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कार की एक्सीडेंट हिस्ट्री कैसे चेक करें? भारत में आसान तरीका जानिए

20 Aug 2025
Key highlights
  • 1
    पुरानी कार खरीदने से पहले उसकी एक्सीडेंट हिस्ट्री जांचना बहुत जरूरी है
  • 2
    बहुत सस्ती गाड़ी दिखे, तो उसकी एक्सीडेंट हिस्ट्री ज़रूर जांचें
  • 3
    गाड़ी की एक्सीडेंटल हिस्ट्री जानने के लिए सर्विस रिकॉर्ड और विशेषज्ञ की सहायता लें
आउटलाइन

भारत में इस्तेमाल की गई कार खरीदना पहली बार खरीदारों के लिए थोड़ा उलझाऊ हो सकता है। किस कार को खरीदें, कहां से और किससे खरीदें — सीधे मालिक से या डीलर के जरिए? लेकिन सबसे बड़ा डर होता है कि कहीं ऐसी कार न खरीद लें, जिसमें छिपी हुई खराबियां हों, जो आगे चलकर भारी खर्चा करवा दें। इनमें से कई दिक्कतें सामान्य घिसावट से जुड़ी हो सकती हैं, या फिर किसी पिछले एक्सीडेंट की वजह से भी हो सकती हैं।

लेकिन अगर आपको ये पता हो कि भारत में गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री कैसे चेक करें, तो यूज़्ड कार खरीदना कहीं आसान हो जाता है।

 

भरोसेमंद तरीका: CARS24

 

बेशक, आप चाहें तो CARS24 की मदद से सीधी, भरोसेमंद और जांची-परखी हुई इस्तेमाल की गई कार खरीद सकते हैं। यहां पर हर गाड़ी को 140+ बिंदुओं पर पूरी तरह जांचने के बाद ही लिस्ट किया जाता है। हालांकि, खुद कुछ बेसिक जानकारी रखना भी जरूरी है ताकि आप जागरूक ग्राहक बनें।

इस गाइड में हम बताएंगे:

 

  • एक्सीडेंटल व्हीकल किसे कहते हैं?
  • एक्सीडेंट हिस्ट्री चेक करना क्यों ज़रूरी है?
  • कहां से और कैसे चेक करें?

 

एक्सीडेंटल व्हीकल क्या होता है?

 

accidental vehicle

 

किसी भी ऐसी गाड़ी को एक्सीडेंटल व्हीकल कहा जाता है, जो अपने जीवनकाल में कभी एक्सीडेंट का शिकार हो चुकी हो। यह हल्का-फुल्का टक्कर हो सकता है (जिसमें सिर्फ बंपर डेमेज हो), या फिर गंभीर एक्सीडेंट हो सकता है, जिससे गाड़ी की स्ट्रक्चरल मजबूती या मेकैनिकल पार्ट्स पर असर पड़ा हो।

भारत में एक्सीडेंट होना आम बात है, चाहे रोड की हालत हो, ट्रैफिक की भीड़ या ट्रैफिक नियमों की अनदेखी। गाड़ी की स्पीड, वाहन का साइज और बनावट — ये सब एक्सीडेंट के प्रभाव को निर्धारित करते हैं।

 

कम स्पीड पर भी अगर छोटी कार का एक्सीडेंट बड़ी SUV से हो जाए, तो छोटी गाड़ी को ज्यादा नुकसान हो सकता है।

 

एक्सीडेंट के बाद क्या होता है?

 

अगर गाड़ी बीमा (insurance) के अंतर्गत है, तो इंश्योरेंस कंपनी पहले डैमेज का आकलन करती है:

 

  • मामूली नुकसान हो तो उसे रिपेयर किया जाता है।
  • अगर डैमेज बहुत ज्यादा है और रिपेयर की लागत गाड़ी की बीमा वैल्यू से अधिक है, तो उसे “टोटल लॉस” घोषित कर दिया जाता है।
     

इस स्थिति में:

 

  • इंश्योरेंस कंपनी मालिक को मार्केट वैल्यू का भुगतान करती है।
  • फिर गाड़ी को स्क्रैप यार्ड भेजा जाता है।
  • स्क्रैप यार्ड तय करता है कि गाड़ी रिपेयर हो सकती है या स्क्रैप करनी होगी।
     

रिपेयर की गई एक्सीडेंटल कार: क्यों ज़रूरी है सतर्क रहना?

