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2025 में कार खरीदने से पहले जानें – किस सेगमेंट पर कितना टैक्स लगता है?
- 1कार टैक्स की दरें कार के सेगमेंट और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर निर्भर करती हैं।
- 2कारों पर लगने वाला टैक्स गाड़ी के आकार, इंजन क्षमता और सेगमेंट के अनुसार बदलता है
- 3भारत में सबसे कम टैक्स EVs, हाइब्रिड और सब-4 मीटर कारों पर लगता है
- भारत में अलग-अलग कार सेगमेंट पर टैक्स का असर
- भारत में कारों पर टैक्स की संरचना: आसान भाषा में समझिए पूरी जानकारी
- कार सेगमेंट के अनुसार GST और सेस की दरें:
- रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन चार्ज
- इम्पोर्टेड कारों पर लगने वाले कस्टम और ड्यूटी
- इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों पर टैक्स छूट
- कार खरीदते समय टैक्स का कितना असर पड़ता है?
- टैक्स कैसे खरीदारी के फैसलों को प्रभावित करते हैं?
- निष्कर्ष: टैक्स के महत्व को नज़रअंदाज न करें
भारत में जब भी आप कार खरीदते हैं, तो कीमत के बाद जो सबसे बड़ी चिंता होती है, वह है कार पर लगने वाले टैक्स। भारत में कारों पर टैक्स पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा है, जिससे कारों की कीमत बहुत बढ़ जाती है। यहां कार के सभी सेगमेंट पर GST की दर समान रूप से 28% है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर यह दर सिर्फ 5% होती है। इसके अलावा, विभिन्न कार सेगमेंट्स के आधार पर सेस (cess) भी अलग-अलग लगता है। इसमें कार की लंबाई, इंजन क्षमता, बॉडी स्टाइल, ग्राउंड क्लीयरेंस और निर्माण में स्वदेशीकरण जैसे फैक्टर मुख्य होते हैं।
ऐसे में, कार खरीदने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि अलग-अलग सेगमेंट पर टैक्स कितना और कैसे लगता है, ताकि आप सही कार का चुनाव कर सकें।
भारत में अलग-अलग कार सेगमेंट पर टैक्स का असर

भारत में कारों को मुख्य तौर पर उनकी लंबाई के आधार पर अलग-अलग सेगमेंट में बांटा गया है। हालांकि टैक्स की गणना केवल कार की लंबाई पर ही नहीं, बल्कि इंजन की क्षमता, बॉडी स्टाइल और SUV गाड़ियों के मामले में ग्राउंड क्लीयरेंस (सड़क से कार की निचली सतह की ऊंचाई) के आधार पर भी की जाती है।
4 मीटर से कम लंबाई वाली छोटी कारों पर कुल टैक्स दर 29% से 31% के बीच होती है, जबकि मिड-साइज़, बड़ी कारों और SUV वाहनों पर टैक्स 50% तक भी पहुंच सकता है। दूसरी ओर, हाइब्रिड कारों और इलेक्ट्रिक वाहनों को सभी सेगमेंट में कम टैक्स का लाभ मिलता है।
यहां समझिए कि किस बॉडी स्टाइल की कार पर कितना टैक्स लागू होता है।
हैचबैक (Hatchbacks)
हैचबैक सेगमेंट की कारें सबसे छोटी और किफायती होती हैं, इसलिए इन पर टैक्स कम लगता है।
- 4 मीटर से कम लंबाई और 1.2 लीटर तक पेट्रोल इंजन वाली हैचबैक पर कुल टैक्स 29% होता है।
- उदाहरण के तौर पर, ₹6.48 लाख की Maruti Suzuki Swift पर लगभग ₹1.88 लाख टैक्स देना होता है।
