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भारत स्टेज 7 (BS7) क्या है? जानिए विस्तार में
- 1भारत BS7 एमिशन स्टैंडर्ड को लागू करने की तैयारी कर रहा है
- 2CO2, CO और NOx जैसे प्रदूषकों को कंट्रोल करने के लिए BS7 एमिशन की कड़ी सीमा तय करेगा
- 3BS7 पर स्विच करने के लिए, वाहन बनाने वाली कंपनियों को भारी निवेश करना होगा
भारत स्टेज 6 (BS6) पुराना हो गया है, भारत अब BS7 के लिए कमर कस रहा है. हाल ही में, यूरोपियन कमीशन ने यूरो सेवन स्टैंडर्ड लागू करने के प्लान की घोषणा की है और बड़े पैमाने पर बनने वाली सभी कारों को 1 जुलाई, 2025 से नए नियमों का पालन करना होगा. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है. हालांकि, जिस तरह BS6 यूरो 6 के एमिशन स्टैंडर्ड पर आधारित था, उसी तरह BS7 भी यूरो 7 स्टैंडर्ड पर आधारित होगा.
भारत स्टेज एमिशन के स्टैंडर्ड का इतिहास
चलिए, भारत के ऐतिहासिक एमिशन के स्टैंडर्ड, उनकी टाइमलाइन और CPCB या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर एक नजर डालते हैं. भारत में वाहन एमिशन स्टैंडर्ड पहली बार 1992 में CPCB द्वारा तय किए गए थे और शुरुआती दिनों में ये स्टैंडर्ड काफी बुनियादी थे. फिर, साल 2000 में भारत का पहला एमिशन रेग्युलेशन पेश किया गया, जिसका नाम भारत 2000 रखा गया. सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सभी नए ऑटोमोबाइल को इस नए एमिशन स्टैंडर्ड का पालन करने का आदेश दिया. भारत 2000 ने सभी नए वाहनों में कैटलिटिक कन्वर्टर लगाना जरूरी बना दिया. तकनीकी रूप से देखा जाए तो भारत 2000 को पहला एमिशन स्टैंडर्ड या BS1 कहा जा सकता है, लेकिन इसे कभी भी भारत स्टेज वन नहीं कहा गया.
भारत 2000 के बाद भारत स्टेज 2 (BS2) स्टैंडर्ड आया, जिसे 2005 तक पूरे भारत में लागू कर दिया गया था. इन स्टैंडर्ड ने MPFI या मल्टी पॉइंट फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम पेश किया, जिसे सभी वाहनों में लगाना जरूरी बनाया गया. इसके बाद, भारत स्टेज 3, 4 और 6 को क्रमशः साल 2010, 2017 और 2020 में लागू किया गया. भारत को BS3 से BS4 एमिशन स्टैंडर्ड में स्विच करने में सात साल लग गए और तब तक वैश्विक यूरो सिक्स एमिशन स्टैंडर्ड पहले ही आ चुका था. इस वजह से, सरकार ने BS5 को छोड़ दिया और सीधे BS6 को लागू किया. अप्रैल 2023 में BS6 फेज 2 के स्टैंडर्ड को लागू किया गया. ये स्टैंडर्ड रियल-टाइम ड्राइविंग एमिशन या RD पर फोकस करते हैं.