 

कई बार टोटल लॉस के बाद गाड़ी को फिर से ठीक करके दोबारा बेचा जाता है। लेकिन अगर:

 

  • रिपेयर सही तरह से नहीं की गई,
  • नकली या सस्ते स्पेयर पार्ट्स का इस्तेमाल हुआ हो,
     

तो ऐसी गाड़ी चलाना खतरनाक हो सकता है। ये गाड़ियाँ जल्दी खराब हो सकती हैं या फिर अगला एक्सीडेंट जल्द ही हो सकता है।

इसलिए एक्सीडेंट हिस्ट्री चेक करना जरूरी है ताकि आप गलती से भी ऐसी गाड़ी न खरीद लें।

 

भारत में किसी गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री कैसे चेक करें?

 

भारत में सेकंड हैंड कार खरीदना पहली बार के खरीदारों के लिए चुनौतीभरा लग सकता है। आमतौर पर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं — कौन सी यूज़्ड कार खरीदें? किससे खरीदें — मालिक से सीधे या डीलर से? और सबसे बड़ी चिंता होती है — कहीं गलती से कोई ऐसी कार न खरीद लें जो पहले कभी एक्सीडेंट का शिकार हो चुकी हो, और जिसके चलते उसमें छुपी खराबियां हों।

 

लेकिन अगर आपको पता हो कि किसी गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री कैसे चेक करें, तो कार खरीदने का यह सफर बहुत आसान हो सकता है।

 

एक्सीडेंट हिस्ट्री चेक करने के लिए जरूरी स्टेप्स:

 

1. गाड़ी का फिजिकल इंस्पेक्शन करें

 

car inspection

 

सबसे पहले गाड़ी की बाहरी स्थिति को ध्यान से जांचें — कहीं किसी हिस्से में नुकसान के निशान तो नहीं? खासकर ऐसे बदलाव जो फैक्ट्री से निकलते वक्त गाड़ी में नहीं होते। अगर आप गाड़ी के बारे में ज्यादा नहीं जानते, तो किसी भरोसेमंद मैकेनिक या कार एक्सपर्ट को साथ लेकर जाएं।

 

2. पेंट की जांच करें

 

paint

 

अगर किसी बॉडी पैनल को किसी टक्कर की वजह से फिर से पेंट किया गया है, तो उसका रंग बाकी बॉडी से थोड़ा अलग हो सकता है। इसके अलावा, अगर पैनल का रंग बिल्कुल मेल खा रहा है, तो भी एक सुराग हो सकता है — जिसे कहते हैं "ऑरेंज पील इफेक्ट", यानी पेंट की सतह पर छोटे-छोटे डिंपल्स। इसके अलावा, बोनट के नीचे और बूट के अंदरूनी हिस्से में पेंट के ओवरस्प्रे भी किसी रिपेयर की निशानी हो सकते हैं।

 

3. पैनल गैप्स की जांच करें

 

panel gap in cars

 

एक्सीडेंट के बाद कई बार गाड़ी के हिस्सों को दोबारा लगाया जाता है। ऐसे में पैनल के बीच के गैप असमान हो सकते हैं, यानी एक पैनल दूसरे से थोड़ा ज्यादा बाहर या अंदर हो। ऐसे पैनल गैप्स और गलत अलाइनमेंट बताते हैं कि गाड़ी में रिपेयरिंग हुई है, और हो सकता है कि यह काम बहुत अच्छी क्वालिटी का न हो।

 

4. गाड़ी के अंडरबॉडी की जांच करें

 

गाड़ी के नीचे झांककर देखें। यहां रिपेयर के निशान पकड़ने के ज्यादा चांस होते हैं क्योंकि आमतौर पर इन हिस्सों की मरम्मत जल्दी और कम ध्यान से की जाती है। देखें कि कहीं चेसिस को वेल्ड किया गया हो या हथौड़े से सीधा किया गया हो। जिन जगहों पर मेटल में क्रैक या सिलवटें हैं, वहां पेंट उखड़ गया हो या जंग लग गई हो — वो सभी एक्सीडेंट के संकेत हो सकते हैं।

 

अगर कोई नया पार्ट नीचे से बाकी गाड़ी के हिसाब से अलग और नया लग रहा हो, तो समझ लें कि उसे बदला गया है।

 

5. सभी शीशों की जांच करें

 

विंडशील्ड, रियर विंडशील्ड और खिड़कियों को ध्यान से जांचें कि कहीं उनमें दरार तो नहीं है। साथ ही सभी शीशों पर एक जैसे ब्रांड या सीरियल नंबर के निशान होने चाहिए। अगर किसी शीशे का ब्रांड अलग दिख रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि वह एक्सीडेंट के बाद बदला गया है।

 

6. कार के बैजेस (Logo/Emblems) की जांच करें

 

जब कोई कार फिर से पेंट की जाती है, तो अक्सर बैज (जैसे ब्रांड लोगो या मॉडल नेम) को हटाकर बाद में लगाया जाता है। ऐसे में यह संभव है कि कुछ बैज ज्यादा चमकदार या नए दिखें, या सही जगह पर न लगे हों — या गायब ही हों। अगर ऐसा लगे, तो कार मालिक से सवाल पूछें: "क्या यह हिस्सा पेंट किया गया है?" या "यह बैज क्यों बदला गया?"

