CNG किट क्या होती है?
- CNG किट के प्रकार
- Venturi CNG किट और Sequential CNG किट में क्या फर्क है?
- भारत में CNG किट की कीमतें
- भारत में उपलब्ध RTO-अप्रूव्ड CNG किट ब्रांड्स और उनकी कीमतें
- इंस्टॉलेशन के अलावा लगने वाले अन्य शुल्क
- कार में CNG किट कैसे काम करती है?
- CNG किट के फायदे
- CNG किट के नुकसान
- CNG किट लगवाने से पहले किन बातों का रखें ध्यान?
- CNG किट का रखरखाव कैसे करें?
- CNG किट की लाइफ बढ़ाने के टिप्स
- कंपनी-फिटेड बनाम आफ्टरमार्केट CNG किट
- निष्कर्ष
ICRA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2027 तक भारत में Compressed Natural Gas (CNG) पैसेंजर वाहनों के लिए दूसरा सबसे पसंदीदा ईंधन बन सकता है। इसके साथ ही, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा 2030 तक 17,500 CNG पंप लगाने की योजना भी इस बढ़ती मांग को समर्थन देने में मदद करेगी। बढ़ती ईंधन कीमतों के इस दौर में, CNG प्रोजेक्ट्स न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि ग्राहकों की जेब पर भी हल्के हैं।
CNG न सिर्फ पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में सुरक्षित है (क्योंकि इसका ऑटो-इग्निशन टेम्परेचर 540°C होता है), बल्कि इसकी फ्लेमेबिलिटी भी कम होती है — जिससे आग लगने का जोखिम बहुत घट जाता है। भारत में Maruti Suzuki, Tata Motors और Hyundai जैसे ऑटोमेकर CNG से चलने वाली गाड़ियों के प्रमुख खिलाड़ी हैं। WagonR CNG, Dzire CNG और Tigor iCNG जैसी कारें इसकी मिसाल हैं। लेकिन अगर आप किसी फैक्ट्री-फिटेड या आफ्टरमार्केट CNG किट वाली गाड़ी खरीदने का सोच रहे हैं — तो यहां हम हर ज़रूरी जानकारी दे रहे हैं जो आपके काम आएगी।
CNG किट क्या होती है?
पेट्रोल से डीज़ल या डीज़ल से पेट्रोल इंजन में बदलना संभव नहीं होता, लेकिन कई पेट्रोल या डीज़ल गाड़ियों को CNG पर चलने के लिए कन्वर्ट किया जा सकता है — और इसके लिए CNG किट लगाई जाती है। CNG किट लगाने के बाद एक स्विच की मदद से आप पेट्रोल/डीज़ल और CNG के बीच आसानी से बदल सकते हैं। हालांकि, इसके लिए आपको अपने क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) से पहले अनुमति लेनी होगी। एक CNG किट आपके इंजन को Compressed Natural Gas पर भी चलाने लायक बनाती है। इसमें शामिल होते हैं:
- Electric Control Unit (ECU): गैस के प्रवाह को नियंत्रित करता है
- Pressure Gauge: गैस का दबाव दर्शाता है
- Refill Valve: CNG पंप पर पाइप जोड़ने का पोर्ट
- High-Pressure Tubes: पूरी सिस्टम में गैस पहुंचाते हैं
- CNG Tank: CNG को स्टोर करता है
- Clamps: पाइप्स को जगह पर पकड़ कर रखते हैं
- Regulator: प्रेशर ज़्यादा होने पर गैस सप्लाई बंद करता है
CNG किट के प्रकार
फैक्ट्री-फिटेड और आफ्टरमार्केट किट की परफॉर्मेंस लगभग एक जैसी होती है। फर्क होता है किट के ब्रांड और क्वालिटी में। CNG किट दो प्रकार की होती हैं, जिनके अपने फायदे और नुकसान हैं।
1. वेंटुरी किट (Venturi Kit)

