

कार की सर्विस कितनी बार करवानी चाहिए? जानिए सही इंटरवल और ज़रूरी टिप्स
- 1समय-समय पर सर्विस कराने से कार लंबे समय तक भरोसेमंद बनी रहती है
- 2चाहे कार नई हो या पुरानी, समय पर सर्विस से माइलेज और सुरक्षा बेहतर होती है
- 3कार का समय पर मेंटेनेंस भविष्य के भारी खर्च से बचाता है
कार को सही समय पर सर्विस कराना उसकी परफॉर्मेंस और लंबी उम्र के लिए बेहद ज़रूरी है। समय पर की गई सर्विस न सिर्फ आपकी कार को भरोसेमंद और दिक्कत-रहित बनाए रखती है, बल्कि आपकी और यात्रियों की सुरक्षा से भी जुड़ी होती है। यही कारण है कि कार के ओनर मैनुअल में दिए गए मेंटेनेंस शेड्यूल का पालन करना और समय-समय पर कार की जांच करवाना सबसे समझदारी भरा तरीका है, जिससे कार की एफिशिएंसी, सेफ्टी और लाइफ तीनों बनी रहती हैं।
सेकेंड-हैंड कारों की सर्विसिंग का महत्व
अगर आपने पुरानी (used) कार खरीदी है, तो यह मानना गलत होगा कि उसे बार-बार सर्विस की ज़रूरत नहीं है। जिस कार ने अब तक अच्छा परफॉर्म किया है, उसका कारण यही है कि उसके पिछले मालिक ने सर्विस शेड्यूल का पालन किया। पुरानी कारों में नियमित मेंटेनेंस और सर्विसिंग और भी अहम हो जाती है, क्योंकि इनके कई पार्ट्स लगातार इस्तेमाल की वजह से अपनी सर्विस लाइफ के अंतिम चरण तक पहुँच चुके होते हैं।
अपनी पुरानी कार की सर्विस ज़रूरतों को समझें
हर कार अलग होती है और एक ही मॉडल भी अलग तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। एक कार के लिए जो काम करता है, ज़रूरी नहीं वही दूसरी के लिए भी काम करे। आपको अपनी कार के ड्राइविंग पैटर्न, रोज़मर्रा की ड्राइव से होने वाले असर और किन हिस्सों पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए—इन सबकी जानकारी खुद होनी चाहिए।
वाहन की सर्विस हिस्ट्री चेक करें
जब भी आप कोई पुरानी कार खरीदें, तो उसकी सर्विस हिस्ट्री ज़रूर देखें। इसमें किसी भी अनावश्यक गैप या अनियमितता पर ध्यान दें। यह भी सुनिश्चित करें कि पिछले मालिक ने कार की सर्विसिंग उसी अंतराल पर करवाई हो जो कंपनी ने सुझाया था।
निर्माता की सिफारिशें
कार का ओनर मैनुअल जानकारी का खजाना होता है। इसमें कार से जुड़ी बेसिक से लेकर एडवांस्ड जानकारी दी होती है, जिसमें सर्विस इंटरवल्स भी शामिल हैं। निर्माता की गाइडलाइन्स का पालन करना कार की उम्र और एफिशिएंसी बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है। इससे न सिर्फ कार की परफॉर्मेंस और माइलेज बेहतर होता है बल्कि इसकी रीसेल वैल्यू भी बनी रहती है।
कार के इस्तेमाल पर विचार करें
कार का उपयोग और ड्राइविंग कंडीशन इस बात पर सीधा असर डालते हैं कि कौन से हिस्सों पर ज़्यादा वियर-एंड-टियर होगा। अगर कार हाई माइलेज की है, बहुत ज्यादा इस्तेमाल होती है या कभी-कभार ही चलती है, तो दोनों ही स्थितियों में उसे गहराई से चेकअप और सर्विस की आवश्यकता होगी।
प्रमुख सर्विस इंटरवल्स

कार की लंबी उम्र और सुरक्षित ड्राइविंग के लिए समय-समय पर सर्विस इंटरवल्स का पालन करना बहुत ज़रूरी है। अलग-अलग पार्ट्स और फ्लूड्स की सर्विसिंग अलग-अलग समय पर करनी होती है। आइए जानते हैं इनकी डिटेल्स:
- इंजन ऑयल और फिल्टर – हर 10,000 किमी या एक साल बाद बदलना चाहिए, चाहे कार पेट्रोल हो या डीज़ल।
- एयर फिल्टर – बंद एयर फिल्टर से माइलेज और ड्राइविंग परफॉर्मेंस पर सीधा असर पड़ता है। पेट्रोल कारों में हर 30,000 किमी या तीन साल में बदलें, जबकि डीज़ल कारों में हर 20,000 किमी या दो साल में।
- फ्यूल फिल्टर – पेट्रोल कारों का फ्यूल फिल्टर हर 30,000 किमी पर चेक कराएं और डीज़ल कारों का हर 20,000 किमी पर बदलें।
- ब्रेक और टायर्स – ब्रेक शूज़ या ब्रेक पैड्स की जांच हर 10,000 किमी पर करवाएं। टायर्स को हर 5,000 किमी पर रोटेट करें और 15,000-20,000 किमी पर कंडीशन के हिसाब से बदलें।
- ब्रेक और क्लच फ्लूड – हर 10,000 किमी या साल में एक बार ज़रूर चेक और टॉप-अप कराएं, चाहे कार लंबे समय तक खड़ी ही क्यों न हो।
- कूलेंट – ओनर मैनुअल में बताए गए इंटरवल्स के हिसाब से बदलें।
- स्पार्क प्लग्स (पेट्रोल कारों के लिए) – हर 10,000 किमी पर गैप चेक करें और हर 60,000 किमी पर बदलें।
- फंक्शनल चेक्स – हर 10,000 किमी पर सभी पार्ट्स जैसे ड्राइव बेल्ट, बैटरी चार्ज लेवल और टर्मिनल्स की जांच ज़रूर करें।
चेतावनी संकेत: कब तुरंत सर्विसिंग करानी चाहिए
कभी-कभी कार आपको खुद ही संकेत दे देती है कि उसे तुरंत सर्विस की ज़रूरत है। इन संकेतों को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इन वॉर्निंग साइन के बारे में:

