

क्या प्राइवेट कार में Police Strobe Lights लगाना कानूनन सही है? जानिए नियम
- 1प्राइवेट वाहनों में पुलिस स्ट्रोब लाइट लगाना गैरकानूनी है
- 2स्ट्रोब लाइट्स लगाने की अनुमति केवल अधिकृत आपातकालीन वाहनों को ही है
- 3नियम तोड़ने पर फाइन के साथ कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है
शहर की सड़क हो या राजमार्ग, गाड़ी चलाते समय अचानक पीछे से नीली या लाल चमकती लाइट दिख जाए, तो ज़्यादातर लोग उसे आपातकालीन वाहन समझकर रास्ता दे देते हैं। अक्सर ऐसा लगता है कि शायद कोई पुलिस वाहन, एंबुलेंस या फिर कोई सरकारी काफ़िला आ रहा है। लेकिन जब वह गाड़ी पास से निकलती है, तब पता चलता है कि वह कोई आपातकालीन वाहन नहीं, बल्कि एक आम निजी कार है, जिस पर पुलिस जैसी चमकती लाइटें लगी हुई हैं।
ऐसे में मन में सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या यह कोई वीआईपी थे? या फिर कोई आम व्यक्ति जो पुलिस या सरकारी अधिकारी बनने का नाटक कर रहा है? और सबसे अहम सवाल, क्या निजी वाहन पर ऐसी चमकती लाइटें लगाना क़ानूनी है? इसका सीधा और साफ़ जवाब है नहीं। आम नागरिकों की गाड़ियों पर पुलिस जैसी लाइटें लगाना क़ानूनन ग़लत है और ऐसा करने वाला व्यक्ति क़ानून तोड़ रहा होता है।
भारत में आपातकालीन लाइटें कौन इस्तेमाल कर सकता है?
Central Motor Vehicles Rules, 1989 के नियम संख्या 108 के अनुसार, किसी भी निजी मोटर वाहन पर लाल, नीली या बहुरंगी चमकती लाइटें लगाने की अनुमति नहीं है। ऐसी लाइटें सिर्फ़ तयशुदा और विशेष वाहनों के लिए आरक्षित हैं, जो आपातकालीन या आपदा प्रबंधन से जुड़े होते हैं। नीली और लाल चमकती लाइटों का इस्तेमाल केवल कुछ खास वाहनों पर किया जा सकता है।
इनमें शामिल हैं:
- पुलिस वाहन
- एंबुलेंस
- दमकल विभाग के वाहन
- आपदा प्रबंधन से जुड़े आधिकारिक वाहन
नियमों के अनुसार, कुछ विशेष परिस्थितियों में उच्च पदस्थ व्यक्तियों के काफ़िले के साथ चलने वाले एस्कॉर्ट वाहनों पर नीली लाइट लगाने की अनुमति थी। लेकिन अगर संबंधित व्यक्ति उस वाहन में मौजूद न हो, तो लाल या नीली लाइट को काले कवर से ढकना अनिवार्य था।
पहले लाल चमकती लाइट लगाने की अनुमति जिन पदों को थी, उनमें शामिल थे:
- President
- Prime Minister
- Vice President
- Deputy Prime Minister
- Chief Justice of India
- Lok Sabha Speaker
- Union Cabinet Ministers
- Former President और Former Prime Ministers
इसके अलावा, बिना चमक वाली लाल लाइट लगाने की अनुमति जिन पदों को थी, उनमें शामिल थे:
- Chief Election Commissioner
- Comptroller and Auditor General of India
- Deputy Chairman Rajya Sabha
- Deputy Speaker Lok Sabha
- Union Ministers of State
- Planning Commission के सदस्य
- Attorney General of India
- Cabinet Secretary
हालाँकि, मई 2017 में भारत सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला लेते हुए सभी वीआईपी वाहनों पर लाल बत्ती के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी। यह प्रतिबंध President, Prime Minister और Chief Justice of India जैसे सर्वोच्च पदों पर भी लागू कर दिया गया। साथ ही, Central Motor Vehicles Rules, 1989 में मौजूद वह प्रावधान भी हटा दिया गया, जिसके तहत केंद्र और राज्य सरकारों को यह तय करने का अधिकार था कि कौन लाल बत्ती इस्तेमाल कर सकता है।
पुलिस जैसी चमकती लाइटों का इतना आकर्षण क्यों है?
चमकती लाइटें लंबे समय से रुतबे और ताक़त का प्रतीक मानी जाती रही हैं। ऐसे में कुछ लोगों को लगता है कि इन लाइटों से सड़क पर उनकी मौजूदगी ज़्यादा प्रभावशाली दिखेगी और दूसरे वाहन अपने आप रास्ता छोड़ देंगे। चूँकि ये लाइटें आजकल आसानी से वाहन एक्सेसरी की दुकानों या ऑनलाइन मंचों पर मिल जाती हैं, इसलिए कई लोग इन्हें अपनी गाड़ी पर लगाने का लालच कर बैठते हैं।
लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि निजी वाहन पर पुलिस जैसी चमकती लाइटें लगाना क़ानून का उल्लंघन है। अगर आपको पुलिस या यातायात विभाग का कोई अधिकारी इस तरह की लाइटों के साथ पकड़ लेता है, तो इसके नतीजे गंभीर हो सकते हैं। जुर्माना, वाहन ज़ब्ती और क़ानूनी कार्रवाई तक की नौबत आ सकती है।
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