Venturi किट खासतौर पर उन गाड़ियों के लिए होती है जो कार्ब्युरेटर सिस्टम पर चलती हैं। इसकी कीमत कम होती है और इसे इंस्टॉल करना आसान होता है क्योंकि इसमें जटिल वायरिंग की ज़रूरत नहीं होती। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि इसे लगाने के लिए ECU की ज़रूरत नहीं होती।
हालांकि, इस किट की परफॉर्मेंस अनियमित होती है और समय-समय पर सफाई और सर्विसिंग की ज़रूरत पड़ती है। इसकी वजह से रखरखाव का खर्च ज़्यादा होता है। इसके अलावा, ऐसी गाड़ियों में एक्सेलेरेशन धीमा होता है और इंजन के बंद हो जाने की संभावना भी रहती है।
2. सीक्वेंशियल किट (Sequential Kit)

Sequential किट उन गाड़ियों के लिए होती है जिनमें फ्यूल डायरेक्ट इंजेक्शन होता है। इसमें ECU को रीमैप करना या नया ECU लगाना पड़ता है जो ईंधन की मात्रा को नियंत्रित करता है। इस वजह से यह किट Venturi से महंगी और इंस्टॉलेशन में थोड़ी जटिल होती है, लेकिन माइलेज बेहतर देती है।
A. क्लोज़्ड-लूप सिस्टम
यह सिस्टम Lambda सेंसर से जुड़ा होता है और एग्जॉस्ट सिस्टम में फिट होता है। यह सेंसर ईंधन दहन की गुणवत्ता की जानकारी ECU को भेजता है ताकि फ्यूल फ्लो को नियंत्रित किया जा सके। इससे प्रदूषण कम होता है और यह पर्यावरण के अनुकूल होता है। हालांकि, इसकी वजह से कार का एक्सेलेरेशन थोड़ा धीमा हो जाता है। यह सिस्टम उन्हीं गाड़ियों में काम करता है जिनमें Lambda सेंसर होता है।
B. ओपन-लूप सिस्टम
यह सिस्टम फ्यूल फ्लो को "खुला" छोड़ता है, यानी यह एग्जॉस्ट गैसों पर निर्भर नहीं करता। इससे परफॉर्मेंस बेहतर मिलती है और एक्सेलेरेशन स्मूद होता है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि इससे ज़्यादा गैस निकलती है, जिससे इंजन ज़्यादा गर्म होता है और वाल्व को नुकसान हो सकता है। इसलिए पर्यावरण के लिहाज़ से यह कम अनुकूल विकल्प है। इन दोनों में, Closed Loop Sequential Kit पर्यावरण के साथ-साथ इंजन के लिए भी बेहतर मानी जाती है।
Venturi CNG किट और Sequential CNG किट में क्या फर्क है?
अगर आप सोच रहे हैं कि Venturi और Sequential किट में क्या अंतर होता है, तो नीचे दी गई टेबल एक त्वरित तुलना देती है:
पैरामीटर | Venturi किट | Sequential किट |
बेसिक मेकनिज़्म | फिक्स मात्रा में फ्यूल इंजन में भेजता है | ECU के ज़रिए फ्यूल का फ्लो नियंत्रित होता है |
इंस्टॉलेशन कॉस्ट | कम खर्च — नए ECU की ज़रूरत नहीं होती | नया ECU लगने से एकमुश्त खर्च ज़्यादा होता है |
इंस्टॉलेशन प्रोसेस | आसान, कम वायरिंग की ज़रूरत | ज़्यादा समय और लेबर की ज़रूरत |
ECU | नहीं | हां |
अतिरिक्त प्रकार | नहीं | क्लोज़्ड लूप और ओपन लूप सिस्टम |
इंजन कम्पैटिबिलिटी | कार्ब्युरेटर वाली गाड़ियों के लिए उपयुक्त | सिर्फ फ्यूल-इंजेक्टेड गाड़ियों में ही संभव |
मेंटेनेंस | बार-बार सफाई और देखभाल की ज़रूरत | मेंटेनेंस की ज़रूरत कम |
परफॉर्मेंस | धीमा एक्सेलेरेशन | स्मूद एक्सेलेरेशन और बेहतर लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस |
भारत में CNG किट की कीमतें
भारत में CNG किट की कीमत उनके प्रकार और इंस्टॉलेशन के तरीके के अनुसार अलग-अलग होती हैं:
किट का प्रकार | अनुमानित कीमत |
फैक्ट्री फिटेड Sequential CNG किट | ₹90,000 – ₹1,00,000 |
इंडिपेंडेंट ब्रांड (तीसरे पक्ष द्वारा इंस्टॉल की गई) | ₹40,000 – ₹50,000 |
ओपन-लूप सिस्टम CNG किट (इंस्टॉलेशन सहित) | ₹15,000 – ₹20,000 |
क्लोज़्ड-लूप सिस्टम CNG किट (इंस्टॉलेशन सहित) | ₹22,000 – ₹25,000 |
भारत में उपलब्ध RTO-अप्रूव्ड CNG किट ब्रांड्स और उनकी कीमतें
सुरक्षा और भरोसेमंद परफॉर्मेंस सुनिश्चित करने के लिए आपको वही ब्रांड चुनना चाहिए जो RTO द्वारा अप्रूव्ड हों:
CNG किट ब्रांड | कीमत |
Bugatti | ₹45,000 |
Unitax | ₹45,000 |
Longas | ₹42,000 |
Tomasetto | ₹40,000 |
Zavoli | ₹39,999 |
Lovato Autogas | ₹31,999 |
Bedni | ₹30,000 |
Landi-Renzo | ₹30,000 |
SKN | ₹30,000 |
BRC | ₹29,999 |
Tartarini | ₹25,000 |
इंस्टॉलेशन के अलावा लगने वाले अन्य शुल्क
कार में CNG किट लगवाने पर सिर्फ किट की कीमत ही नहीं, कुछ अतिरिक्त चार्ज भी होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखना ज़रूरी है:
- रजिस्ट्रेशन और RC में CNG एन्डोर्समेंट: ₹2,000 – ₹3,000
- RTO लाइसेंस फीस: राज्य के अनुसार अलग-अलग
- मेंटेनेंस चार्ज: चेकअप और रिपेयर के अनुसार
- अतिरिक्त इंश्योरेंस एन्डोर्समेंट फीस: ₹1,200 – ₹1,500
कार में CNG किट कैसे काम करती है?
जब आप कार में CNG किट लगवाते हैं, तो एक सेकेंडरी फ्यूल टैंक भी लगाया जाता है, जो आमतौर पर डिक्की (boot) में होता है। इसमें संपीड़ित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas) भरी जाती है, जिसकी क्षमता 10 से 12 किलो तक होती है। यह CNG गैस हाई-प्रेशर ट्यूब्स के जरिए इंजन के फ्यूल इंजेक्टर तक जाती है, जहां से उसे इंजन के कम्बशन चैम्बर में भेजा जाता है। गैस का प्रेशर एक रेगुलेटर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जब सही दबाव बनता है, तो गैस इंजेक्शन सिस्टम में पहुंचती है, और वहां से इंजन में जाती है। फिर स्पार्क प्लग गैस को जलाता है, जिससे वाहन को आगे बढ़ाने की ताकत मिलती है।
CNG किट के फायदे

1. पैसे की बचत:
CNG से चलने वाली कारें डीज़ल से सस्ती होती हैं और पेट्रोल कारों से थोड़ी ही महंगी होती हैं (लगभग ₹90,000 ज़्यादा)। लगातार चलाने पर CNG कार अपनी इंस्टॉलेशन लागत लगभग 2 साल में वसूल लेती है क्योंकि CNG का दाम पेट्रोल-डीज़ल से काफी कम होता है।
2. माइलेज:
CNG कारें पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में ज़्यादा माइलेज देती हैं। मतलब 1 किलो CNG में जो दूरी तय होगी, वही दूरी पेट्रोल से 25% कम कवर होती है।
3. इंजन पर असर नहीं:
CNG से गाड़ी चलाने का कोई नुकसान नहीं है। इसमें सीसा (Lead) नहीं होता, जिससे स्पार्क प्लग की लाइफ बढ़ती है। CNG इंजन ऑयल से भी नहीं मिलती, जिससे इंजन को नुकसान कम होता है।
4. पर्यावरण के अनुकूल:
CNG के उत्सर्जन में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर बहुत कम होता है। इसलिए यह एक क्लीन फ्यूल ऑप्शन है।