 

7. सीधे मालिक से पूछें

 

यह सुनने में भले ही आसान लगे, लेकिन अगर आप कार सीधे मालिक से खरीद रहे हैं, तो सीधा पूछिए: "क्या यह कार कभी एक्सीडेंट में शामिल रही है?" 

 

अगर जवाब हां है, तो और जानकारी लें:

 

  • कौन से हिस्सों को नुकसान हुआ था?
  • किन हिस्सों को बदला गया?
  • क्या चेसिस डैमेज हुआ था?
  • कौन से पैनल फिर से पेंट किए गए हैं?
     

कई बार मालिक ईमानदारी से सब कुछ बता देते हैं, और इससे आपको निर्णय लेने में मदद मिलती है।

 

8. VIN और इंजन नंबर की जांच करें

 

गाड़ी के Vehicle Identification Number (VIN) और इंजन नंबर को आरसी और इंश्योरेंस डॉक्यूमेंट में दिए गए नंबर से मिलाएं। VIN आमतौर पर बोनट के अंदर किसी मेटल पैनल पर उभरा होता है, और इंजन नंबर इंजन के ब्लॉक पर उकेरा होता है। अगर नंबर नहीं मिलते, या छेड़छाड़ के संकेत हैं, तो सतर्क हो जाइए — यह गाड़ी किसी गड़बड़ में हो सकती है।

 

9. सर्विस रिकॉर्ड की जांच करें

 

अगर आपके पास गाड़ी का VIN (Vehicle Identification Number) है, तो आप उसकी सर्विस हिस्ट्री जांच सकते हैं — खासकर अगर वह किसी अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर में रिपेयर होती रही हो। भले ही गाड़ी वॉरंटी के बाद किसी लोकल मैकेनिक से सर्विस करवाई गई हो, फिर भी आप कंपनी के सर्विस सेंटर से रिकॉर्ड मांग सकते हैं।

 

ध्यान दीजिए:

 

  • किन पार्ट्स को बदला गया था?
  • कितनी किलोमीटर पर बदला गया था?
     

अगर इंजन पार्ट्स या हेडलाइट/टेललाइट जैसी चीजें बहुत जल्दी बदली गई हों, तो ये इशारा कर सकता है कि गाड़ी किसी एक्सीडेंट का हिस्सा रही है।

 

10. गाड़ी की पुरानी या मौजूदा इंश्योरेंस कंपनी से जानकारी लें

 

अगर आपको इंश्योरेंस कंपनी का नाम पता है, तो वहां से पूछ सकते हैं कि उस गाड़ी पर अब तक कोई क्लेम किया गया है या नहीं

अगर कोई बड़ा क्लेम हुआ है, तो ये एक बड़ा संकेत हो सकता है कि गाड़ी एक्सीडेंटल है।

 

क्यों ज़रूरी है गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री जांचना?

 

किसी भी सेकंड हैंड गाड़ी को खरीदने से पहले उसकी एक्सीडेंट हिस्ट्री जानना ज़रूरी है, ताकि:

 

  • आगे चलकर कोई बड़ी दिक्कत न हो,
  • आप जान सकें कि गाड़ी कितनी सुरक्षित है,
  • आपको बीमा, मरम्मत और रिसेल के बारे में सही जानकारी हो।
     

यहां जानिए इसके पीछे की मुख्य वजहें:

 

1. सुरक्षा (Safety)

 

अगर गाड़ी को कभी तेज़ टक्कर लगी है, तो उसके स्ट्रक्चर, एयरबैग या सस्पेंशन सिस्टम पर असर पड़ा हो सकता है। इससे गाड़ी ड्राइव करते समय असामान्य व्यवहार कर सकती है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।

 

2. इंश्योरेंस प्रीमियम ज़्यादा हो सकता है

 

ऐसी गाड़ियों पर बीमा कंपनियां ज्यादा प्रीमियम लेती हैं। मतलब हर साल आपको ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है।

 

3. मेंटेनेंस कॉस्ट ज़्यादा हो सकता है

 