- डैशबोर्ड वार्निंग लाइट्स – ‘Check Engine’ लाइट सबसे अहम है। ये इंजन से सम्बन्धित समस्याओं के बारे में अवगत करवाती है। ये परेशानी सामान्य से लेकर गंभीर हो सकती है। इसलिए इस पर तुरंत ध्यान देना जरूरी है वरना आपकी कार बीच रास्ते में खराब हो सकती है। इस महत्वपूर्ण पांइट पर ज्यादा जानकारी के लिए हमारा आर्टिकल इंजन चेक लाइट क्यों जलती है? जानिए इसके पीछे की असली वजह पढ़ें।
- असामान्य आवाज़ या वाइब्रेशन – गड्ढों या स्पीड ब्रेकर पर जाते समय अजीब आवाज़ें (थड्स, चीख़, रैटल्स या ग्राइंडिंग) ध्यान देने योग्य हैं।
- स्टीयरिंग डायरेक्शन – अगर स्टीयरिंग छोड़ने पर गाड़ी सीधी लाइन पर न चले और एक तरफ खिंचने लगे, तो समस्या है।
- स्टार्टिंग में दिक्कत – गाड़ी स्टार्ट करने में समय लगना, आवाज़ आना या बैटरी का कमजोर होना संकेत हो सकता है।
- अचानक बंद होना (स्टॉलिंग) – ओवरहीटिंग, फिल्टर चोक होना या ट्रांसमिशन दिक्कतें वजह हो सकती हैं।
- माइलेज कम होना – कम माइलेज का मतलब हो सकता है कि फ्यूल सप्लाई, इग्निशन, पाइप्स या टायर प्रेशर में समस्या है।
- एग्जॉस्ट से धुआँ निकलना – धुआँ इंजन की परेशानी, एमिशन सिस्टम की खराबी या सेंसर फेलियर का संकेत है।
पुरानी कारों की नियमित सर्विसिंग के फायदे
सही समय पर सही मेंटेनेंस चेक करवाना आपकी कार और आपकी सेहत दोनों के लिए लंबे समय तक फायदेमंद रहता है।
- फ्यूल एफिशिएंसी बेहतर रहती है और ईंधन खर्च कम होता है
- सभी यात्रियों के लिए अधिकतम सुरक्षा, गंभीर खराबी की संभावना कम
- कार की उम्र बढ़ती है क्योंकि सभी हिस्से ऑप्टिमम कंडीशन में काम करते हैं
- कार ज़्यादा भरोसेमंद बनती है और आपको ड्राइविंग में शांति का अनुभव मिलता है
- अच्छी तरह मेंटेन की गई कार की रीसेल वैल्यू हमेशा अधिक होती है
- छोटे-मोटे मुद्दों को समय पर ठीक करने से बड़े और महंगे रिपेयर्स से बचाव होता है
सर्विस के बीच में DIY मेंटेनेंस

कुछ आसान से काम करके भी आप कार की रनिंग कॉस्ट कम कर सकते हैं और इसके पार्ट्स की लाइफ बढ़ा सकते हैं।
- हर 1-2 हफ्तों में टायर प्रेशर चेक करें
- वॉशर फ्लूड टॉप-अप करें और डिपस्टिक से इंजन ऑयल लेवल चेक करें
- एयर फिल्टर की जांच करें और ज़रूरत पड़ने पर साफ करें
- वियर-एंड-टियर के संकेतों पर ध्यान दें
निष्कर्ष
अपनी कार का ध्यान रखना और समय पर सर्विस करवाना उसे हमेशा बेहतरीन कंडीशन में चलने लायक बनाता है। इससे भरोसेमंद परफॉर्मेंस, बेहतर सुरक्षा और रीसेल वैल्यू मिलती है, साथ ही ईंधन और मेंटेनेंस पर खर्च भी कम होता है। कार के ओनर मैनुअल में दिए गए सर्विस शेड्यूल का पालन करना परेशानी-रहित ड्राइविंग और ओनरशिप का सबसे आसान तरीका है।