5. सुरक्षित ईंधन:
CNG का ऑटो इग्निशन टेम्परेचर काफी ज़्यादा होता है, जिससे आग लगने की संभावना बहुत कम होती है।
6. शुद्धता:
पेट्रोल/डीज़ल में मिलावट आम है, लेकिन CNG में मिलावट लगभग नामुमकिन है। इससे खरीदार को हमेशा शुद्ध और अच्छी क्वालिटी का फ्यूल मिलता है।
7. फ्यूल फ्लेक्सिबिलिटी:
CNG किट के साथ आप कभी भी पेट्रोल और CNG के बीच स्विच कर सकते हैं — जिससे आपके पास दो फ्यूल ऑप्शन होते हैं।
8. NVH (Noise, Vibration, Harshness):
CNG कारें NVH के मामले में पेट्रोल कारों के बराबर होती हैं, जिससे राइड का अनुभव स्मूद रहता है।
CNG किट के नुकसान
1. इंस्टॉलेशन कॉस्ट और जटिलता:
CNG किट लगवाने में ₹50,000 से ₹60,000 का एकमुश्त खर्च आता है और इसकी फिटिंग की प्रक्रिया भी थोड़ी जटिल होती है।
2. मेंटेनेंस:
CNG कारों को नियमित रूप से जांच और मेंटेनेंस की ज़रूरत होती है — यह खर्च पेट्रोल या डीज़ल कारों के मुकाबले ज़्यादा हो सकता है।
3. डिक्की की जगह कम:
CNG टैंक काफी जगह घेरता है, जिससे बूट स्पेस कम हो जाता है।
4. फ्यूल की उपलब्धता:
हालांकि सरकार CNG पंप बढ़ा रही है, लेकिन अभी भी CNG की उपलब्धता पेट्रोल/डीज़ल से कम है। रीफिलिंग के लिए लंबी कतारें आम हैं।
5. परफॉर्मेंस पर असर:
CNG कारों की परफॉर्मेंस पेट्रोल या डीज़ल के मुकाबले थोड़ी कम होती है। उदाहरण के लिए — गर्मियों में AC उतना प्रभावशाली नहीं चलता।
6. इंश्योरेंस प्रीमियम ज़्यादा:
CNG किट से लैस कारों का इंश्योरेंस प्रीमियम लगभग 10% ज़्यादा होता है — खासकर आफ्टरमार्केट किट्स के लिए।
CNG किट लगवाने से पहले किन बातों का रखें ध्यान?
1. कम्पैटिबिलिटी:
अगर कंपनी-फिटेड CNG किट है, तो उस पर वारंटी मिलती है। लेकिन आफ्टरमार्केट किट के मामले में ये कवरेज नहीं होता। इसलिए, यदि आप आफ्टरमार्केट किट लगवा रहे हैं, तो पहले ये ज़रूर जांचें कि वो आपकी गाड़ी के लिए उपयुक्त है या नहीं। पुराने मॉडल्स में ज़्यादातर किट फिट नहीं होतीं। यह जानने के लिए स्थानीय RTO से सूची प्राप्त की जा सकती है।
2. गुणवत्ता:
सिर्फ RTO-प्रमाणित CNG किट ही खरीदें। बाज़ार में नकली और घटिया किट भी मिलती हैं जो सुरक्षा के लिहाज़ से खतरनाक हो सकती हैं।
3. उपलब्धता:
CNG पंप अभी भी पेट्रोल-डीज़ल पंप की तुलना में कम हैं। साथ ही, कई जगहों पर लंबी कतारें लगती हैं, जो ध्यान में रखना ज़रूरी है।
4. RTO की अनुमति:
कोई भी गाड़ी बिना RTO की अनुमति के CNG में नहीं बदली जा सकती। RC में 'फ्यूल टाइप' अपडेट कराना भी ज़रूरी होता है।
5. परफॉर्मेंस पर असर:
समय के साथ आफ्टरमार्केट CNG किट लगवाने वाली गाड़ियों की परफॉर्मेंस घटती है। CNG, पेट्रोल/डीज़ल की तरह इंजन पार्ट्स को लुब्रिकेट नहीं करती, जिससे जंग लगने का खतरा बढ़ता है।
6. इंश्योरेंस को सूचित करें:
CNG इंस्टॉलेशन के बाद इंश्योरेंस कंपनी को तुरंत सूचित करें। यदि ऐसा नहीं किया, तो भविष्य में क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। साथ ही, CNG किट के कारण प्रीमियम करीब 10% बढ़ जाता है।
CNG किट का रखरखाव कैसे करें?