एक्सीडेंटल गाड़ियों में भविष्य में कोई न कोई समस्या जल्दी आ सकती है — चाहे वो अभी नज़र न भी आए।

छुपे हुए डैमेज या घटिया रिपेयरिंग बाद में महंगी पड़ सकती है।

 

4. रिसेल वैल्यू कम हो जाती है

 

चाहे आप गाड़ी अच्छे से ठीक करवा लें, फिर भी एक्सीडेंटल गाड़ियों की मार्केट वैल्यू कम होती है।

लेकिन अगर आपको पहले से इसकी जानकारी हो, तो आप इसे एक बर्गेनिंग पॉइंट की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

भारत में वाहन की एक्सीडेंट हिस्ट्री कहां चेक करें?

 

भारत में अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं है जो गाड़ी बेचने वाले को यह ज़रूरी ठहराता हो कि वह बताएं कि गाड़ी कभी एक्सीडेंट में शामिल रही है या नहीं। इसलिए, इस जिम्मेदारी की पूरी ज़िम्मेदारी खरीदार की ही होती है।

 

1. अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर (ASC)

 

यह गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री जानने के लिए सबसे अच्छा शुरुआती पॉइंट है। ज़्यादातर लोग वॉरंटी पीरियड में अपनी गाड़ी को अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर पर ही सर्विस करवाते हैं।

 

  • अगर कोई सर्विस छूटी हुई है, तो यह शक की वजह हो सकती है।
  • सर्विस रिकॉर्ड जरूर मांगें और किसी भी अन्य सामान्य से अलग बिल या रिपेयरिंग की जांच करें।

 

2. इंश्योरेंस कंपनियां

 

जैसा कि पहले बताया गया, उस गाड़ी की वर्तमान या पिछली इंश्योरेंस कंपनी से जानकारी लें कि क्या कोई बड़ा क्लेम किया गया है। अगर हां, तो यह संकेत हो सकता है कि गाड़ी एक्सीडेंट का शिकार हो चुकी है।

 

निष्कर्ष

 

एक्सीडेंटल गाड़ी की पहचान करने के लिए काफी सारी बातें जांचनी होती हैं। लेकिन इन सभी जांचों में समय और मेहनत लगती है।

 

हल क्या है?

 

CARS24 एक आसान विकल्प देता है:

  • आप CARS24 की Car History Report ले सकते हैं जिसमें शामिल होता है:
     
    • सर्विस हिस्ट्री
    • एक्सीडेंट रिकॉर्ड
    • पार्ट्स रिप्लेसमेंट की जानकारी
    • और भी बहुत कुछ!
       

CARS24 की थोरोली इंस्पेक्टेड कार इन्वेंट्री से आप बेफिक्र होकर सेकंड हैंड गाड़ी खरीद सकते हैं।

इस आर्टिकल में आपने ये तो जान लिया कि सेकंड हैंड कार लेते समय क्या-क्या सावधानियां बरतनी है। पर क्या आपको पता है मार्केट में एक नये तरह का पेट्रोल मिलने लगा है जिसे ई20 या फिर एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल कहते हैं। इस तरह के पेट्रोल में 20 प्रतिशत ऐथेनॉल मिला हुआ है। पर क्या ये पेट्रोल, आपकी कार के इंजन के लिए सही है। किसी दिन भूलवश इस पेट्रोल को अपनी कार में डलवाने से पहले हमारा आर्टिकल क्या आपकी कार E20 पेट्रोल को सपोर्ट करती है? ऐसे करें चेक पढ़ लें। इस आर्टिकल को पढ़कर आपको पता चलेगा कि आपकी कार ई20 पेट्रोल पर चल सकती है या नहीं। तो देर किस बात की अभी पढ़िए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सभी को बड़ा करें
Q. भारत में वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर कैसे प्राप्त होता है?
Q. क्या भारत में किसी भी RTO वेबसाइट पर एक्सीडेंट हिस्ट्री देख सकते हैं?
Q. क्या भारत में किसी प्राइवेट वेबसाइट से गाड़ी की एक्सीडेंट हिस्ट्री चेक की जा सकती है?
Q. क्या गाड़ी बेचते समय एक्सीडेंट हिस्ट्री बताना ज़रूरी है?
Q. वाहन की एक्सीडेंट हिस्ट्री क्यों जांचनी चाहिए?
Q. एक्सीडेंट हिस्ट्री ऑनलाइन चेक करने के लिए क्या ज़रूरी है?
Q. एक्सीडेंट रिकॉर्ड का वाहन की कीमत पर क्या असर होता है?
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