- वहीं, 4 मीटर से कम लंबाई लेकिन 1.5 लीटर तक डीजल इंजन वाली हैचबैक पर कुल टैक्स 31% लगता है।
- इस सेगमेंट में Tata Altroz डीजल एकमात्र ऑप्शन है, जो भारत की सबसे सस्ती डीजल हैचबैक है।
- हैचबैक पर रोड टैक्स भी अन्य सेगमेंट्स के मुकाबले कम होता है, क्योंकि इसे कार के आकार, इंजन क्षमता या कीमत के हिसाब से तय किया जाता है, जो अलग-अलग राज्यों में भिन्न होता है।
- सेकेंड हैंड हैचबैक कारें अपनी किफायती कीमत, माइलेज और प्रैक्टिकलिटी के कारण भी काफी लोकप्रिय हैं।
सेडान (Sedans)

सेडान सेगमेंट दो कैटेगरी में बंटा होता है: कॉम्पैक्ट सेडान (4 मीटर से कम) और बड़ी सेडान (4 मीटर से अधिक)।
- 4 मीटर से कम लंबाई वाली कॉम्पैक्ट सेडान पर टैक्स हैचबैक जितना ही 29% लगता है, इसलिए ये ज्यादा किफायती रहती हैं।
- उदाहरण के तौर पर, ₹7.99 लाख की Honda Amaze पर लगभग ₹2.31 लाख टैक्स लगता है।
- 4 मीटर से बड़ी सेडान, जिनमें इंजन 1.5 लीटर तक का होता है, उन पर टैक्स दर बढ़कर 45% हो जाती है।
- जैसे ₹11.8 लाख की Honda City पर ₹5.3 लाख का टैक्स देना होता है।
- 4 मीटर से लंबी सेडान जिनमें 1.5 लीटर से बड़ा इंजन होता है, उन पर टैक्स 48% तक होता है।
- पुरानी सेडान कारें उन लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प हैं जो सेकेंड हैंड में लग्जरी और आराम चाहते हैं।
SUVs और MPVs
भारत में SUV (स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल) का क्रेज बढ़ता जा रहा है, पर इन पर टैक्स भी अधिक लगता है।
- SUV के टैक्स कैलकुलेशन के लिए तीन शर्तें हैं: लंबाई 4 मीटर से ज्यादा, इंजन क्षमता 1.5 लीटर से ऊपर और ग्राउंड क्लीयरेंस 170mm से अधिक। ऐसी SUVs पर टैक्स 50% तक होता है।
- उदाहरण के लिए ₹10.9 लाख की Hyundai Creta SUV पर लगभग ₹5.49 लाख का टैक्स देना होता है।
- वहीं कॉम्पैक्ट SUVs जो 4 मीटर से कम लंबाई वाली होती हैं, उन पर टैक्स सिर्फ 29-31% के बीच लगता है, जिससे ये काफी किफायती हो जाती हैं।
- उदाहरण के तौर पर ₹7.94 लाख की Hyundai Venue पर ₹2.3 लाख टैक्स लगता है।
- एक समय कार निर्माताओं ने ग्राउंड क्लीयरेंस कम दिखाकर टैक्स बचाने का तरीका अपनाया था, जैसे Mahindra ने XUV500 के साथ किया, पर अब यह तरीका बंद हो चुका है।
- सेकेंड हैंड SUVs सुरक्षा, मजबूती और किफायती बजट में बेहतरीन विकल्प हैं।
लग्जरी कारें (Luxury Cars)
भारत में लग्जरी कारें विदेश से आयातित होती हैं, जिससे उन पर इम्पोर्ट ड्यूटी और टैक्स बहुत ज़्यादा लगता है।
- Mercedes-Benz, BMW, Audi और Land Rover जैसी कंपनियां पहले अपनी कारें पूरी तरह आयात (CBU) करती थीं, लेकिन अब ये लोकल असेंबली (SKD और CKD) करती हैं, जिससे कीमतों में भारी कमी आई है।
- उदाहरण के तौर पर, लोकल असेंबल की गई Range Rover आयातित मॉडल की तुलना में ₹56 लाख तक सस्ती हो जाती है।
भारत में कारों पर टैक्स की संरचना: आसान भाषा में समझिए पूरी जानकारी