CNG किट लगने के बाद गाड़ी की मेंटेनेंस की ज़रूरत थोड़ी बढ़ जाती है। नीचे कुछ ज़रूरी बिंदु दिए गए हैं:
- एयर फ़िल्टर: हर 6 महीने में साफ़ करवाएं, और हर 12 महीने में बदलें। दूरी के हिसाब से 5,000 किमी पर सफाई और 10,000 किमी पर बदलना अच्छा रहेगा।
- स्पार्क प्लग: हर 40,000 किमी पर बदलना चाहिए, लेकिन बेहतर परफॉर्मेंस के लिए कुछ लोग हर 20,000 किमी पर बदलना पसंद करते हैं।
- थ्रोटल बॉडी: इसे हर 10,000 किमी पर कार्बन जमा होने से साफ़ करना चाहिए।
- CNG रिड्यूसर और लो-प्रेशर फिल्टर: रिड्यूसर फिल्टर को 40,000 किमी पर और लो-प्रेशर फिल्टर को 20,000 किमी पर बदलना चाहिए।
- CNG सिलेंडर: समय-समय पर हाइड्रो टेस्टिंग ज़रूरी है।
CNG किट की लाइफ बढ़ाने के टिप्स
- गाड़ी की शुरुआत पेट्रोल से करें, फिर CNG पर स्विच करें — इससे इंजन की लुब्रिकेशन बनी रहती है।
- सर्विस शेड्यूल से पहले ही गाड़ी की जांच करवा लें।
- लो गैस लेवल पर लंबे समय तक गाड़ी न चलाएं — इससे इंजन वॉल्व्स को नुकसान हो सकता है।
- गाड़ी को छाया में पार्क करें — इससे CNG वाष्प बनने से बचती है।
कंपनी-फिटेड बनाम आफ्टरमार्केट CNG किट

मापदंड | कंपनी-फिटेड किट | आफ्टरमार्केट किट |
कीमत | अधिक लेकिन भरोसेमंद | कम कीमत पर उपलब्ध |
वारंटी | इंजन पर वारंटी मिलती है | कंपनी की वारंटी समाप्त हो जाती है |
गुणवत्ता | उच्च गुणवत्ता और RTO अप्रूव्ड | घटिया क्वालिटी या नकली किट मिलने की संभावना |
विश्वसनीयता | ज़्यादा | कम |
निष्कर्ष
CNG पावर्ड कारें ईंधन की बचत और कम खर्च के लिए बेहतरीन विकल्प हैं। हालांकि इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस का खर्च थोड़ा ज़्यादा होता है, लेकिन नियमित और लंबी दूरी की यात्रा करने वालों के लिए यह किफायती साबित होता है।
हां, थोड़ी परफॉर्मेंस की गिरावट, बूट स्पेस की कमी और इंजन की देखरेख जैसे कुछ समझौते करने पड़ सकते हैं।
अगर आप बजट में एक भरोसेमंद और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प चाहते हैं — तो CNG एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
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