पुराने सभी स्टैंडर्ड की तरह ही, भारत स्टेज 7 (भारत का BS7 स्टैंडर्ड) के तहत हुए बदलावों का आधार यूरो 7 है, बस इसे और बेहतर बनाया गया है. साथ ही, भारत के एमिशन स्टैंडर्ड, यूरोप के एमिशन स्टैंडर्ड जैसे ही होंगे. पहला बदलाव या शुरुआत OBM या ऑन बोर्ड मॉनिटरिंग से होगी. यह रियल-टाइम में टेलपाइप एमिशन की निगरानी के लिए वाहन में पहले से लगाए गए OBD सिस्टम या ऑन बोर्ड डायग्नोस्टिक्स के साथ काम करेगा. इसके अलावा, BS7 कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे गंभीर प्रदूषकों पर कड़े एमिशन स्टैंडर्ड लगाएगा. उदाहरण के लिए, यूरो 6 में पेट्रोल से चलने वाली कारों के लिए नाइट्रोजन ऑक्साइड की तय सीमा 60 mg/kg है और डीजल कारों के लिए यह सीमा 80 mg/kg है. यूरो 7 में भी यही वैल्यू रखी गई है, चाहे कार डीजल वाली हो या पेट्रोल वाली, यह सीमा 60 mg/kg तक ही होगी. BS7 की शुरुआत के साथ, टर्बो-चार्ज और डायरेक्ट इंजेक्शन वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.
BS7 के साथ लागू किए जाने वाले अन्य स्टैंडर्ड
कार के टायर और ब्रेक की वजह से भी प्रदूषण होता है. जब वाहन चल रहा होता है, तो टायर और ब्रेक से माइक्रो प्लास्टिक और ब्रेक डस्ट डिस्चार्ज होते हैं, जो हानिकारक प्रदूषक भी हैं. BS7 स्टैंडर्ड की शुरुआत के साथ, इन प्रदूषकों को भी नियंत्रित और सीमित किया जाएगा.
इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और प्लग-इन हाइब्रिड की बैटरी को भी टेस्ट किया जाएगा, ताकि यह देखा जा सके कि यह कितने समय तक चलेंगी. इस टेस्ट में एक तय समय-सीमा और किलोमीटर में बैटरी और चार्ज को बनाए रखने की क्षमता का आकलन किया जाएगा. BS7 स्टैंडर्ड में वाहन के लाइफटाइम एमिशन को भी मॉनिटर किया जाएगा. जैसे-जैसे वाहन पुराना होता जाता है, उसका एमिशन लेवल भी बढ़ता जाता है. BS7 स्टैंडर्ड के तहत वाहनों में खास सेंसर लगे होंगे, जो ऐसी खास समस्याओं का पता लगाएंगे, जिससे वाहन समय के साथ-साथ ज्यादा प्रदूषण करते हैं.
BS7 से जुड़ी चुनौतियां
नए एमिशन स्टैंडर्ड के हिसाब से किसी भी वाहन को अपग्रेड करने में बहुत समय और पैसा लगता है. कार बनाने वाली कंपनियों को BS7 स्टैंडर्ड का पालन करने के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना होगा. ये स्टैंडर्ड पहले से कड़े होंगे और इनमें छह से ज्यादा शर्तें हो सकती हैं, जिन्हें पूरा करना जरूरी होगा. उन्हें अपने वाहनों में एडवांस एमिशन कंट्रोल सिस्टम लगाना होगा. ज्यादा पैसा खर्च होने का मतलब है कि इन वाहनों की कीमत बढ़ जाएगी और खरीदारों को इन्हें खरीदने के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे. उदाहरण के लिए, पिछले साल जब BS6 फेज 2 के एमिशन स्टैंडर्ड लागू किए गए थे, तब कार बनाने वाली कंपनियों ने अपने वाहनों की कीमत बढ़ा दी थी. इसके अलावा, जब BS6 स्टैंडर्ड की शुरुआत हुई, तो बहुत सारे वाहनों को बंद कर दिया गया था और इसी तरह BS7 की शुरुआत के साथ ही हो सकता है कि आपकी कई अच्छी कारें बंद कर दी जाएं.
BS7 की शुरुआत कब होगी
फिलहाल, भारत में BS7 के लागू होने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है और न ही यह बताया गया है कि यह कब लागू होगा. हालांकि, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को पहले से ही BS7 लागू होने की तैयारी करने के लिए कहा गया है. कुछ रिपोर्ट के हिसाब से कार बनाने वाली कुछ कंपनियों ने BS7 लागू किए जाने पर होने वाले बदलावों को अपनाने की ओर पहले ही काम शुरू कर दिया है.


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