भारत में कार खरीदने के दौरान टैक्स एक ऐसा पहलू है जो आपकी कार की कीमत को काफी प्रभावित करता है। वर्ष 2017 में GST लागू होने के बाद कारों की टैक्स संरचना एक समान करने का प्रयास हुआ था, लेकिन आज भी भारत में कारों पर टैक्स दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं। GST के तहत कारों पर एक बेसिक टैक्स दर 28% लगती है, साथ ही अतिरिक्त सेस भी लगाया जाता है। यह सेस कार के आकार, इंजन क्षमता, फ्यूल टाइप, बॉडी स्टाइल और ग्राउंड क्लीयरेंस पर निर्भर करता है।
कार सेगमेंट के अनुसार GST और सेस की दरें:
सेगमेंट (Segment) | GST | अतिरिक्त सेस | कुल टैक्स |
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) | 5% | NIL | 5% |
हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन | 12% | NIL | 12% |
छोटी हाइब्रिड कारें (4 मीटर तक लंबाई, 1200cc पेट्रोल या 1500cc डीजल इंजन तक) | 28% | NIL | 28% |
छोटी कारें (4 मीटर तक लंबाई, पेट्रोल/CNG/LPG और 1200cc इंजन तक) | 28% | 1% | 29% |
छोटी डीजल कारें (4 मीटर तक लंबाई, 1500cc इंजन तक) | 28% | 3% | 31% |
बड़ी हाइब्रिड कारें (4 मीटर से अधिक लंबाई या इंजन 1200cc पेट्रोल/1500cc डीजल से बड़ा) | 28% | 15% | 43% |
मध्यम आकार की कारें (इंजन 1500cc तक) | 28% | 17% | 45% |
बड़ी कारें (इंजन 1500cc से ऊपर) | 28% | 20% | 48% |
SUV (4 मीटर से लंबी, इंजन 1500cc से बड़ा, ग्राउंड क्लीयरेंस 170mm से ज्यादा) | 28% | 22% | 50% |
यहां साफ दिखता है कि छोटी पेट्रोल कारों पर सबसे कम टैक्स लगता है, जबकि बड़ी SUV पर सबसे अधिक टैक्स (50%) लगता है।
नोट: कार की एक्स-शोरूम कीमत में GST और सेस शामिल होता है, लेकिन रोड टैक्स, इंश्योरेंस और RTO के चार्ज अतिरिक्त होते हैं।
रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन चार्ज
रोड टैक्स राज्य सरकारें निर्धारित करती हैं, जो कार की कीमत, इंजन क्षमता, भार और मालिक के नाम पर रजिस्टर्ड गाड़ियों की संख्या जैसे फैक्टर्स पर निर्भर करता है। हर राज्य में रोड टैक्स अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए, हिमाचल प्रदेश में भारत का सबसे कम रोड टैक्स लगता है, जबकि कर्नाटक में सबसे अधिक रोड टैक्स देना पड़ता है।
इम्पोर्टेड कारों पर लगने वाले कस्टम और ड्यूटी
आयातित कारों पर टैक्स उसकी असेम्बली के अनुसार निर्धारित किया जाता है:
कार की श्रेणी (Category) | इम्पोर्ट ड्यूटी |
पुरानी कारों का आयात | 125% |
पूरी तरह निर्मित (CBU) कारें, जिनकी कीमत $40,000 (₹33.8 लाख) से ज्यादा हो या पेट्रोल इंजन 3000cc से बड़ा या डीजल इंजन 2500cc से बड़ा हो | 100% |
पूरी तरह निर्मित (CBU) कारें, जिनकी कीमत $40,000 (₹33.8 लाख) से कम हो और पेट्रोल इंजन 3000cc से कम या डीजल इंजन 2500cc से कम हो | 70% |
CKD किट (असेम्बल्ड इंजन या गियरबॉक्स के साथ, लेकिन चेसिस या बॉडी पर माउंट नहीं हो) | 35% |
CKD किट (इंजन, गियरबॉक्स और ट्रांसमिशन अलग-अलग हों, असेम्बल्ड न हों) | 15% |
इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों पर टैक्स छूट
सरकार इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए इन्हें टैक्स में राहत देती है:
- इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर सिर्फ 5% GST लगता है।
- छोटी हाइब्रिड कारों पर 28% GST लगता है, परन्तु वर्तमान में ऐसी कारें उपलब्ध नहीं हैं।
- बड़ी हाइब्रिड कारों पर GST 43% है, जो सामान्य कारों से थोड़ा कम है।
- हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहनों पर GST 12% है, हालांकि भारत में अभी ऐसी कारें उपलब्ध नहीं हैं।
इसके अलावा कुछ राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश में हाइब्रिड कारों पर रोड टैक्स में छूट दी गई है, जिससे ग्राहक की बचत होती है। मार्च 2024 तक केंद्र सरकार की FAME II योजना से EV खरीदने पर सब्सिडी दी गई थी, जो अब समाप्त हो चुकी है। फिर भी कुछ राज्य EV पर अब भी रोड टैक्स छूट जैसे लाभ प्रदान कर रहे हैं। साथ ही EV की EMI पर भुगतान किए गए ब्याज पर ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट भी उपलब्ध है।
कार खरीदते समय टैक्स का कितना असर पड़ता है?
भारत में कार खरीदते समय टैक्स एक ऐसा पहलू है, जो सीधे तौर पर ग्राहकों की पसंद और खरीदने के निर्णय को प्रभावित कर सकता है। सामान्यतः कार खरीदते वक्त टैक्स का ख्याल ग्राहकों के दिमाग में सबसे पहले नहीं आता, लेकिन समझदार और वैल्यू को प्राथमिकता देने वाले ग्राहक के लिए टैक्स एक महत्वपूर्ण फैक्टर हो सकता है।
टैक्स कैसे खरीदारी के फैसलों को प्रभावित करते हैं?
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भारत में छोटी कारों (4 मीटर से कम लंबाई और छोटे इंजन वाली) पर टैक्स अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे इनकी कीमत और रखरखाव दोनों कम हो जाते हैं। यह बजट-फ्रेंडली ग्राहकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है।
उदाहरण के तौर पर, MG Astor के टॉप वेरिएंट की एक्स-शोरूम कीमत लगभग ₹18.54 लाख है, जिसमें टैक्स की दर 45% है। वहीं दूसरी तरफ, MG ZS EV का बेस वेरिएंट लगभग ₹18.98 लाख (एक्स-शोरूम) में उपलब्ध है, जिसमें मात्र 5% टैक्स ही लगता है। टैक्स में इस बड़े अंतर के चलते लगभग समान कीमत में ग्राहक एक पेट्रोल SUV के बजाय इलेक्ट्रिक कार खरीद सकते हैं, जो भविष्य में ईंधन और रखरखाव की बचत भी देगी।
इस प्रकार, टैक्स की वजह से ग्राहक का निर्णय पूरी तरह बदल सकता है, विशेषकर जब इलेक्ट्रिक वाहन और पेट्रोल या डीजल वाहनों की कीमत में बहुत कम अंतर हो।
निष्कर्ष: टैक्स के महत्व को नज़रअंदाज न करें
कुल मिलाकर, भारत में टैक्स एक ऐसा फैक्टर है जो कारों की कीमत में बड़ा अंतर पैदा करता है। खरीदारी के दौरान इस बात को जानना जरूरी है कि आपकी कार की कीमत में टैक्स का योगदान कितना है। सरल नियम यह है कि छोटी और इलेक्ट्रिक कारें कम टैक्स के दायरे में आती हैं, जबकि बड़ी गाड़ियाँ और बड़े इंजन वाली SUV पर अधिक टैक्स लगता है।
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